मछलियों का शिकार करने वालों की खैर नहीं। मत्स्य विभाग ने मछली पकड़ने वालों पर शिकंजा कसने के लिए कमर कस ली है। प्रजनन काल में अगर शिकारियों ने मछली का शिकार किया तो उन्हें तीन वर्ष की सजा भुगतनी पड़ेगी। अगर मौके पर पकड़े गए तो तीन हजार रुपये जुर्माना देना होगा। मत्स्य प्रजनन काल में जिले के सभी नदियों व जलाशयों में जून से जुलाई तक मछली के शिकार पर रोक रहेगी। प्रजनन काल के दौरान कोई व्यक्ति मछली का शिकार करता पकड़ा गया तो उसे उक्त दोनों सजाएं एक साथ हो सकती हैं। मत्स्य विभाग ने इसे गैर-जमानती अपराध भी करार दिया है। प्रजनन काल के दौरान शिकारियों की धरपकड़ के लिए मत्स्य विभाग ने विशेष दस्तों का गठन किया है। यह दस्ते दिन-रात नदियों व जलाशयों पर चौकसी रखेंगे।
गौर हो कि मत्स्य प्रजनन काल के दौरान शिकारी धड़ल्ले से मछली का शिकार करते हैं व बाजार में मुंह मांगी कीमत वसूलते हैं। नदियों की दूरी लंबी होने के कारण अकसर शिकारी विभाग के गार्डो की आंखों में धूल झोंककर अपने मंसूबों को अंजाम देते हैं। प्रजनन काल में मछली का शिकार होने से इनकी संख्या में भारी कमी आ जाती है। मत्स्य विभाग ने इस बार मछली के अवैध शिकार को रोकने के लिए कमर कस ली है।
प्रजनन काल में मछली का शिकार अवैध
मत्स्य विभाग के सहायक निदेशक सतपाल मेहता ने कहा कि प्रजनन काल में मछली का शिकार अवैध है। इस दौरान शिकारियों पर नजर रखने के लिए विभाग ने पूरी तैयारी कर ली है। प्रजनन काल के दौरान मत्स्य पालन करने वालों को जानकारी देने के लिए विभाग शिविरों का आयोजन भी करता है।
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