मंगलवार, 2 फ़रवरी 2016

लोगों को ही लूटते लोकतंत्र देखे गए

धनवान जितने थे, पवित्र देखे गए.
और जो गरीब थे,  चरित्र देखे गए.

व्यवहार एकाएक विचित्र देखे गए.
मुसीबत के वक्त जब मित्र देखे गए.

नजाकत के दौर में ऐसे पात्र देखे गए.
पसीने पर जो भारी पडे इत्र देखे गए .

जब भी उनकी जीत के सूत्र देखे गए
वश में करने के तंत्र- मंत्र देखे गए.

जवानी में लौटने को चित्र देखे गए.
औ रूमानी दौर के प्रेम पत्र देखे गए.

सियासी गठजोड़ के ही सत्र देखे गए.
लोगों को ही लूटते लोकतंत्र देखे गए.