शुक्रवार, 19 जून 2009

सुख का दुःख

सुख का दुःख
केन्द्रीय मंत्री सुखराम ने आख़िर कांग्रेस में अपने धुर विरोधी वीरभद्र के सेंटर में मिनिस्टर बनने पर अपने हाथ खड़े कर दिए। ब्लॉगर के साथ आखरी पत्रकार वार्ता के दौरान मंडी स्थित अपने घर में सुखराम ।



















मंगलवार, 16 जून 2009

मंडी से लड़ी जायेगी इंदौर की लडाई

आरटीआईब्यूरो ने जगाई मध्य प्रदेश के वित्त निगन के कर्मी कीआस
डी से लड़ी जायेगी इंदौर की लडाई
निगम की तबादला नीतिसे प्रेषण कर्मचारी ने भेजी फरियाद
डीडी न्यूज़ के जानने का हक़ प्रोग्राम से मिला ब्यूरो का पत्ता
आरटीआई ब्यूरो ने मांगी वित्त निगम मद्य प्रदेश से सूचना
आरटीआई ब्यूरो डेस्क।
सूचना क्रांति के दौर में

खली का हिमाचल प्रेम सात समुंदर पार भी

अमेरिका में जी न्यूज़ के वरिष्ट सवांददाता नीरज ठाकुर के साथ खली
अमेरिका में माय हिमाचल के संस्थापक अवनीश कटोच के साथ खली


रविवार, 14 जून 2009

अपनी कमजोरी से हरे काँगड़ा और शिमला


अपनी कमजोरी से हारे काँगड़ा और शिमला
वीरभद्र सिंह बोले, हमीरपुर में नारेन्द्र ठाकुर का प्रदर्शन रहा शानदार
इस्पात मिनिस्टर की हिमाचल में दो स्टील प्रोसेसिंग कारखानों की घोषणा
विनोद भावुक ।
वीरभद्र सिंह को इस बात् का बेहद मलाल है की लोकसभा चुनाव में काँगड़ा और शिमला में कांग्रेस को अपनी कमिओं के चलते मामूली अन्तर से बीजेपी से हारने को मजबूर होना पड़ा। प्रचार के लिए वह हमीरपुर, काँगड़ा ओ शिमला जन चाहते थे , लेकिन उन्हें हेलीकॉप्टर ही उपलब्द नहीं करवाया गया । उनका कहना है कि हमीरपुर में नरेंदर ठाकुर ने हार के बावजूद शानदार प्रदर्शन किया है । uनका मुकाबला प्रदेश के मुख्यमंत्री के बेटे के साथ था। दूसरी ओर नरेंदर को टिकेट देने से पहले खूब ड्रामा हुआ। पहले टिकेट नरेंदर को मिला, फ़िर मदन लाल को टिकेट मिला ओर आख़िर में फ़िर नरेंदर ठाकुर को टिकेट दे कर मदन में उतरा गया । एसे में उनके पास प्रचार के लिए वकत ही नहीं मिल पाया। इसके बावजूद नरेंदर ने बीजेपी उम्मीदवार की लीड को एक लाख से ज्यादा कम कर दिया। सेंटरमें इस्पात मंत्री बनने के बाद मंडी पहुंचे वीरभद्र सिंह ने कहा की प्रदेश में दो स्टील प्रोसेसिंग कारखाने खोले जायेंगे .

शनिवार, 13 जून 2009

हिमाचल के अटल

हिमाचल के अटल
अटल बिहारी वाजपेयी का हिमाचल के साथ काश लगाव है। बेशक इन दिनों वे बीमार चल रहे हैं लेकिन जब सवस्थ थे तो छुटियाँ मानाने यहाँ आते रहे हैं। तस्वीरे याद दिलाती हैं उन पलों कि जो पहाड़ कि खूबसूरती पर मर मिटा और दिल से हमेशा के लिए पहाड़ का हो गया ।
अटल के लिए यहाँ के पहाड़ आज भी धड़कते हैं।











शुक्रवार, 12 जून 2009

गजल

कुडियां
कुडियां बाद जे जामियाँ कुडियां ।
जम्दियाँ ही नी गमियां कुडियां ।।
फि मुंडूआं दियां मंगियाँ मनतां ।
पेटा बिच फिरि कमियां कुडियां ।।
हन मुंडू जिहना घरांदे बर्लू ।
उना घरां दियां थमियाँ कुडियां ।।
जे कर्जे तारे कचिया उमरां
बणदियां आइयाँ अमियाँ कुडियां ।।
क्या सौरे , तां क्या प्योके ।
जीतू गेइयाँ रलियाँ कुडियां ।।
जां मिल्ले कुडियां जो मौके ।
भरन उड़ाराँ लम्बियां कुडियां ।।
.........भावुक .......

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किरायेदार
अपने तो साहिल भी रहे हैं मझधारों की तरह ।
खाए हैं यहाँ गुलों से भी जख्मखारों की तरह ।।
दौरे वक्त की हम पे बंदिशें तो देखो कि ,
अपने घर में भी रहे तो किरायेदारों की तरह ।।
............... भावुक.....................

गुरुवार, 11 जून 2009

गजल

गाँधी के हिस्से में गोली ही क्यों आती है

हर गाँधी के हिस्से में गोली ही क्यों आती है।
अमन के हर पुजारी की क्यों छलनी होती छाती है।।

नींद में चलने वालों का जब कुनबा बढता जाता है,
कोई हस्ती आती है जो नींद से हमें जगती है।।


नई नस्ल के वारिसों इतिहास उठा कर देखो तो ,
नमन शहीदों को कर के आँखें नाम हो जाती है।।

बेकार कभी जाती नहीं सूरमाओं की शहादतें ,
कौम को बलिदान का इक रास्ता दिखलाती है।।

चंद वीरों के दम पर वजूद है जिन्दा कौम का,
लोरिओं में नतिओं को नानियाँ सुनती हैं ।।






गजल

सच नीलाम हो रहा
तेरा भी काम हो रहा, है मेरा भी काम हो रहा।
चर्चा यह आम हो रहा कि सच नीलाम हो रहा।।

बेटा बसा है शहर में गांव् से बड़ी दूर ,
सालों से फोन पर ही दुआ सलाम हो रहा। ।

अ़ब हर नसीहत पर तय हुई तकरार भी,
रुतबा गया बाप का,बेटा जवान हो रहा।।

मसलों के नाम पर असलहे से लड़ी सरहदें,
दिन ब दिन जहाँ मैं जीना हरम हो रहा।।
.............भावुक...............

गजल

याद


चाहतों के मौसम
मेरे सवाल बाकि हैं,तेरे जबाब बाकि हैं।।
पिछले जनम के कुछ हिसाब बाकि हैं।।

आज भी जवान हैं चाहतों के मौसम
तभी तो किताबों मैं सूखे गुलाब बाकि हैं ।।
................भावुक ...............

बुधवार, 10 जून 2009

गुरुवार, 4 जून 2009

मैं और मेरे अपने

मैं और मेरे अपने :
मुझे जो ताकत देते हैं। अकेले चलने का होंसला देते हैं







भावुक , नारायण और प्यारे लाल बाडाली ।









बुधवार, 3 जून 2009

अपने घर लोटेंगी पचास हेरिटेज पेंटिंग



अपने घर लोटेंगी पचास हेरिटेज पेंटिंग
काँगड़ा कलम की फनकारी का एक एतिहासिक दस्तावेज सात साल की कवायद के बाद आख़िर अपने घर लौट रहा है। नेशनल मयूसियम दिल्ली से पचास हेरिटेज पेंटिंग को काँगड़ा मयूसियम धर्मशाला को सोंपने पर सहमती हो गई है। इस सिलसिले में प्रदेश के भाषा विभाग के निदेशक प्रेम शर्मा ने दिल्ली में समझोते पर साइन किए। इन पेंटिंग्स में काँगड़ा, बसौली , बिलासपुर व् चंबा शेली की पेंटिंग शामिल है। प्रदेश सरकार की और से वर्ष २००२ से इन पेंटिंग को लेन की कोशिश चल रही थी। सात साल के बाद घर आ रही हिमाचल की इन धरोहरों का बाकायदा बीमाकरवाया गया है ।इन को काँगड़ा कला संग्राहलय में रखने की पूरी व्यवस्था कर दी गई है । २२ डिग्री तापमान तथा ५० से ५५ प्रतिशत नमी की व्यवस्था की गई है । सितम्बर में पेंटिंग धर्मशाला पहुँच जाएँगी। प्रदेश का भाषा विभाग सितम्बर में काँगड़ा मयूज़ियम में पेंटिंग पर नेशनल स्तर का सेमिनार का भी आयोजन करने जा जहा है। इस आयोगं में नेशनल मयूज़ियम नइ दिल्ली का सहयोग मिलेगा ।विभाग ने जनजातीय अकादमी बडोदा के साथ समझोता किया है। इस समझोते के तहत सिरमौर जिला के जमता में हिमालयन स्टडीज रिसर्च सेण्टरनिर्माण किया जाएगा। यहाँ फोक , आर्ट, कल्चर व् संगीत पर रिसर्च होगी । यह इंदिरा गांधी नेशनल ओपन विशवविध्यालय का सेण्टर फॉर एक्सीलेंसी होगा और यहाँडिप्लोमा कोरस चालाये जायेंगे। यह सेण्टर २०१० में शुरू होगा। सरकार ने इस के लिए पचास बीघा लैंड अलॉट कर दी गई है।







छोटी काशी के चप्पे चप्पे से वाकिफ हैं गधे


हुस्न पहाडों का

हुस्न पहाडों का : दुल्हन सी सजी काँगड़ा घाटी।
फोटो : संजीव कौशल