आरटीआई एक्ट का कमाल, आखिर मिल ही गया सरकारी माल
मरने के बाद जीती एरियर की लड़ाई
प्रदेश वेल्फेयर एडवाइजरी बोर्ड ने रिलीज की साढ़े चाल की राशि
बोर्ड के 75 सेवानिवृत कर्मचारियों को उनका रूका हुआ मिला एरियर
उनकी उम्मीद टूट चुकी थी कि सरकार के पास फंसा उनका पैसा उन्हें वापस मिलेगा। ऐरियर के पैसे को लेने के लिए वे सालों से पत्र व्यवहार करते आ रहे थे लेकिन हर बार नतीजा ढाक के तीन पात ही रहता आया था। यहां तक कि अपने ऐरियर का इंतजार करते करते कई हकदार तो स्वर्ग सिधार गए। सालों के प्रयासों के बावजूद जो पैसा नहीं मिल पा रहा था, कमाल देखिए, सूचना अधिकार कानून के एक आवेदन ने उन्हें वर्षों से रुकी हुई लाखों की रकम दिलवा दी। यहां तक कि मरने के बाद भी सरकारी पैसा कर्मचारियों के परिजनों को मिल गया। आरटीआई ब्यूरो मंडी के प्रयास ने सोशल वेल्फेयर एडवाइजरी बोर्ड शिमला के अधीन काम करने वाले प्रदेश के पांच कार्यालयों मंडी, बिलासुपर, महासू, सिरमौर और चंबा के 75 सेवानिवृत कर्मचारियों को उनका रुके हुए 4,38,937 रुपए करीब 13 साल के बाद आखिर मिल गए। इस मामले को आरटीआई ब्यूरो के मेंबर रूप सिंह सनोरिया सामने लाए और आरटीआई ब्यूरो के प्रयासों ने वर्षों से लंबित मामले में लोगों को अपने हक मिले।
24 साल पहले रिवाइज हुआ था स्केल
सोशल वेल्फेयर एडवाइजरी बोर्ड के प्रदेश के विभिन्न पांच कार्यालयों में काम करने वाले कर्मचरारियों का स्केल 1986 में रिवाइज हुआ था। रिवाइल स्केल का 85 प्रतिशत ऐरियर 1997 में रिलीज हुआ था। ऐरियर के हकदार तमाम प्रयासों के बावजूद बाकि बचा 15 प्रतिशत एरियर का भुगतान करने के लिए बोर्ड के अधिकारियों के कानों पर जूं नहीं रेंग रही थी। हर बार अधिकारी- कर्मचारी टराल मटोल कर जाते थे। इस एरियर के सभी हकदार सेवानिवृत हो चुके थे और यहां तक कि कई तो स्वर्ग भी सुधार चुके हैं।
ट्रिब्यूनल के बाद कोर्ट में है फाइल
स्टेट सोशल वेल्फेयर बोर्ड के अधिकारियों - कर्मचारियों की आनाकानी से तंग आकर बोर्ड के विभिन्न कार्यालयों में कार्यरत रहे कर्मचारियों ने स्टेट एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाया था। ट्रिब्यूनल के भंग हो जाने के बाद कर्मचारियों के एरियर दावे का मामला प्रदेश हाईकोर्ट में ट्रांसफर हो गया। हाईकोर्ट में यह मामला पेंडिंग है, इस बीच सूचना अधिकार कानून के तहत श़ुरू हुए सवालों के जवाब देते न बने तो स्टेट वेल्फेयर एडवाइजरी बोर्ड के आला अधिकारियों ने एरियर का पैसा रिलीज करना ही मुनासिब समझा। बोर्ड ने करीब साढ़े चार लाख की राशि उनके पूर्व कर्मचारियों को जारी कर दी है।
इंट्रेस्ट के लिए नोटिस
आरटीआई ब्यूरो के संयोजक लवण ठाकुर का कहना है कि स्टेट वेलफेयर एडवाइजरी बोर्ड शिमला को प्रदेश के पांच विभिन्न जिलों में सेंटर का संचालन करने के लिए सेंट्रल सोशल वेल्फेयर बोर्ड की ओर से ग्रांट जारी की जाती थी। सूचना अधिकार कानून के तहत जब सेंट्रल सोशल वेल्फेयर बोर्ड दिल्ली और स्टेट सोशल वेल्फेयर एडवाइजरी बोर्ड शिमला ने सूचना मांगी तो पैसा रोकने का कोई पुष्ट कारण न होने की सूरत में बोर्ड ने राशि जारी करना मुनासिब समझा। उनका कहना है कि एरियर की राशि का भुगतान लंबे अर्से तक लंबित रहा, ऐसे में इस राशि पर ब्याज मिलना चाहिए थे। आरटीआई ब्यूरो बोर्ड को नोटिस जारी कर रहा है।
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