गुरुवार, 11 जून 2009

गजल

सच नीलाम हो रहा
तेरा भी काम हो रहा, है मेरा भी काम हो रहा।
चर्चा यह आम हो रहा कि सच नीलाम हो रहा।।

बेटा बसा है शहर में गांव् से बड़ी दूर ,
सालों से फोन पर ही दुआ सलाम हो रहा। ।

अ़ब हर नसीहत पर तय हुई तकरार भी,
रुतबा गया बाप का,बेटा जवान हो रहा।।

मसलों के नाम पर असलहे से लड़ी सरहदें,
दिन ब दिन जहाँ मैं जीना हरम हो रहा।।
.............भावुक...............

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