शनिवार, 19 मार्च 2011

मानसून का जुआ खेलते पहाड़ के किसान



कैसे मिले प्साये खेतों को पानी, कैसे दूर हो किसान की परेशानी

मानसून का जुआ खेलते पहाड़ के किसान
कृषि योग्य आधी भूमि के लिए नहीं हुआ अभी तक सिंचाई सुविधा का प्रबंध
पंचायती चुनाव में सिंचाई सुविधा का अभाव भी है एक बड़ा चुनावी मुद्दा

प्रदेश सरकार के किसान मानसून का जुआ खेलने को मजबूर हैं। सिंचाई सुविधा के अभाव में प्रदेश के किसान अब खेत खलिहान से दूर होते जा रहे हैं। बिना सिंचाई सुविधा के अभाव में प्रदेश के कई हिस्सों में खेत बंजर बनते जा रहे हैं। बिजाई के बाद किसानों को सिंचाई के लिए इंद्रदेव की मेहरबानी का मोहताज होना पड़ रहा है। यहां की ज्यादातर सिंचाई व्यवस्था कूहलों के सहारे है लेकिन प्रदेश के नदी नालों में कम होती पानी की मात्रा के चलते अधिकतर कूहलों को वजूद मिट गया है। प्रदेश की अढ़ाई लाख हैक्टेयर से ज्यादा भूमि के लिए अभी तक सिंचाई का प्रबंध दूर की कौड़ी है। हिमाचल प्रदेश में कुल 55.67 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में से केवल 5.83 लाख हेक्टेयर क्षेत्र ही कृषि योग्य हैं। प्रदेश सरकार के दावों के अनुसार, प्रदेश की कुल सिंचाई क्षमता लगभग 3.35 लाख हेक्टेयर है, जिसमें से 50 हजार हेक्टेयर क्षेत्र को बड़ी एवं मध्यम सिंचाई योजनाओं तथा 2.85 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को लघु सिंचाई येाजनाओं के बलबूते सिंचित किया जा रहा है। आंकड़े खुद गवाही देते है कि खेत और किसान की बातें बेशक नेताओं की जुबान पर रहती हों लेकिन जमीनी सच्चाई यह है कि खेत खलिहान तक सरकारों की नजर नहीं पहुंच पाई है। हालांकि सरकारी आंकड़े दावा करते हैं कि प्रदेश में सिंचाई सुविधाएं उपलब्ध करवाने पर इस वित्त वर्ष के दौरान 216.38 करोड़ रुपए व्यय किए जा रहे हैंर्। लघु सिंचाई येाजनाओं के अंतर्गत 3600 हेक्टेयर क्षेत्र तथा बड़ी एवं मध्यम सिंचाई येाजनाओं के अंतर्गत 3000 हैक्टेयर क्षेत्र को सिंचाई उपलब्ध होने की उम्मीद की जा रही है।
लंबी होती नहरें
कूहलों, नालों और नदियों वाले प्रदेश में नहरों के बलबूते सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाने की सरकारी कसरत लेट लतीफी का शिकार है। 310 करोड़ रुपए की लागत से बन रही शाहनहर सिंचाई परियोजना के लिए जो समय निर्धारित किया था, कब का पूरा हो चुका है। पंजाब व हिमाचल की इस संयुक्त परियोजना में पंजाब हमेशा अपना हिस्सा देने में देर करता रहा है। परियोजना के पूरा होने से क्षेत्र के 15,287 हेक्टेयर कृषि योग्य क्षेत्र को सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी। अभी तक इस परियोजना के अन्तर्गत 272 करोड़ रुपए व्यय किए जा चुके हैं । उम्मीद की जा रही है कि इस परियोजना का निर्माण कार्य मार्च, 2012 तक पूरा हो जाएगा ।
चंगरों में कब पहुंचेगा पानी
बेशक प्रदेश में सिंचाई सुविधा प्रदान करने के लिए कई अहम योजनाओं पर काम चल रहा हो, लेकिन परियोजनाओं की गति को देखते हुए लग नहीं रहा है कि ये परियोजनाएं समय पर पूरा हो जाएंगी।
सिद्धाता मध्यम सिंचाई परियोजना का निर्माण कार्य जारी है। सरकार का दावा है कि 66.35 करोड़ की यह परियोजना मार्च 2011 में पूरी हो जाएगी और इससे 3150 हेक्टेयर क्षेत्र को सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी।
मध्यम चंगर सिंचाई परियोजना एक अन्य महत्वकांक्षी परियोजना है। यह परियोजना बिलासपुर जि़ला में निर्माणाधीन है। 88.09 करोड़ की इस परियोजना पूरा होने पर 2350 हेक्टेयर क्षेत्र को सिंचाई सुविधा मिलने की उम्मीद विभागीय अधिकारी कर रहे हैं।
लेफ्ट बैंक में लेफ्ट राईट
मंडी जि़ला में बल्ह घाटी में लैफ्ट बैंक परियोजना का कार्य चल रहा है। लगभग 62.25 करोड़ की लागत से बनने वाली इस परियोजना से क्षेत्र के 2780 हेक्टयेर क्षेत्र को सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी। इस परियोजना का का काम जैन इरीगेशन को ‘टर्न-की’ आधार पर सौंपा गया है इसका निर्माण कार्य मार्च 2012 तक पूरा करने के सरकारी दावों की पोल खुलनी शुरू हो गई है। कंपनी के खिलाफ मजदूर श्रम कानूनों का उल्लंधन करने के आरोप में सडक़ों पर उतर रहे हैं। 147.15 करोड़ रु की फीनासिंह मध्यम सिंचाई परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट स्वीकृति के लिए केंद्र सरकार को भेजी है।
दिल्ली में फंसी पहाड़ की परियोजनाएं
कांगड़ा जि़ले की झलाड़ी, भूम्पल तथा पुत्रैल मध्यम सिंचाई परियोजनाओं को भी स्वीकृति हेतु केंद्र सरकार को भेजा गया है। 51.58 करोड़ की इन परियोजनाओं को आगामी पांच वर्ष के भीतर पूरा किया जाना है।
त्वरित सिंचाई सुविधा कार्यक्रम के अन्तर्गत लघु सिंचाई परियोजनाओं की दो ‘शैल्फ’ को पूरा किया जा चुका है, जिसमें वर्ष 2003 से लेकर वर्ष 2005 तक 14.05 करोड़ रुपये की 45 लघु सिंचाई परियोजनाएं तथा दूसरी वर्ष 2005 से वर्ष 2009 तक 45.65 करोड़ रुपये की 95 परियोजाएं शामिल है। राज्य सरकार ने 116 लघु सिंचाई परियोजनाओं की स्वीकृति का मामला भी केन्द्र सरकार से उठाया है।,जिन पर 120.72 करोड़ व्यय होंगे । त्वरित सिंचाई सुविधा कार्यक्रम के अन्तर्गत 158.89 करोड़ की 189 लघु सिंचाई योजनाओं का मामला केंद्र में विचाराधीन है। नाबार्ड तथा आईआरडीएफ. के तहत 145 करोड़ लागत की 117 परियोजनाएं स्वीकृत की गई है। सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य मंत्री रविंद्र रवि कहते हैं कि वर्तमान प्रदेश सरकार के सत्ता में आने के बाद 9878 हेक्टेयर क्षेत्र को सिंचाई के तहत लाया गया है, जिसमें से लघु सिंचाई के अन्तर्गत 4935 हेक्टेयर तथा बड़ी एवं मध्यम सिंचाई योजना के अन्तर्गत 4943 हेक्टेयर क्षेत्र शामिल है।

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