शनिवार, 29 जून 2013

विज्ञान कहता है कि बेहतर हो गया इंसान 
ईमान कहता है कि शातिर हो गया इंसान


लड़ी दरानी जठाणी लेई डुबा होल 
लग लग लगे तपरू बने केई टोल


हमनें तो निभाया जो इस जमाने का दस्तूर था 
कभी अपने दिल से पूछना हमारा क्या कसूर था


गर तू न मेरी जिन्दगी में आई होती
बुलंदी सोहरत की न हमने पाई होती 
राह जो तूने न मुझ को दिखाई होती 
हर इक कदम पे ही ठोकर खाई होती


डॉक्टर कहता है कि तनाव मार डालेगा 
जनाब आंसूओं का सैलाब मार डालेगा 
उसने जो कर दी ख़त लिखने की खता 
हमको तो जवाब का दबाव मार डालेगा


अपने हिस्से में मुश्किल निवाले हो गए
पर रातों रात लोग कुछ पैसे वाले हो गए 
कई बस्तियां तो आज भी रोशनी से दूर हैं 
कुछ कोठियों में बेशक हैं उजाले हो गए

कोई टिप्पणी नहीं :

एक टिप्पणी भेजें