मौत की सौगात लेकर आती हर बरसात
खून से रंगने लगे अब सावन के भी हाथ
लोग कुदरत की आपदा से त्रस्त हैं
वो चुनावी समीकरणों मैं व्यस्त हैं
बरखा केंह बरसाती दी है करणा लगी खजल
मुक्के ब्याह गिदडा दे हुण फटणा लगे बदल
खून से रंगने लगे अब सावन के भी हाथ
लोग कुदरत की आपदा से त्रस्त हैं
वो चुनावी समीकरणों मैं व्यस्त हैं
बरखा केंह बरसाती दी है करणा लगी खजल
मुक्के ब्याह गिदडा दे हुण फटणा लगे बदल
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