मंगलवार, 11 दिसंबर 2012

खाक लिखूंखाक लिखूंखाक लिखूंखाक लिखूं


c गज़़ल में इश्क की खुमारी।
जवानी को तो यहां खा गई बेरोजगारी।।
उस गांव में आज तक यौवन नहीं आया।
सदा बुढ़ापा रहा वहां बचपन पर भारी ।।
हर युग में दांव पर लगती रही पंचाली।
आंखों में सदा पट्टी ही बांधे रही गंधारी।।
किताबों में ही बंद रही कबीर की वाणी।
साहित्य में भी रही चम्मचों की सरदारी।।

मनाली और मलाणा


चाहत में अपना-अपना अलग मुकाम रहा।
वहां तेरा नाम रहा,तो यहां मेरा नाम रहा।।
तेरे हुस्न के चर्चे तो मनाली की तरह रहे।
इश्क मेरा मलाणा की तरह बदनाम रहा।।

सुविधाओं के दौर में रिश्ते संभालता कोई।

कामयाबी खुद रख मुझको नाकाम लिख दे।
मेरे नाम अपने हिस्से के इलजाम लिख दे।।
तोहमत, गर्दिश, फजीहत तमाम लिख दे।।
मेरे उजडऩे का आखिरी फरमान लिख दे।।
बुलंदियों पर रख अपनी किस्मत के सितारे।
वक्त की गर्त में मुझको गुमनाम लिख दे।।
बांध अपने सिर जीत का सेहरा और मुझे।
अधूरा हर ख्वाब,टूटा हर अरमान लिख दे।।
सुविधाओं के दौर में रिश्ते संभालता कोई।
मैं अपने पेशे में हूं सबसे बदनाम लिख दे।।
जीत की जिद नहीं हो ऐसा कोई सरफिरा।
कौम के नाम मेरा आखिरी पैगाम लिख दे।।

पौंग बांध के लिए उन्हें उजडऩा नहीं आया......

पौंग बांध के लिए उन्हें उजडऩा नहीं आया......

मिलने की जिद थी हमें बिछुडना नही आया।
दुश्मन हुए दोस्त तो हमें लडऩा नहीं आया।।
इल्म ओ हुनर शोहरत के जो सब जानता था।
उसी की नजर में हमको चढऩा नहीं आया।।
अपनी दोस्ती में कभी ऐसा लम्हा नहीं आया।
हमें रूठना नहीं तो तुम्हें बिगडऩा नहीं आया।
अपने खूंटे में ही सदा बंधी रही बेचारी भैड्डस।
गाय ने बगावत की उसे उखडऩा नहीं आया।।
हल्दी घाटी मे बसे जा हल्दूण के विस्थापित।
पौंग बांध के लिए उन्हें उजडऩा नहीं आया।।

राजतिलक जो न हो कभी वनवास नहीं होता।।

किराये का आवास कभी अपना निवास नहीं होता। 
मैं तो इक विस्थापित हूं, मेरा पुनर्वास नहीं होता।।
तोड़ कर अपना जिस्म मुंह में जाता है निबाला।
उसके लिए भूखा पेट कभी उपवास नहीं होता।।
सरकारी साजिश से गढ़ दी जाती कई कहनियां।
सच का ही दस्तावेज कभी इतिहास नहीं होता।।
आभूषणों की जगह अभावों से लदी है दुल्हन। 
हर इक मधुर मिलन में भी मधुमास नहीं होता।।
राम के अधिकार पर भारी कैकयी की दावेदारी।
राजतिलक जो न हो कभी वनवास नहीं होता।।
कभी कभी ही होती है शराबनोसी भी बदनाम।
चंद्रमुखी संग पारो न हो तो देवदास नहीं होता।।