सुना सुना सा लगता है यह रोना भी मुस्काना भी
तेरे इश्क का चर्चा भी, मेरे गम का अफसाना भी
झूठ की कचहरी में जब सच का पर्दाफाश हुआ है
आरोपी बच निकले इन्साफ को कारावास हुआ है
मेरी जिस अदा पर आपको गुस्सा आया है
हमको यह अंदाज भी तो आपने सिखाया है
हमारी तो रात अपनी है, जिन्हें उठाना है जल्दी तो
हमारा मशविरा है उन दोस्तों को, वो अब जो जायें
गरीब के चिराग हैं दुश्वारियां समझ लेते हैं
बिना बताये ही जिम्मेवारियां समझ लेते हैं
तेरे इश्क का चर्चा भी, मेरे गम का अफसाना भी
झूठ की कचहरी में जब सच का पर्दाफाश हुआ है
आरोपी बच निकले इन्साफ को कारावास हुआ है
मेरी जिस अदा पर आपको गुस्सा आया है
हमको यह अंदाज भी तो आपने सिखाया है
हमारी तो रात अपनी है, जिन्हें उठाना है जल्दी तो
हमारा मशविरा है उन दोस्तों को, वो अब जो जायें
गरीब के चिराग हैं दुश्वारियां समझ लेते हैं
बिना बताये ही जिम्मेवारियां समझ लेते हैं
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