विज्ञान कहता है कि बेहतर हो गया इंसान
ईमान कहता है कि शातिर हो गया इंसान
लड़ी दरानी जठाणी लेई डुबा होल
लग लग लगे तपरू बने केई टोल
हमनें तो निभाया जो इस जमाने का दस्तूर था
कभी अपने दिल से पूछना हमारा क्या कसूर था
गर तू न मेरी जिन्दगी में आई होती
बुलंदी सोहरत की न हमने पाई होती
राह जो तूने न मुझ को दिखाई होती
हर इक कदम पे ही ठोकर खाई होती
डॉक्टर कहता है कि तनाव मार डालेगा
जनाब आंसूओं का सैलाब मार डालेगा
उसने जो कर दी ख़त लिखने की खता
हमको तो जवाब का दबाव मार डालेगा
अपने हिस्से में मुश्किल निवाले हो गए
पर रातों रात लोग कुछ पैसे वाले हो गए
कई बस्तियां तो आज भी रोशनी से दूर हैं
कुछ कोठियों में बेशक हैं उजाले हो गए
ईमान कहता है कि शातिर हो गया इंसान
लड़ी दरानी जठाणी लेई डुबा होल
लग लग लगे तपरू बने केई टोल
हमनें तो निभाया जो इस जमाने का दस्तूर था
कभी अपने दिल से पूछना हमारा क्या कसूर था
गर तू न मेरी जिन्दगी में आई होती
बुलंदी सोहरत की न हमने पाई होती
राह जो तूने न मुझ को दिखाई होती
हर इक कदम पे ही ठोकर खाई होती
डॉक्टर कहता है कि तनाव मार डालेगा
जनाब आंसूओं का सैलाब मार डालेगा
उसने जो कर दी ख़त लिखने की खता
हमको तो जवाब का दबाव मार डालेगा
अपने हिस्से में मुश्किल निवाले हो गए
पर रातों रात लोग कुछ पैसे वाले हो गए
कई बस्तियां तो आज भी रोशनी से दूर हैं
कुछ कोठियों में बेशक हैं उजाले हो गए
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