शुक्रवार, 12 जून 2009
शेयर
किरायेदार
अपने
तो साहिल भी रहे हैं मझधारों की तरह ।
खाए हैं यहाँ गुलों से भी जख्मखारों की तरह ।।
दौरे
वक्त की हम पे बंदिशें तो देखो कि ,
अपने घर में भी रहे तो किरायेदारों की तरह ।।
............... भावुक.....................
कोई टिप्पणी नहीं :
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें ( Atom )
कोई टिप्पणी नहीं :
एक टिप्पणी भेजें