शुक्रवार, 7 मई 2010

हर घर के आगे आँगन होता था

हर घर के आगे आँगन होता था

हर गाँव में पनघट होता था ।

पनघट पे पीपल होता था ।।

सुना है कि हर घर के आगे ।

खुला सा आँगन होता था ।।

वो झूम के सावन आता था।

मदमस्त सा योवन होता था। ।

नाजुक थे फूलों से रिश्ते ।

हर रिश्ता पावन होता था ।।

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