शुक्रवार, 19 सितंबर 2014

हार जिन्हें मंजूर नहीं, उनसे मंजिल दूर नहीं।।

 गीत

मुखड़ा :

गायक: हार जिन्हें मंजूर नहीं।
         उनसे मंजिल दूर नहीं।।
 गायिका: जो थककर होते चूर नहीं।
            उनसे मंजिल दूर नहीं।।

अंतरा:1
 गायक : मान लिया तो हार है।
          ठान लिया तो जीत है।।
गायिका : मौसम जैसा जीवन है।
          गर्मी, बारिश, शीत है।।

गायक : लोग जहां मगरूर नहीं।
गायिका : उनसे मंजिल दूर नहीं।।  
कोरस :  हार जिन्हें मंजूर नहीं।
        जो थककर होते चूर नहीं।।  
        उनसे मंजिल .................

अंतरा: 2
 गायिका :   कुदरत के उसूल हैं।
            कांटो संग ही फूल हैं।।
 गायक :   अश्क कभी हंसी मिले।
            उसका दिया कबूल है।।
 गायिका : खुद पर जिन्हें गरूर नहीं।
 गायक :   उनसे मंजिल दूर नहीं।।
 कोरस :  हार जिन्हें मंजूर नहीं।
        जो थककर होते चूर नहीं।।  
        उनसे मंजिल .................

 गायक: हार जिन्हें मंजूर नहीं।
         उनसे मंजिल दूर नहीं।।

गायिका: जो थककर होते चूर नहीं।
            उनसे मंजिल दूर नहीं।।

कोरस :  हार जिन्हें मंजूर नहीं।
        जो थककर होते चूर नहीं।।  
        उनसे मंजिल .................

  .............विनोद भावुक................... 

गुरुवार, 4 सितंबर 2014

देवते सोने मढ़ेयो खरे



अनपढ़ां  ते  पढ़ेयो खरे।
पढ़ेयां ते  कढ़ेयो खरे।।

जीणा कितणा छुप छपीतें।
कुतकी कदकी रढ़ेयो खरे।।

छडणा पोणा लुक लकाड़ा।
दड़ेयां  ते अड़ेयो  खरे।।

है पतालेंÞ हंडणा  कितणा।
गास्सें कदकी चढ़ेयो खरे।।

खिट्टां ने नी मुकणा सफरें।
कदकी बैठेयो, खड़ेयो खरे।।

थी जलेब, बजंतरी फाकें।
देवते सोने मढ़ेयो खरे।।

तिसदें अग्गें पेश नी चलें।
वक्तें लक्कड़ घड़ेयो खरे।।

प्रेमां खातर सर कटाणे।
हकां खातर लड़ेयो खरे।।