गुरुवार, 27 अक्तूबर 2011

लौटेंगे एमर्सन हाऊस के सुनहरी दिन

मंडी की ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण के लिए सरकार की अनूठी पहल
लौटेंगे एमर्सन हाऊस के सुनहरी दिन
भाषा- संस्कृति विभाग की प्रधान सचिव ने लिखा डीसी मंडी को पत्र
मंडी शहर के ऐतिहासिक एमर्सन हाऊस के सुनहरे पुराने दिन फिर से लोट आएंगे। धरोहर संरक्षण के लिए प्रदेश सरकार की ओर से अनठी पहल करते हुए डीसी मंडी को तत्काल इस भवन के संरक्षण के लिए अहम कदम उठाने के निर्देश दिए है। प्रधान सचिव भाषा एवं संस्कृति मनीषा नंदा ने इस संदर्भ में डीसी मंडी देवेश कुमार को इस ऐतिहासिक भवन के संरक्षण के लिए बजट में आवश्यक प्रावधान करने को कहा है। पुरातत्व विभाग की एक टीम ने भवन की इंस्पेक्शन के बाद रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। इसी रिपोर्ट के आधार पर प्रदेश सरकार ने इस भवन के संरक्षण की पहल की है। यह भी स्प्ष्ट निर्देश दिए गए हैं कि इस हेरिटेज भवन के संरक्षण का काम सरकारी एजेंसी से ही करवाना होगा और भवन के संरक्षण के लिए कोई भी कदम उठाने से पहले सरकार को अवगत करवाना होगा।
छबि में नहीं होगा कोई बदलाव
भाषा संस्कृति विभाग की प्रधान सचिव की ओर से डीसी मंडी को लिखे गए पत्र में कहा गया है इस धरोहर इमारत की छबि के साथ किसी प्रकार का फेरबदल न किया जाए। भवन के ऐतिहासिक महत्व को यथावत रखना होगा और भवन भवन में की गई लकड़ी की नक्काशी और सुंदरता के साथ किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं की जा सकेगी।
इतिहास होने की तैयारी में ऐतिहासिक भवन
राजतंत्र के वक्त की इस खूबसूरत बिल्डिंग की स्थिति ऐसी हो चुकी है कि अगर इसका तत्काल संरक्षण नहीं किया गया तो यह इमारत इतिहास के पन्नों में दर्ज होकर रह जाएगी। इमारत के चारों और लगाई लगी नक्काशीदार लकड़ी कई जगह से सड़ चुकी है, नक्काशीदार लकड़ी की रेलिंग सड़ चुकी है। इस खूबसूरत इमारत की कई खिड़कियां टूट चुकी हैं।
चंबा-लाहौल तक से जुड़ा इतिहास
मंडी के राजा जोगेंद्रसेन के सपरीटेंडेट एच डब्ल्यू एमर्सन के नाम पर इस इमारत का नाम एमर्सन हाऊस पड़ा। 1916 में निर्मित इस इमारत का कुठ हिस्सा 1933 में भी बना है। दशकों यह इमारत राजा के कब्जे में रही। 1966 तक इस इमारत में मंडी और चंबा का सत्र न्यायलय रहा। 1966 में पंजाब पुनर्गठन के बाद मंडी, कुल्लू और लाहौल स्पीति के सत्र न्यायलय संचालित किया जाता रहा। वर्तमान में भी इस इमारत के एक भाग में न्यायलय चल रहा है।
कोट्स
एमर्सन भवन का संरक्षण तत्काल करवाया जाना जरूरी है। इसके लिए बजट में आवश्यक प्रावधान किया जाए और सरकारी एजेंसी से भवन की मुरम्मत का काम करवाया जाए।
मनीषा नंदा, प्रधान सचिव भाषा एवं संस्कृति जिन्होंने डीसी मंडी को पत्र लिखा है।

भारत में तिरंगे का कारोबार कर रहा चीन


उत्सव के मौसम में बाजार में उतारे मेड इन चीन लाईट वाले भारत के राष्ट्रीय ध्वज
भारत में तिरंगे का कारोबार कर रहा चीन
220 वोल्टेज वाले 240 बरीक रोशनियों वाले तिरंगे बेचने पर मचा बवाल

पड़ोसी देश चीन ने हमारे देश में तिरंगे बेचने का कारोबार शुरू कर दिया है। उत्सव के मौसम में लाईट वाले मेड इन चाईना वाले तिरंगे बाजार में पहुंचने से हडक़ंप मच गया है। 220 वोल्ट और 240 बरीक रोशनियों वाले तिरंगों के बाजार में बिकने पर जहां रिडायर्ड फौजियों में जबरदस्त रोष है, वहीं इस बात की सूचना मिलने पर जिला प्रशासन में भी हडक़ंप मच गया है। इस संदर्भ में जिला प्रशासन ने जिला पुलिस को सारे मामले की पड़ताल करने और वास्तुस्थिति का पता लगाने के निर्देश दिए हैं। मंगलवार को इस संदर्भ में भारत पाक युद्व में महावीर चक्र विजेता सूबेदार कांशी राम, 1965 के भारत पाक युद्व में भाग ले चुके पूर्व सैनिक पूर्ण चंद और वीरचक्र विजेता सैनिक प्रेम सिंह के बेटे लक्षमेंद्र गुलेरिया ने इस मामले को अति संवेदनशील बताते हुए कड़ी आपत्ति जताते हुए इस सारे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उधर इस मामले की भनक लगते ही एसडीएम मंडी विनय कुमार ने कहा है कि इस बारे में पड़ताल करवाई जा रही है।
चीन चल रहा है चाल
पूर्व सैनिकों ने आरोप लगाया है कि चीन की ओर से भारत पर चारों तरफ से दबाव बनाया जाना दुर्भाग्यपूर्ण व संवेदनशील मुद्दा बन गया है। लद्दाख में हैलीकॉप्टर से सैनिक उतार कर चीन की फौज के लाल निशान पोतना हमारी प्रतिरक्षा को चुनौती है। भारत के अजात शत्रु समझे जाने वाले दुश्मन देश पाकिस्तान को चीन क्यों परमाणु तकनीक दे बैठा। पाक अधिकृत कश्मीर में चीन के सैनिक की मौजूदगीचुनौती पेश कर रही है।चीन एक ओर आंखें तरेर रहा है तो दूसरी ओर भारत के आर्थिक तंत्र को नष्टï करने में चीन का मुख्य रोल है। यह कम दुर्भागय्पूर्ण नहीं कि भारत का राष्टï्रीय ध्वज तिरंगा भी चीन से बनकर भारत के बाजारों में बिक रहा है।
कोट्स
भारत के राष्ट्रीय ध्वज को चीन में निर्मित कर भारत के बाजार में बेचना न केवल संवेदनशील मुद्दा है बल्कि भारत में बढ़ते चीन के दखल का सबूत भी है।
सूबेदार कांशी राम, 1962 के चीन पाक युद्व में महावीर चक्र विजेता
कोट्स
भारत के पूर्व के अनुभव साफ खुलासा करते है कि चीन ने न केवल पंचशील के सिद्वांतों के साथ खिलबाड़ किया, बल्कि हिंदी- चीनी भाई- भाई के नारे को भी बदनाम किया।
पूर्ण चंद, 1965 के युद्व में भाग लेने वाले पूर्व सैनिक
कोट्स
आखिर चीन को भारत के राष्ट्रीय ध्वज के भारत में कारोबार का अधिकार किसने दिया। दस सारे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।
लक्षमेंद्र गुलेरिया, वीरचक्र विजेता प्रेम सिंह के बेटे एवं मंडी बचाओ संघर्ष समिति के सदस्य।
कोट्स
इस संदर्भ में हमें मीडिया से ही सूचना मिली है। जिला पुलिस को इस संबंध में सारा पता लगाने के निर्देश जारी किए गए है।
विनय कुमार, एसडीएम मंडी।

रविवार, 9 अक्तूबर 2011

गीत


गीत
सुण अडिय़े नैणो, तेरे नैण जुगाड़ु ओ।
तूं बुटी चंबे दी, सारे कैहण जुगाड़ु ओ।।

आड़ू मुक्के हो, बागां पक्के दाड़ू ओ।
फुलणा लग्गे हो, सारे साग सुआड़ू ओ।।
बत्ता -रस्तें हो, ताकां रैहण जुगाड़ू ओ।।
तूं बूटी चंबे दी, सारे कैहण जुगाड़ू ओ
सुण अडिय़े नैणो......