गुरुवार, 4 फ़रवरी 2010
न मेरे कुछ कम की , न तेरे कुछ काम की
न मेरे काम की , न तेरे काम की है।
असल
में जो दौलत अवाम की है।
हुकूमत उस पर निजाम की है।।
मेरे काम की , न तेरे काम की है।
अभी तक आजादी सिर्फ नाम की है।।
1 टिप्पणी :
Unknown
8 अक्तूबर 2012 को 12:41 am बजे
bahut umda
जवाब दें
हटाएं
उत्तर
जवाब दें
टिप्पणी जोड़ें
ज़्यादा लोड करें...
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें ( Atom )
bahut umda
जवाब देंहटाएं