मंदिर के निर्माण के लिए बलि चढ़े पेड़ कमलाह फॉरेस्ट रेंज में उड़ार्ठ गई फॉरेस्ट नियमों की धज्जियां विभाग की अनुमति बिना वन विभाग की जमीन पर हो रहा निर्माण आरटीआई ब्यूरो, मंडी सरकाघाट की कमलाह फॉरेसट रेंज में बाबा कमलाहिया के मंदिर के निर्माण में दर्जनों पेड़ों की बलि दे दी गई है, जबकि दर्जनों अन्य पेड़ों को उखाडऩे की तैयारी की जा चुकी है। यहां वन नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए विभाग की बिना अनुमित से निर्माण कार्य करवाया जा रहा है। निर्माण कार्य के निलकने वाली मिट्टी और कचरे को सरेआम वन क्षेत्र में फैंका जा रहा है, जिसके चलते कई छोटे पौधों का वजूद भी खतरे में है। यह निर्माण कार्य स्थनीय मंदिर कमेटी की ओर से करवाया जा रहा है। हैरानी तो इस बात की है कि इस मंदिर की सरकारी कमेटी में वन मंडल अधिकारी जोगेंद्रनगर भी सदस्य हैं, बावजूद इसके वन विभाग की जमीन पर गैर कानूनी ढंग से निर्माण कार्य जारी है। वन विभाग की जमीन पर बिना अनुमित के शौचालय और उसके टैंक का निर्माण किया गया है। धडल्ले से जारी इस अवैध निर्माण को लेकर आरटीआई ब्यूरो के सदस्य भूपेंद्र सिंह भरमौरिया ने वन विभाग के उच्च अधिकारियो और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों से की है। अपनी शिकायत में उन्होंने कहा है कि जिस तरह विकास की अंधी दौड़ में वन परिक्षेत्र में वन नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, आलम यही रहा तो यहां के वनों का वजूद खत्म हो जाएगा। उन्होंने इस अवैध निर्माण की उच्च स्तरीय जांच करवा कर आरोपियों के खिलाफ कउ़ी कार्रवाई करने की मांग की है। वन भूमि पर बन गई तीन सड़केें वन विभाग से की गई शिकयत में भूपेंद्र सिंह ने कहा है कि क्षेत्र में वन विभाग की भूमि पर बिना वन विभाग की अनुमति से तीन सड़कों का निर्माण किया जा चुका है। इस बारे में खुलासा होने के बावजूद वन विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की है। उनका कहना है कि लिंक रोड़ नगैणी, लिंक रोड़ ब्रैहल और लिंक रोड़ नरवालका से हलोन सड़क का निर्माण वन विभाग की जमीन पर हुआ है और इस निर्माण कार्य में भी पेड़ों की बलि ली गई है। एडवोकेट भूपेंद्र सिंह, मेंबर आरटीआई ब्यूरो का कहना है कि कमलाह फॉरेसट रेंज में मंदिर निर्माण में सरेआम नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। यहां तीन सड़क मार्गों का निर्माण भी वन विभाग की भूमि पर बिना विभाग की मंजूरी से हुआ है। इस सारे प्रकरण की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। इस बारे मेें डीएफओ जोगेंद्रनगर अजीत ठाकुर, का कहना है कि मामला ध्यान में आया है। अगर यह निर्माण कार्य अवैध तरीके से हो रहा है तो इस मामले की जांच करवाई जाएगी। अगर निर्माण काय्र वन विभाग की बिना अनुमति के किए जा रहे हें तो आरोपियों के खिलाफ विभाग कार्रवाई करेगा।
हिमाचल में तीन नदियों में खनन पर रोक हिमाचल प्रदेश सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय के तहत राज्य से होकर बहने वाली तीन नदियों में खनन पर रोक लगा दी है। इन नदियों में कांगड़ा जिले की चक्की एवं न्यूगल नदियां एवं बिलासपुर जिले की सीयर नदी शामिल हैं। इस निर्णय के बाद इन नदियों पर रेत एवं पत्थरों का खनन पूरी तरह प्रतिबंधित हो गया है। राज्य के सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य मंत्री श्री रविन्द्र रवि का कहना है कि, इन नदियों में खनन पर इसलिए रोक लगाई गई है क्योंकि अनियंत्रित उत्खनन की वजह से नदियों में लगी कई पेयजल योजनाएं जबरदस्त रूप से प्रभावित हो रही हैं। न्यूगल नदी पर करीब 100 पेयजल योजनाएं कार्यरत हैं, जो कि पालमपुर एवं उसके आस पास के इलाकों को पेयजल उपलब्ध कराती हैं। जबकि अवैध उत्खनन से ये पेयजल योजनाएं प्रभावित हो रही हैं। कांगड़ा जिले में बनने वाली फेना सिंह नहर एवं शाह नहर को चक्की नदी से पानी की आपूर्ति की जाएगी। चक्की नदी के किनारे सैकड़ो वैध एवं अवैध क्रशर लगे हुए हैं। नदियों में अंधाधुंध खनन की वजह से पंजाब एवं हिमाचल प्रदेश की सीमा पर नदी के तल का कम से कम 30 से 40 फुट तक क्षरण हो चुका है। इससे नदी के तल में लगे हुए कई पेयजल योजनाएं प्रभावित हुई हैं। इन अवैध उत्खननों की वजह से सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं पर निवेश किए गए करोड़ो रुपये व्यर्थ हो सकते हैं। मंत्री ने यह भी स्वीकार किया है कि चक्की नदी पर करीब 35 अवैध क्रशर चल रहे हैं। हिमाचल के क्रशर के अलावा राज्य की सीमा से लगे पंजाब के इलाके में लगे करीब 200 अवैध क्रशरों ने नदी की पारिस्थितिकी को काफी ज्यादा प्रभावित किया है। चक्की नदी पर लगे इन अवैध क्रशरों के बारे में भारतीय वायु सेना एवं नागरिक उड्डयन विभागों ने संबंधित प्राधिकारों को पत्र लिखा है, इसके बावजूद भी नदी पर अवैध क्रशर बेरोक-टोक चल रहे हैं। अवैध क्रशरों की वजह से पठानकोट में संगठन के प्रतिष्ठानों को काफी नुकसान पहुंच रहा है। मंत्री का कहना है कि एक बार जब हिमाचल प्रदेश में अवैध खनन पर रोक लग जाएगी तो चक्की नदी पर हो रहे अवैध खनन के मामले पर पंजाब सरकार के साथ बात की जाएगी। प्रतिबंध को प्रभावी बनाने के लिए राज्य में बिजली विभाग और सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को अवैध उत्खननों पर चालान करने का भी अधिकार दिया जा रहा है। इन विभागों के कनिष्ठ अभियंता स्तर के अधिकारियों को भी यह अधिकार दिया जाएगा कि वे अवैध खनन करने वालों का चालान करें। इस तरह के प्रयास शुरूआत में तीन नदियों के लिए किए जा रहे हैं जबकि सरकार का विचार है कि बहुत जल्द ही राज्य के उन सभी नदियों में भी खनन पर ऐसे प्रतिबंध लगाए जाएंगे जिन पर पेयजल योजनाएं क्रियान्वित की गई हैं। राज्य सरकार का मानना है कि इस प्रयास से न सिर्फ पेयजल योजनाएं सुरक्षित हो जाएंगी बल्कि राज्य का पारिस्थितिकी संतुलन भी कायम रह पाएगा।