डॉक्टरों का अकाल, कैसे हो पशुओं की संभाल
प्रदेश की आधे से ज्यादा गांवों को अब भी पशु औषधालयों की दरकार
पशु डॉक्टर व फार्मास्स्टि खोजने की जिम्मेवारी भी पंचायतों के सिर पर
औषधालय के लिए के भवन के लिए भसी पंचायत को करनी होगी व्यवस्था
बेशक प्रदेश में दूध गंगा योजना और भेड़ पालक समृद्धि योजना’जैसी महत्वाकांक्षी दुधारू पशु और भेड़ पालन योजनाओं को बड़े जोर शोर के साथ शुरू किया गया हो लेकिन पशु स्वास्थ्य को लेकर आलम यह है कि प्रदेश के आधे गांवों को अभी तक पशु औषधालयों का इंतजार है। सरकारी दावों पर यकीन करें तो भी अगले तीन सालों में भी प्रदेश के सभी गांवों में पशु औषधालय बनते नहीं दिख रहे हैं। प्रदेश में पशुपालन को लेकर प्रदेश में राज करने वाली सरकारें कितनी गंभीर रही हैं, उसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रदेश की 3243 पंचायतों में से केवल 1971 पंचायतों मेें ही पशु औषधालयों की स्थापना हो पाई है। बेशक इस बार प्रदेश प्रदेश सरकार ने बची सभी पंचायतों में पशु औषधालय खोलने की कवायद में जुटी हुई है लेकिन सरकार के इन प्रयासों की सारी जिम्मेवारी भी पंचायतों के सिर पर डाल दी गई है। जिन पंचायतों में अब पशु औषधालय खोले जा रहे हैं उन पंचायतों के नियंत्रण में यह पशु औषधालय खोले जाएंगे, जिसके लिए तकनीकी निरीक्षण एवं मार्गदर्शन संबंधित पशु चिकित्सा अधिकारी देंगे। मुख्यमंत्री आरोग्य पशुधन योजना के प्रथम चरण में पशु औषधालय उन पंचायतों में खोले जाएंगे, जहां ग्राम पंचायत द्वारा नि:शुल्क भवन की सुविधा और पंचायत पशु सहायक के रूप में किसी सेवानिवृत्त पशु सहायक की सेवाएं उपलब्घ करवाई जाएंगी, जिन्हें पांच हजार रूपए प्रतिमाह का निर्धारित पारिश्रमिक दिया जाएगा। प्रदेश की अधिकांश जनता गांवों में बसती है, जो अपनी आजीविका के लिए मुख्यत: पशुपालन गतिविधियों पर निर्भर है। अब जबकि प्रदेश में ग्राम संसद का चुनाव हो रहा है तो इस बात की पड़ताल करना लाजिमी है कि आखिर गांवों के किसानों को कब तक ठगा जाता रहेगा। हिमाचल किसान सभा के सहसचिव कुशाल भारद्वाज का कहना है कि दोनों सरकारों ने जम कर प्रदेश के किसानों को लूटा है। प्रदेश की घासनियां कांग्रेस घास की जद में हैं तो पशु चिकित्सकों का टोटा है, ऐसे मेे पशुपालकों की हालत पतली है।
सीएम ने लिखे सरपंचों को पत्र
कृषि विभाग के अनुसार मुख्यमंत्री ने व्यक्तिगत तौर पर पशु औषधालय की सुविधा से वंचित सभी पंचायतों के प्रधानों को पत्र लिखकर मुख्यमंत्री आरोज्य पशुधन योजना का लाभ उठाने को कहा है। अभी तक 79 ग्राम पंचायतें ‘मुख्यमंत्री आरोग्य पशुधन योजना’ के अंतर्गत नि:शुल्क भवन सुविधा और पशु सहायकों की सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए आगे आईं हैं। प्रदेश सरकार ने इन सभी 79 ग्राम पंचायतों में पशु औषधालय खोलने को स्वीकृति प्रदान कर दी है जिनमें से 19 मंडी जि़ला, 15 कांगड़ा, सात-सात पशु औषधालय हमीरपुर और शिमला जि़लों, 9 बिलासपुर, 8 कुल्लू, 6 चम्बा, 4 ऊना, 2 किन्नौर तथा एक-एक पशु औषधालय सिरमौर एवं लाहौल-स्पिति जि़लों में खोला जाएगा। इनमें से 54 पशु औषधालयों ने पहले ही कार्य करना आरंभ कर दिया है। दूसरे चरण में, उन पंचायतों में पशु औषधालय खोले जाएंगे जहां संबंधित पंचायतों द्वारा नि:शुल्क भवन और प्रशिक्षणरत वेटरीनेरी फार्मासिस्ट अथवा सेवानिवृत्त पशु सहायक की सेवाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी।
फार्मासिस्ट संभालेंगे पशुओं की सेहत
प्रदेश में कम से कम 103 पशु औषधालय शीघ्र ही खोले जाएंगे, जिन्हें प्रशिक्षु वेटरीनेरी फार्मासिस्ट संचालित करेंगे। इन सभी पंचायतों में पशु औषधालय खोलने और इनके संचालन के लिए सभी आवश्यक वस्तुएं एवं उपकरण पशु पालन विभाग मुहैया करवाएगा। दवाइयों के प्रावधान, तकनीकी उपकरणों, चारा बीज और रिकार्ड रजिस्टरों का प्रावधान विभाग ही करेगा। इसके अलावा, पशु सहायक को मासिक 5000 हज़ार रुपये के पारिश्रमिक का भुगतान भी पशुपालन विभाग करेगा।इस वर्ष 900 उम्मीदवारों को वेटरीनेरी फमासिस्ट का प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है, जिन्हें प्रशिक्षण पूरा करने के उपरांत पंचायत के नियंत्रण वाली प्रस्तावित नई डिस्पेंसरियों में नियुक्त किया जाएगा। प्रशिक्षण पूरा होने तक पशु औषधालयों के सुचारू संचालन के लिए सेवानिवृत्त पशु सहायकों की सेवाएं ली जाएंगी।
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