हर घर के आगे आँगन होता था
हर गाँव में पनघट होता था ।
पनघट पे पीपल होता था ।।
सुना है कि हर घर के आगे ।
खुला सा आँगन होता था ।।
वो झूम के सावन आता था।
मदमस्त सा योवन होता था। ।
नाजुक थे फूलों से रिश्ते ।
हर रिश्ता पावन होता था ।।
कोई टिप्पणी नहीं :
एक टिप्पणी भेजें