मंडी. पूर्व केद्रीय मंत्री और प्रदेश की सियासत के चाणक्य कहे जाने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पंडित सुखराम ने गुरुवार को सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया। सुखराम ने कहा कि उन्होंने अपनी राजनीतिक विरासत बेटे अनिल शर्मा के लिए सहेज कर रखी।
अनिल हमेशा उनकी कमजोरी रहे। लोस चुनाव में अनिल ने सदर से लीड दिलाकर दिखा दिया कि वह राजनीति में जम गए हैं। सुखराम ने कहा कि सियासी मजबूरियों के चलते उन्हें अलग पार्टी बनानी पड़ी।
हालांकि उस समय भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने अनिल शर्मा को राज्यसभा सदस्य के तौर पर भाजपा की सदस्यता लेने को कहा था, लेकिन उन्होंने इसे विनम्रता से ठुकरा दिया। उन्होंने माना कि वीरभद्र सिंह से उनके नीतिगत मतभेद रहे। व्यक्तिगत मतभेद कोई नहीं था।
अपने आवास पर वीरवार को पत्रकार वार्ता में कांग्रेस सुखराम ने कहा कि पिछले कार्यकाल में आनंद शर्मा की परफॉर्मेस के कारण ही उन्हें पदोन्नति दी गई। वीरभद्र सिंह को उनकी योग्यता और अनुभव के कारण कैबिनेट में लिया गया है। केंद्रीय मंत्रीमंडल में दो कैबिनेट मंत्री बनाकर कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने प्रदेश के लोगों पर बहुत बड़ा एहसान किया है।
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