शनिवार, 28 जनवरी 2012

हम अपने हिस्से का सूरज उगाएंगे

गीत
हम अपने हिस्से का सूरज उगाएंगे।
कुछ टूटे सपनों को नए पंख लगाएंगे।।
उठ के जमीं से हम अंबर को छू लेंगे।
जो नजर चुराते है, वो नजर झुकाएंगे।।
अपना राज दिलों पर है,नहीं सिरों पर है।
जो पीछे छूट गया, उसको साथ चलाएंगे।
हो बराबर का जब भी बंटवारा हो।
यह गाते आए हैं, यह गाते जाएंगे।।

उजड़े दिलड़ू पौंगां साई

ग़ज़ल

सारी उम्र नही सके बसाई
जे उजड़े दिलड़ू पौंगां साई

मन मसरूर बणाणा पेाणा
जे पत्थरां ने प्रीत लगाई

अंदरेटे देयां जे रंगा रंगोई
नौरा है नौखी रीत चलाई

जां टकरे गोरे जो भलखू
तां शिबंले तक रेल पुजाई

प्रेमकथा दा सार है इतना
दिलड़ू अनणा प्रीत पराई

कमेंटां फेसबुक ते करदी।

कमेंटां फेसबुक ते करदी।
वाल ते रोज पोस्टां करदी
सानू भी लाईक तूं करदी
फोटो भी टैग तूं करदी
मितरां ताईं कदे कदे तां लैपटॉप ते हिलया कर।
कदी फेस टू- फेस भी मिलेया कर ।।
सवेरे गुड मार्निंगां करदी
रात नू गुड नाईट भी करदी
जद भी चैट तूं करदी
गलां मिठियां मिठिया करदी
मितरां ताईं कदे कदे तां लैपटॉप ते हिलया कर।
कदी फेस टू- फेस भी मिलेया कर ।।
बडियां रक्वेस्टां करदी।
कनफर्म किसे किसे नू करदी
अपडेट स्टेटस करदी।
रोज तूं एड फोटुआं करदी।
मितरां ताईं कदे कदे तां लैपटॉप ते हिलया कर।
कदी फेस टू- फेस भी मिलेया कर ।

हक अगर मिलते

हक अगर मिलते नहीं जो मांग कर ।
क्यों न जाएं हम हदों को लांघ कर।।
खा चुके हो तुम जो शर्म बेच कर ।
हम भी रख देंगे शराफत टांग कर ।।

टैटू बणना लग्गे

टैटू बणना लग्गे हुण सिंगार जे अंगा दे।
बैंड कलाईयां फब्बे, गेय जमाने बंगा दे।।

ऐसा तो कई बार हुआ है

ऐसा तो कई बार हुआ है जीवन की कठिनाईयों में।
कोई अचानक आन मिला हर बार हमें तन्हाईयों में ।।
दौलत की चक्कर में तुम चाहत से बड़ी दूर हुए।
हम थोड़े से इनसान हुए गर्दिश और रुसवाईयों में ।।
कविताओं में जी लेते हैं, गीतो का रस पी लेते हैं।
हम को सकंक आ जाता है, ग़ज़लों और रूबाईयों में।

ऐसा तो कई बार हुआ है

ऐसा तो कई बार हुआ है जीवन की कठिनाईयों में।
कोई अचानक आन मिला हर बार हमें तन्हाईयों में ।।
दौलत की चक्कर में तुम चाहत से बड़ी दूर हुए।
हम थोड़े से इनसान हुए गर्दिश और रुसवाईयों में ।।
कविताओं में जी लेते हैं, गीतो का रस पी लेते हैं।
हम को सकंक आ जाता है, ग़ज़लों और रूबाईयों में।

शुक्रवार, 20 जनवरी 2012

शिमला का चौकीदार, मंडी राजमहल का खरीददार

मंडी में हुए बेनामी सौदे की जांच के बाद पुलिस ने कोर्ट में पेश किया चालान
शिमला का चौकीदार, मंडी राजमहल का खरीददार

पुलिस ने अपनी फाइनल रिपोर्ट में सात लोगों को बनाया गया आरोपी

शिमला का एक अदना सा चौकीदार खूब राम मंडी राज परिवार की लाखों की प्रापटी के खरीद लेता है। आरटीआई में जब इस सौदे की परतें खुलती है तो करोड़ों के इस बेनामी सौदे का पटाक्षेप हो जाता है। खूब राम तो एक मोहरा है जिसके सहारे करोड़ों की इस प्रापर्टी का बेनामी सौदा हो रहा था। मंडी राजमहल के करोड़ों के बेनामी सौदे में मंडी पुलिस ने जांच पूरी कर सीजेएम कोर्ट मंडी में चालान पेश कर दिया है। पुलिस ने अपनी फाइनल रिपोर्ट में सात लोगों को इस बेनामी सौदे में विभिन्न धाराओं के तहत आरोपी करार दिया है। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 409, 465, 201,182, 120 बी और बेनामी ट्राजेंक्शन प्रोहिविसन एक्ट 1998 की धारा 3 के तहत मामले बनाए हैं।
स्पेशल केस: स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम
3 साल पहल मंडी के राजमहल के बेनामी सौदे की मीडिया में सुर्खियां बनी थी। इस बारे में तत्कालीन डीसी मंडी ओंकार शर्मा के आदेश के बाद एसपी मंडी एम चंद्रशेखर ने सिटी चौकी प्रभारी चेतराम भंगालियां से आरंभिक जांच करवाई । आरंभिक जांच में बेनामी सौदे का सच सामने आने और कम स्टंप डयूटी देकर सरकार को लाखों का चूना लगाने के मामले का खुलासा होने पर स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम गठित की गई। तत्कालीन डीएसपी सुंदरनगर गुरदेव , एसएचओ सदर राजेश कुमार और सिटी चौकी प्रभारी चेतराम इस टीम में शामिल थे। स्पेशल इनवेस्टिगेंशन ने इस मामले की जांच पूरी कर चालान पेश किया।
प्रापर्टी की डील में यूपी कनेक्शन
इस मामले में जहां प्रापर्टी का खरीददार शिमला के एक स्कूल में बतौर चौकीदार नौकरी करने वाला खूब राम था, तो ख्ूाब राम में नाम पर पैसा दिखाने के लिए जिस व्यक्ति के साथ खूब राम के शिमला स्थित मकान का फर्जी सौदा दिखाया गया, वह सुधीर मलिक उत्तर प्रदेश के मुज्जफरनगर का रहने वाला है। सात आरोपियों में वह भी एक आरोपी है।
लडक़ी के बलबूते डील
पुलिस के चालान में आरोपी नंबर सात देवेंद जम्वाल के पास राजमहल की प्रापर्टी की पावर ऑफ अनार्टी थी, हालांकि पुलिस जांच के अनुसार सौदे के पहले ही वह रद्द हो चुकी थी। पुलिस जांच में इस बात का खुलासा हुआ है कि इस सौदे के पीछे देवेंद्र जम्वाल को शादी का झांसा दिया गया था। जांच के अनुसार देवेंद्र जम्वाल इस प्रापर्टी का सौदा अपने होने वाले ससुर से कर रहा था।
प्रापर्टी और पॉलीटिकल कनेक्शन
जांच में इस बात का खुलासा हुआ है कि इस प्रापर्टी को तोड़ कर शॉपिंग माल बनाने की योजना था। रिपोर्ट कहती है कि सदर के विधायक अनिल शर्मा ने आरोपियों को एक पचास लाख का क्रास चैक, 25 लाख का एक अन्य चैक और दस लाख का तीसरा चैक दिया था। इतना ही नहीं उनकी पत्नी के खाते से भी 37.5 लाख का एक चैक आरोपियों को दिया गया था। हालाकि इस बेनामी सौदे में उन्हें पुलिस ने आरोपी नहीं बनाया है।
राजदेवता माधोराय का सौदा
इस बेनामी सौदे की गूंज इसलिए ज्यादा सुनाई दी क्योंकि इसी इमारत मे मंडी के राज देवता माधोराय का मंदिर है। इस मंदिर के साथ शहर ही नहीं, बल्कि सारे जनपद के लोगों की आस्था जुड़ी है। मंडी में लगने वाले अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि मेले में जनपद से आने वाले सैंकड़ों देवता यहां आकर शीश नवाते हैं।
मिली जान से मारने की धमकी
इस मामले का पटाक्षेप करने वाले आरटीआई के एक्टिविस्टों को जान से मारने की धमकी भी आरोपियों की ओर से दी गई। इस संदर्भ में एसपी मंडी से लिखित शिकायत के बाद सदर थाना मंडी में मामला दर्ज हुआ है।
इन पर है राजमहल के बेनामी सौदे के आरोप
नाम आरोप गिरफ्तार
खूब राम 465, 120 बी आईपीसी, 29. 8. 2008
सेक्सन 3 ऑफ बेनामी एक्ट
सुधीर मलिक 465 आर्अपीसी 20.9. 2008
सुरेंद्र सिंह देष्टा 465, 120 बी आईपीसी 12. 11. 2008
संजय कुमार 465, 120 बी आईपीसी 12. 11. 2008
रूप लाल 182, 201, 465,120 बी आईसी 11. 11. 2008
संजय कुमार सेक्सन 3 ऑफ बेनामी एक्ट 16.10. 2008
देवेंद्र जम्वाल 409 आईपीसी 14.1.2009

पुलिस ने जांच में कई आरोपियों के खिलाफ जांच नहीं की है। इस बेनामी सौदे में जिस रसूखदार राजनीतिज्ञ का लाखों रूपए लगा, उससे पूछताछ तक नहीं की गई है।
लवण ठाकुर,प्रदेश संयोजक, आरटीआई ब्यूरो, मंडी, जिन्होंने आरटीआई से मामले का पटाक्षेप किया

राजमहल के बेनामी सौदे के मामले में पुलिस ने जांच पूरी कर कोर्ट में चालान पेश कर दिया है। सीजेएम कोर्ट में चालान 26 अप्रैल को पेश किया गया है।
पीडी प्रसाद, एसपी मंडी ।

अबला अब बनेगी सबला

किशोरियों के लिए केंद्र की नई योजना में हिमाचल के चार जिले शामिल
अबला अब बनेगी सबला
देश के 200 जिलों को इस पायलट प्रोजेक्ट के लिए हुआ चुनाव
कुपोषित किशोरियों को न्यूट्रिशन देने के लिए शुरू हुई योजना
प्रयोग सफल रहा तो देश के हर जिले में शुरू की जाएगी योजना

कुपोषित किशोरियों के लिए न्यूट्रिशन प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से शुरू की जा रही राजीव गांधी सबला योजना में हिमाचल प्रदेश के चार जिलों को शामिल किया गया है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर देश के चुने गए 200 जिलों में शुरू हो रही इस योजना में हिमाचल प्रदेश के चंबा, कुल्लू, सोलन और कांगड़ा जिला को शामिल किया गया है। केंद्र के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक जोशी ने इस बारे में प्रदेश सरकार को लिखे पत्र में इस योजना को शुरू करने से पहले तमाम सर्वेक्षण और अन्य कागजी खानापूर्ति करने के लिए प्रदेश सरकार को खत लिखा है। शुरू में दो साल के लिए चलने वाली इस अहम योजना को अगर सफलता मिलती है तो इसे देश के सभी जिलों में लागे किए जाने का केंद्र सरकार की योजना है। योजना का उद्देश्य कुपोषित किशोरियों को कुपोषण से बाहर निकालना है। प्रदेश की सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्री सरवीण चौधरी का कहना है कि इस योजना को शुरू करने के लिए केंद्र की ओर से मंागी गई तमाम सूचनाएं उपलब्ध करवाई जा रही है। उन्होंने उम्मीद की है कि इस योजना के शुरू होने से कुपोषण का शिकार ग्रामीण क्षेत्र की किशोरियों के स्वास्थ्य में अहम सुधार होगा।
पूरा हुआ बेस लाइन सर्वेक्षण
केंद्र सरकार की ओर से इस योजना केा शुरू करने के लिए 27 सितंबर को प्रदेश सरकार को पत्र लिख कर योजना के लिए चारों जिलों में किशोरियों को लेकर बेस लाईन सर्वे करने को कहा था। प्रदेश महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सर्वेक्षण 30 नवबंर से पहले कर इसकी रिपोर्ट केेंद्र सरकार को भेजने थी। विभाग की ओर से योजना को शुरू करने के लिए सर्वेखण एवं अन्य औपचारिकताएं पूरी कर केंद्र सरकार को भेज दी गई हैं।

राजीव गांधी सबला योजना प्रदेश के 200 जिलों में बतौर पायलट प्रोजेक्ट शुरू हो रही है। इस परियोजना में कुल्लू, चंबा, सोलन और कांगड़ा जिले शामिल हंै।

विवेक जोशी, संयुक्त सचिव केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय।

इय योजना को शुरू करने के लिए केंद्र की ओर से बेस लाईन सर्वे करवाने के लिए जो प्रदेश सरकार को आदेश दिए थे, वह सर्वे करवा कर रिपोर्ट केंंद्र को भेज दी है।

सरवीण चौधरी, सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्री हिमाचल प्रदेश।

अंधेरा दूर करने में अंधेरगर्दी

अढ़ाई करोड़ फूंकने के बाद भी गरीबों के घर तक नहीं पहुंची रोशनी
अंधेरा दूर करने में अंधेरगर्दी
राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना को पिछड़े द्रंग में दिखाया ठेंगा
176 परिवारों को उपलब्ध करवानी थी बिजली, मिली एक परिवार को

अंधेरा दूर करने के नाम पर जम कर अंधेरगर्दी मचाने के मामले का पटाक्षेप हुआ है। केंद्र सरकार की महात्माकांक्षी राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना को मंडी के पिछड़े इलाके द्रंग में ठेंगा दिखा दिया गया है। करोड़ों फूंकने के बावजूद गरीबों के घरों तक रोशनी पहीं पहुचाई गई है। हालांकि द्रंग के गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले 176 परिवारों को इय योजना के तहत बिजली सुविधा उपलब्ध करवाई जानी थी लेकिन योजना का निर्धारित समय पूरा होने के बावजूद सिर्फ एक परिवार को ही इस योजना का लाभ मिल पाया है। फरवरी 2009 में दिल्ली की एक कंपनी को 2 करोड़ 60 का काम आबंटित किया गया था और यह काम एक साल के अंदर पूरा करना था , लेकिन हकीकत यह है कि कंपनी की ओर से तय समय सीमा के अंदर आधा काम भी पूरा नहीं किया गया है। इतना ही नहीं कंपनी की ओर से अभी तक जो काम किया भी गया है, उसकी गुणवता को लेकर भी सवालिया निशान लगे हैं। इस योजना के तहत लगाए गए पोल धराशायी होने शुरू हो गए हैं तो बिछाई गई तार भी कई जगह लटकनी शुरू हो गई है। बताया जा रहा है कि कंपनी को काम की ऐवज में भारी भरकम भुगतान भी हो चुका है। ऐसे में जहां कंपनी की कार्यप्रणाली शक के घेरे में है, वहीं विभाग के अधिकारियों पर भी अंगुली उठनी शुरू हो गई है। इस योजना में बड़े घोटाले की बू आ रही है। हालांकि कंपनी को फरवरी 2011 तक काम पूरा करने के आदेश जारी किए गए हैं।
न ट्रांसफार्मर लगे न लाईनें बिछी
सूत्रों के अनुसार द्रंग ब्लाक में इस योजना के तहत 16 ट्रांसफार्मर लगाए जाने थे, लेकिन अभी तक केवल 4 ट्रांसफार्मर ही स्थापित किए जा सके हैं। योजना के तहत एच और एलटी लाईनें भी बिछाई जानी थी लेकिन अभी तक लाईनें बिछाई ही नहीं जा सकी हैं। लाईनों के लिए पोल लगाने का काम भी गड्ढे खोदने से आगे नहीं बढ़ पाया है। ऐसे में साफ दिख रहा है कि तय समय सीमा के दो साल बाद भी द्रंग के गरीबों को बिजली नसीब होने की कोई सूरत नहीं दिख रही है।
कंपनी को लाखों का जुर्माना
निर्धारित समय पर काम पूरा न कर पाने पर कंपनी को 13 लाख रूपए का जुर्माना भी उाला गया है, लेकिन फिर भी कंपनी काम करने में गंभीर नजर नहीं आ रही है। बिजली विभाग की ओर से यह भी दलील दी जा रही है कि कंपनी को योजना पूरी करने के लिए अतिरिक्त समय दिया गया है। अगर कंपनी निर्धारित समय अवधि में काम पूरा नहीं कर पाती है तो कंपनी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होना तय है। कपाम की गुणवता को लेकर भी जांच शुरू हो गई है।

कंपनी को लेटलतीफी के लिए 13 लाख का जुर्माना किया गया है। कंपनी को नोटिस जारी कर फरवरी तक काम पूरा करने को कहा गया है। कंपनी पीर कानूनी कार्रवाई की तैयारियां चल रही हैं।

परवेश ठाकुर, अधिशाषी अभियंता, विद्युत मंडल जोगेंद्रनगर ।

जहरीला पहाड़ की झीलों का पानी

खज्जियार, रिवालसर और रेणुका झीलें प्रदूषित, कैग रिपोर्ट का खुलासा
जहरीला पहाड़ की झीलों का पानी
पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के राष्ट्रीय नदी व झील संरक्षण कार्यक्रम में नहीं शामिल

कभी नीले और साफ पानी को लेकर मशहूर रही हिमाचल प्रदेश की तीन झीलें पूरी तरह से प्रदूषित हो गई हैं, बावजूद इसके इस झीलों को केंद्र के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के राष्ट्रीय नदी एवं झील संरक्षण मिशन में शामिल नहीं किया गया है। यह खुलासा नियंत्रक एवं महालेखाकार (कैग) की रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चंबा के खज्यिार में स्थित खज्जियार झील, सिरमौर के रेणुका में स्थित प्रदेश की सबसे बड़ी झील रेणुका और मंडी के रिवालसर में स्थित रिवालसर झील पूरी तरह से प्रदूषण का शिकार हो चुकी है, बावजूद इन झीलों को राष्ट्रीय नदी व झील संरक्षण का हिस्सा नहीं बनाया गया है। झीलों के अलावा व्यासकुंड से निकलनी बाली ब्यास नदी और सिरमौर में बहने वाली मारकंडा नदी का पानी हिमाचल प्रदेश के क्षेत्र में भी कई स्थानों पर जहरीला हो चुका है, लेकिन दोनों नदियों को भी केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की ओर से राष्ट्रीय नदी एवं झील संरक्षण कार्यक्रम में जगह नहीं मिली है।
मिनी स्वीटजरलैंड मेें तालाब में तबदील हुई झील
मिनी स्वीटरजरलैंड के नाम से मशूहर चंबा की बेहद रणमीय खज्जियार घाटी में देवदार के घने पेड़ों के बीच स्थित खज्जियार झील अब तालाब में तबदील हो चुकी है। झलहौली से 16 किलोमीटर और चंबा से 25 किलोमीटर दूर कालाटोप वाइल्ड लाईफ सेंचूरी के अंदर स्थित इस झील के संरक्षण की हर योजना फेल हो चुकी है।
त्रिवेणी संगम में सीवरेज की मार
हिंदू, सिखों और बौद्वों के त्रिवेणी संगम रिवालसर में स्थित रिवालसर झील मंडी से 24 किलोमीटर दूर है। सीवरेज से निकलने वाली गंदगी की मार से झील का पानी पूरी तरह से पूदूषित हो चुका है। समुद्र तल से 1360 मीटर की ऊंचाई पर स्थित 735 मीटर वृत वाली इस झील को बचाने के पिछले अढ़ाई दशक से हो रहे प्रयास नाकाफी साबित हुए हैं।
सबसे बड़ी झील सबसे ज्यादा प्रदूषित
प्रदेश की सबसे बड़ी झील सिरमौर के रेणुका में स्थित है, लेकिन परशुराम की तपोस्थली रही यह झील भी प्रदूषण के पंजे में आ चुकी है। रेणुका बांध के विवाद के चलते चर्चा में चल रही रेणुका झील में पहुंचने वाले नदियों और सहायक नदियों में प्रदूषण बढऩे से रेणुका झील जहरीली हो चुकी है।

भूजल को लेकर नहीं कोई खतरा
झीलों और नदियों को लेकर बेशक कैग की रिपोर्ट चितित करने वाली हो, लेकिन इस रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में भूजल को लेकर स्थिति बेहतर है। प्रदेश के 68 ब्लॉको में कहीं भी भूजल के अत्याधिक दोहन अथवा कमी की कोई बात नहीं है। प्रदेश का भूजल अच्छी गुणवता का पाया गया है।

रेणुका, रिवालसर और खज्जियार झीले प्रदूषित हैं और ब्यास और मारकंडा नदी के कई हिस्सो का जल प्रदूषित हो चुका है, लेकिन ये पांचों वाटर बॉडीज केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के राष्ट्रीय नदी एवं झील संरक्षण का हिस्सा नहीं हैं।

रविंद्र शर्मा,एसडीओ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, बिलासपुर
प्रदेश में वाटर बॉडीज के संरक्षण के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं हुए हैं। प्रदेश की झीलों और नदियों का प्रदूषित होना चिुंता की बात है, वहीं पर्यावरण संरक्षण के दावों की पोल भी खोलती हैं।

कामरेड रत्न चंद, प्रसिद्व पर्यावरणविद्व ।
हर साल सौ टन टाऊट मछली पैदा करने वाले पहाड़ पर नहीं मिल रहे खरीददार
ठंडे पानी की मछली का कारोबार हुआ ठंडा
मंडी, कुल्लू, शिमला और किन्नौर में ट्राऊट फार्मिंग से मुंह मोडऩे लगे लोग

विपणन की कोई व्यवस्था न होने पर अपने उत्पाद की पूरी कीमत नहीं मिल पाने के चलते प्रदेश में ट्राऊट फार्मिंग करने वाले लोग इस पेशे से मुंह मोडऩे लगे हैं। उत्पादकों को मलाल है कि ट्राऊट के कारोबार के लिए बेहतरीन विपणन और ट्रांसपोर्ट सुविधा न होने से उन्हें औने- पौने दाम पर अपना उत्पादन बेचने पर मजबूर होना पड़ रहा है। ऐसे में ट्राऊट पालन उनके लिए घाटे का सौदा बनने लगा है। गौरतलब है कि प्रदेश के मंडी, कुल्लू, शिमला और किन्नौर जिलों में ट्राऊट का उत्पादन होता है और हर साल प्रदेश में सरकारी और निजी टाऊट फार्म सौ टन ट्राऊट मछली का उत्पादन कर रहे हैं, लेकिन मार्केटिंग की सुविधा न होने के कारण निजी उत्पादक इस पेशे से मुंह मोडऩे लगे हैं।
दिल्ली - कोलकाता में खरीददार
ट्राऊट मछली के सबसे ज्यादा ग्राहक कोलकाता और दिल्ली में हैं और दोनों महानगरों में अच्छी कीमत मिलती है। दिल्ली में प्रति किलो चार सौ रूपए तक दाम मिलते है जबकि कोलकाता में इससे भी अच्छे दाम मिलते हैं, लेकिन इन बाजारों तक नहीं पहुंच पाने के कारण यहा के उत्पादकों को दो सौँ रूपए प्रति किलोगाम के हिसाब से अपना उत्पाद बेचना पड़ रहा है।
स्टडी का खुलासा
प्रदेश विश्वविद्यालय के एग्रो इकोनॉमिक्स रिसर्च सेंटर की ओर से की गई स्टडी में भी यह बात सामने आई हैॅ कि प्रदेश में मार्केटिंग सुविधाओं का अभाव होने के कारण ट्राऊट पालन घाटे का सौदा साबित होने लगा है। रणवीर सिंह, मिनाक्षी शर्मा और प्रताप सिंह की ओर से किए गए शोध में कहा गया है कि मार्केट की जानकारी और ट्रांसपोर्ट का अभाव ट्राऊट फार्मिंग की मुख्य समस्या है।
बीज और फीड का अकाल
ट्राऊट फार्मिंग से मुहं मोडऩे के पीछे यहां के उत्पादकों की यह भी मुख्य समस्या है कि प्रदेश में पैदा होने वाली रेनबो और ब्राउन टाऊट का बीज लोगों को आसानी से उपलब्ध नहीं हो पाता। इसके अलावा ट्राऊट पालन के लिए प्रदेश में फीड का भी कोई प्रबंधन न होने की वजह से लोगों को महंगे दामों पर प्रदेश के बाहर से फीड मंगवाने को मजबूर होना पड़ता है।
सौ फार्म कर ट्राऊट का उत्पादन
प्रदेश में 6 सरकारी ट्राऊट फार्म सहित 100 के करीब ट्राऊट फार्म स्थापित किए गए हैं। प्रदेश में 600 किलोमीटर कोल्ड वाटर स्ट्रीम में ट्राऊट उत्पादन संभव है। प्रदेश में स्थापित छोटे ट्राऊट फार्म में सलाना 900 किलो ट्राऊट का उत्पादन होता है वहीं बड़े फार्म में प्रति वर्ष 3400 किलोग्राम ट्राऊट उत्पादन होता है।
प्रोसेसिंग यूनिट चलाने को नहीं कोई तैयार
नेशनल फिशरी बोर्ड की ओर से कुल्लू के पतली कूहल में सैद्वांतिक तौर पर ट्राऊट प्रोसेसिंग यूनिट खोलने की मंजूरी है। करीब दो करोड़ की लागत से बनने वाले इस प्रोसेसिंग यूनिट को चलाने के लिए प्रदेश के फिशरी विभाग ने ट्राऊट फार्मिंग एसोशिएशन कुल्लू को ऑफर दिया था लेकिन एसोशिएशन के इनकार के बाद यह खटाई में पड़ गया है।
सौ साल पहले हिमाचल आई ट्राऊट
हिमाचल प्रदेश में ट्राऊट 1909 में आई थी। ब्रिटिश राज के दौरान ब्रिटिश अधिकारियों ने एंगलिंग गेम को बढ़ावा देने के लिए जम्मू - कश्मीर से ट्राऊट का बीज मंगवा कर कांगड़ा, चंबा और कुल्लू की ठंडी नदियों और सहायक नदियों में डाला था। देश में जहां ट्राऊट की 15 किस्में पाई जाती हैं,वहीं प्रदेश के रेनबो और ब्राऊन ट्राऊट पाई जाती है।

ट्राऊट फार्मिंग घाटे का सौदा बनने लगी है। मछली जल्दी खराब हो जाती है और बाजार तक पहुंचाने की कोई सरकारी व्यवस्था नहीं है। ऐसे में नजदीकी क्षेत्रों में सस्ते में मछली बेचने को मजबूर होना पड़ता है।
संत राम, ट्राऊट उत्पादक ,मंडी

प्रदेश सरकार यहां ट्राऊट उत्पादन को बढ़ाने के लिए गंभीर हैं और उत्पादकों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए ट्राऊट की मार्केटिंग के लिए उचित यातायात प्रबंधन और मार्केटिंग की व्यवस्था की जा रही है। पतली कूहल में ट्राऊट प्रोसेसिंग यूनिट शुरू करना भी इसी का हिस्सा है।
बीडी शर्मा, निदेशक फिाशरी डिपार्टमेंट हिमाचल प्रदेश ।

धरती पर हलचल आई तो पहाड़ पर मचेगी तबाही

आपदा पूर्व प्रबंधन को लेकर रूडक़ी विश्विद्यालय की अध्ययन रिपोर्ट का खुलासा
धरती पर हलचल आई तो पहाड़ पर मचेगी तबाही
भूकंप की दृष्टि से अति संवेदनशील जोन में स्थित सौ साल में बीस बार कांपा हिमाचल

अगर धरती पर भूकंप पर हलचल आई तो पहाड़ पर भयंकर तबाही मचेगी। यह खुलासा प्रोफेसर आनंद आर आर्य की रिपोर्ट का है जो रूडक़ी विश्वविद्यालय के भूकंप अभियंत्री विभाग के वैज्ञानिक रहे हैं। आपदा पूर्व प्रबंधन की पड़ताल पर उन्होंने साफ कहा है कि अति संवेदनशील जोन पांच और चार में स्थित हिमाचल प्रदेश में अगर 4 अप्रैल 1905 को आए भूकंप की तीव्रता वाला कोई भूकंप आता है तो यहां भ्यानक तबाही मंच सकती है। पूर्व आपदा प्रबंधन की स्थित में भूकंप के नुक्सान को काफी हद तक कम किया जा सकता है वहीं हजारों जिंदगियां भी बच सकती है।
रिपोर्टों पर आधारित तुलनात्मक अध्ययन
भारत में भूकंप जोखिम में कमी के प्रयास आलेख में वह कहते हैं कि अगर भूकंप जैसी आपदा से निपटने के पूर्व प्रबंध किए जाएं तो 60 प्रतिशत नुकसान से बचा जा सकता है। उन्होंने ज्योलॉजिकल सर्वे 1899, भारत सरकार के शही मंत्रालय के विशेषज्ञ की 1997 की रिपोर्ट, कृषि विशेषज्ञों की भूकंप को लेकर अनुभव रिपोर्ट 1999 और भूकंप अभियंत्रिकी पर 2005 में आयेाजित विश्व कांफ्रेस के आधार पर प्रोफेसर आनंद आर आर्य ने यह तुलनात्मक अध्ययन किया है।
आपदा प्रबंधन का अभाव, नुक्सान होगा बेहिसाब
आनंद एस आर्य ने 1991 की जनसंख्या और 1997 की कीमतों को आधार बनाकर कहा है कि अगर भकंप रोधी तकनीक नहीं अपनाई गई तो 1905 वाली तीव्रता के भूकंप के आने की स्थित में कांगड़ा के 1815858 घरों में से 399675 मकान पूरी तरह से ध्वस्त हो जाएंगे। इस भूकंप से 51.04 खरब का नुक्सान होगा, जबकि 65000 लोग मौत के ग्रास बन जाएंगे।
आपदा की तैयारी से राहत मिलेगी भारी
रिपोर्ट का दूसरा पहलू यह कहता है कि अगर प्रदेश में भवन निर्माण में भूकंप रोधी तकनीक अपनाई जाती है और पूर्व आपदा प्रबंध किए जाते हैं तो भूकंप के 60 फीसदी नुक्सान को कम किया जा सकता है। अगर सभी घरों को भूकंप रोधी बना दिया जाता है तो 25.09 खरब के नुक्सान से बचा जा सकता है। ऐसे में भूकंप से मरने वालों की संख्या भी सिर्फ 13 हजार तक सिमट सकती है। तीन चौथाई मकानों को बचाया जा सकता है।
हर पांच से एक बार कांपा पहाड़
हिमाचल प्रदेश पिछले एक सौ दस साल के अंतराल में बीस बार कांप चुका है। प्रदेश में सबसे अधिकत तीव्रता वाला भूकंप 4 अप्रैल 1905 को आया था। यह भूकंप देश में अभी तक आए तीन बड़े भूकंपों में एक है। 19 जनवरी 1976 को किन्नौर, 26 अप्रैल 1986 को कांगड़ा, अप्रैल 1994 को चंबा, 1995 में मंडी- जोगेंद्रनगर, 1996 में धर्मशाला और नवंबर 2004 मेें चंबा में हुए भूकंप प्रदेश को गहरे जख्म दे चुके है। प्रदेश में भूकंप के छोटे झटके आना आम बात है।

अगर हिमाचल में भवन निर्माण में भूकपं विरोधी तकनीक अपनाई जाती है और पूर्व आपदा प्रबंध किए जाते हैं तो भूकंप से हाने वाली तबाही को कम किया जा सकता है।

प्रो. आनंद. एस. आर्य,

गुरुवार, 19 जनवरी 2012

एसएमएस पर करिए रोंग ड्राईविंग की कंप्लेट

पहाड़ पर यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले बस चालकों की अब खैर नही
एसएमएस पर करिए रोंग ड्राईविंग की कंप्लेट
सुरक्षित व सुखद यात्रा के लिए परिवहन विभाग ने पुलिस से मिल कर तैयार किया मैकेनिज्जम

हिमाचल प्रदेश में बढ़ते सडक़ हादसों से परेशान प्रदेश के परिवहन विभाग ने प्रदेश में चलने वाली सरकारी व प्राईवेट बसों में सुरक्षित और सुखद यात्रा के लिए प्रदेश पुलिस विभाग से मिल कर नया मैकेनिज्जम तैयार किया है। अब कोई भी यात्री यात्रा के दौरान यातायात के किसी भी नियम का उल्लंघन करने चालक परिचालक के खिलाफ एक एसएमएस से शिकायत की जा सकेगी। परिवहन विभाग से इस सिलसिले में फोन नंबर 9459100100 नंबर एसएमएस के लिए 24 घंटे उपलब्ध करवाया है। इस बारे में परिवहन निदेशक की ओर से प्रदेश के सभी आरटीओ को आदेश जारी कर दिए गए हैं।
एसएमएस पर दीजिए बस नंबर
आवर लोडिंग, शराब पीकर गाड़ी चलाना, चलती गाड़ी में मोबाइल पर बात करना, ओवर चार्जिंग करना अथवा टिकट न देना, महिला, स्वतंत्रता सेनानियों को आरक्षित सीटों पर जगह न देना, सवारियों से ठीक व्यवहार न करना, तेज गति से गाड़ी चलाना, बिना स्टॉपेज के कहीं भी सवारियां लोड करना , गाडिय़ों में पस्र्ट एड और अग्रिश्मन व्यवस्था और गाडियों में निर्धारित मापदंडों को पूरा न करने के संबंध में अब यात्री को गाड़ी के नंबर सहित एसएमएस पर शिकायत करनी होगी।
मंडी की कंप्लेट पर एक्शन
बीते दिनों मंडी में एक प्राईवेट गाड़ी नंबर एचपी 33- 7630 के बारे में परिवहन निदेशक से शिकायत की गई थी। इस गाड़ी में सीटों के निर्धारित मापदंडों की धज्जियां उड़ाते हुए सीटों की संख्या बढ़ा दी गई थी। इस बारे में शिकायत के बाद परिवहन विभाग ने न केवल उस गाड़ी को कब्जे में लेकर कार्रवाई की बल्कि ऐसी शिकायतों के लिए एसएमएस सुविधा भी उपलब्ध करवाई गई है।

यातायात के नियमों का उल् लंघन करने वाली गाडिय़ों की शिकायत अब एसएमएस से की जा सकती है। इस बारे में परिवहन निदेशक की ओर से आदेश मिल चुके हैं।

एचएस राणा, आरटीओ मंडी।
इस साल होंगे हिमाचल प्रदेश में पांच नेशनल ट्रैकिंग एक्सपीडिशन
करी लैणी, करी लैणी पहाड़ां दी सैर
यूथ हॉस्टल एसोशिएशन ऑफ इंडिया ने घोषित किया अपना वार्षिक कलेंडर

इस साल हिमाचल प्रदेश की सर्पीली पगडंडियों मापने के लिए देश भर के युवा पहाड़ पर दस्तक देंगे। यूथ हॉस्टल एसोशिएशन ऑफ इंडिया की ओर से इस साल हिमाचल प्रदेश में पांच नेशनल ट्रैकिंग एक्सपीडिशन किए जाएंगे। इन एक्सपीडिशन के बहाने जहां प्रदेश के पर्यटन व्यवसाय को पंख लगेंगे, वहीं इस अभियानों के दौरान होने वाली फोटोग्राफी प्रतियोगिताओं के बलबूते प्रदेश की खूबसूरती को बाहरी दुनिया तक पहुंचने का मौका मिलेगा। यूथ हॉस्टल एसोशिएशन ऑफ इंडिया ने अपना वार्षिक कलेंडर घोषित कर दिया है और इस बार आयोजित होने वाले सात एक्सपीडिशन में से पांच एक्सपीडीशन हिमाचल प्रदेश के हिस्से आए हैं। यूथ हॉस्टल एसोशिएशन ऑफ इंडिया की ओर से लगातार 41 साल नेशनल ट्रैकिंग एक्सपीडिशन का आयोजन किया जा रहा है।
नेशनल हिमालयन एक्सपीडीशन
नेशनल हिमालयन एक्सपीडीशन 2012 में कुल्लू के सौरकंडी पास की ट्रैकिंग करवाई जाएगी। 25 अप्रैल से 25 मई तक चलने वाले एक्सपीडिशन में विभिन्न ग्रुप 11 दिन की ट्रैकिंग करेंगे। इस अभियान में भाग लेने वाली लड़कियों और विकलांगों के लिए स्कॉलरशिप प्रतियोगिता आयोजित होगी, जबकि ट्रैकिंग के दौरान फोटाग्राफी प्रतियोगिता भी आयोजित की जाएगी।
नेशनल हिमालयन नेचुर स्टडी कैंप
चंबा के डलहौजी में नेशनल हिमालयन नेचुर स्टडी कैंप एवं ट्रैंकिंग 2012 का आयोजन 21 अप्रैल से 26 मई के बीच किया जाएगा। 6 दिन के इस एक्सपीडिशन में भाग लेने वाले युवाओं को प्रकृति को करीब से समझने का अवसर उपलब्ध करवाया जाएगा। इस अभियान के दौरान भी प्रतिभागियों के बीच फोटोग्राफी प्रतियोगिता होगी।
नेशनल फैमिली एडवेंचर कैंप
24 अप्रैल से 8 जून तक आयोजित किए जाने वाले नेशनल फैमिली एडवेंचर कैंप में फमिली एडवेंचर की व्यवस्था की गई हे। इस कैंप में पति- पत्नी और 12 साल से कम उम्र के बच्चे को एडवेंचर का अवसर उपलब्ध करवाया जाएगा। इस अभियान के लिए कुल्लू के सेऊ बाग में बेस कैंप बनाया जाएगा।
नेशनल नेचुर स्टडी कैंप
29 अप्रैल से 31 मई तक आयोजित होने वाले नेशनल नेचुर स्टडी कैंप में बल्र्ड वाचिंग, रॉक क्लांविंग, ट्रैकिंग और मांउटेनरिंग करवाई जाएगी। इस अभियान के लिए कुल्लू के डोभी में बेस कैंप स्थापित किया जाएगा। इस कैंप से देश भर के युवाओं को यहां की वनस्पति और वन्य प्राणियों के बारे में जानकारी हासिल होगी।
नेशनल हिमालयन विंटर ट्रैकिंग
यूथ हॉस्टल एसोशिएशन ऑफ इंडिया की ओर से इस वर्ष के पहले एक्सपीडिशन की शुरूआत डलहौजी में हो चुकी है। 19 दिसंबर 2011 से शुरू हुआ यह एक्सपीडिशन 5 जनवरी तक चलेगा इस दौरान देश भर के युवाओं के विभिन्न ग्रुप 6 दिन की ट्रैंकिंग में भाग लेंगे। इस एक्सपीडिशन में भाग ले रहे युवाओं के बेस कैंप यूथ हॉस्टल डलहौजी में बनाया गया है।
नेशनल मांउट बाईकिंग
हर साल की तरह यूथ हॉस्टल एसोशिएशन ऑफ इंडिया की ओर से 24 अप्रैल से लेकर 5 जून तक मांउट बाईकिंग का आयोजन किया जा रहा है। इसके लिए मंडी के औट में बेस कैंप होगा और बाइकर जलोती जोत तक बाइकिंग करेंगे। 11 विभिन्न बैचों में होने वाले इस अभियान में प्रति बैच 20 बाईकर भाग लेंगे। प्रतियोगिता के दौरान फोटाग्राफी प्रतियोगिता भी होगी।

यूथ हॉस्टल एसोशिएशन ऑफ इंडिया की ओर से वर्ष 2012 में होने वाले ट्रैकिंग एक्सपीडिशन का कलैंडर जारी कर दिया गया है। पांच एक्सपीडिशन हिमाचल प्रदेश में होंगे।

प्रसाद वी हचटे, कार्यकारी अधिकारी, यूथ हॉस्टल एसोशिएशन ऑफ इंडिया

कीरतपुर- नेरचौक फोर लेन

2356 करोड़ की लागत से फोरनेल बनेगा 84 किलामीटर नेशनल हाईवे 21
कीरतपुर- नेरचौक फोर लेन
केबिनेट कमेटी ऑन इंफ्रास्ट्रक्चर ने बिल्ड- ऑपरेट- ट्रांसफर के आधार दी मंजूरी

नेशनल हाईवे 21 पर कीरतपुर से मंडी के नेरचौक कस्बे तक फोरलेन बनाने को केंद्र सरकार से हरी झंडी मिल गई है। वीरवार को केंद्रीय केबिनेट कमेटी ऑन इंफ्रास्ट्रक्चर ने 84.380 किलोमीटर लंबे रोड़ को बिल्ट - ऑप्रेटर- ट्रांसफर सिस्टम के आधार पर मंजूरी प्रदान कर दी है। पंजाब के कीरतपुर और हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर और मंडी जिलों में से होकर निकलने वाले इस फोरलेन के निर्माण पर 2356.20 करोड़ की लागत आएगी। इस प्रोजेक्ट के पूरा हो जाने पर जहां सफर आसान होगा, वहीं पैसे और समय की भी बचत होगी। प्रदेश की इस महत्वपूर्ण परियोजना को केंद्र सरकार की मंजूरी मिलते ही इसका क्षेय लेने की होड़ भी शुरू हो गई है। प्रदेश सरकार के लोक निर्माण मंत्री दावा करते हैं कि इस परियोजना के लिए सरकार ने भू अधिग्रहणा का अनापति प्रमाणपत्र तक केंद्रीय परिवहन एवं भतल मंत्रालय को दे दिया है। उधर केदं्रीय मंत्री एवं प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का कहना है कि केंद्र की केबिनेट कमेटी ऑन इक् नोमिक्स ने नेशनल हाईवे डपलपमेंट प्रोगाम के तहत अप्रूव किया था। उसव वक्त प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी।
भू अधिग्रहण के लिए 537 करोड़
कीरतपुर- नेरचौक फोर के लिए जमीन के भू अधिग्रहण के लिए 537.37 करोड़ की राशि मंजूर की गई है। यह राशि फोरनेल के लिए अधिग्रहित की जाने वाली जमीन का मुआवजा, प्रभावित होने वालें लोगों के विस्थापन पर खर्च, पुनर्वास के कार्यों के ऊपर खर्च और निर्माण से पूर्व की तमाम औपचारिकताओं पर खर्च होगी।
ट्रकों की कतारों में मिलेगी निजात
चंडीगढ़ - दिल्ली के बाद कीरतपुर- मनाली हाईवे पर हर दिन सबसे ज्यादा वाहनों की आवाजाही होती है। बरमाणा में एसीसी सीमेंट कारखाना होने की वजह से हजारों ट्रक भी इसी रोड़ से रोजाना सीमेंट ढोने का काम करते हैं। इस रोड़ पर जाम लगना आम बाद है और जाम में पर्यटकों को घंटों फंसे रहने को मजबूर होना पड़ता है। ट्रकों की लंबी कतारों के पीछे रूक रूक कर चलने को मजबूर होने वाले पर्यटकों को अब निजात मिलने वाली है।
राजधानी से लेह के लिए अहम लिंक
सामरिक दृष्टि से अहम लेह के लिए राजधानी दिल्ली से यह अहम लिंक है। इीसी बीच देश का नंबर वन हिल स्टेशन मनाली आता है। कीरतपुर तक पहले ही फोरलेन हो चुका है। अब नेरचौक तक 84 किलोमीटर के ओर फोरलेन होने से सफर शानदार और सुहाना हो जाएगा। यह प्रोजेकट स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर भी प्रदान करेगा। कुल्लू - मंडी से दिल्ली की फ्रूट मंडी तक उत्पाद पहुंचाना भी आसान होगा।

प्रदेश सरकार की ओर से इस प्रोजेक्ट को निर्धारित समयअवधि में पूरा करने के लिए भू अधिग्रहण के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र तक केंद्रीय यातायात एवं भूतल परिवहन मंत्रालय को प्रदान कर दिया है।

गुलाब सिंह ठाकुर, पीडब्ल्यूडी मंत्री हिमाचल प्रदेश।

प्रदेश की पूर्व कांग्रेस सरकार के समय केंद्र की यूपीए सरकार की केबिनेट कमेटी ऑन इकोनोमिक्स ने 2005 में ही इस रोड़ को फारलेन करने की अप्रूवल नेशनल हाईवे डवलपमेंट प्रोग्राम के तहत दी थी।

वीरभद्र सिंह, केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्री ।

युवाओं ने लगाए पहाड़ की उम्मीदों को नए पंख

युवाओं ने लगाए पहाड़ की उम्मीदों को नए पंख
पहाड़ का युवा प्रतिभावान है और अपनी प्रतिभा के बलबूते सारे देश के युवाओं के लिए मिसाल बन रहा है। यहां न गरीबी आड़े आती है न कठिन परिश्रम। धुन के पक् के यहां के युवाओं ने हर क्षेत्र में अपनी अमिट छाप छोड़ी है। प्रदेश की प्रतिभाओं की कामयाबी भरी रिपोर्ट ।

महकी मोहित की मखमली आवाज
नाहन के नया बाजार निवासी मोहित चौहान की अथाह मेहनत और लंबे संधर्ष के बाद अब उनकी मखमली आवाज का जाूद लोगों के सिर चढ़ कर बोलने लगा है। हर तरफ उनके गाये गीत सुने और सराहे जा रहे हैं। चाहे लव आज कल का ये दूरियां.. गीत हो या कमीने का पहली बार मुहब्बत की है..। दिल्ली 6 का मसकली.. और जब वी मेट का तुम से ही दिन होता है.. गीतों को श्रोता अभी तक भूले नहीं होंगे।
मोहित चौहान ने नामचीन गायकों को पछाडक़र ग्लोबल इंडियन फिल्म व टेलीविजन ऑनर्स अवॉड्र्स में सर्वश्रेष्ठ पाशर््व गायक का खिताब जीता। अवॉर्ड के लिए मोहित चौहान का सुपरहिट गीत पी लूं तेरे... व तुझे भुला दिया... नामित किए गए थे। मोहित को यह अवॉर्ड वन्स अपॉन ए टाइम इन मुंबई के गीत पी लंू... के लिए दिया गया है। इस गीत को जी सिने अवॉर्ड में वर्ष 2010 का सारेगामापा सर्वश्रेष्ठ गीत आंका गया । मोहित चौहान का यह गीत 56वें फिल्म फेयर अवार्ड के लिए भी नामजद हुआ ,लेकिन पुरस्कार पर मोहित कब्जा नहीं कर पाए। 27 फरवरी 2010 को 55वें फिल्म फेयर अवार्ड में फिल्म दिल्ली- 6 के गीत में मस्सक कली... के लिए मोहित चौहान को 2009 के सर्वश्रेष्ठ गायक का पुरस्कार भी मिला था।
एनिमेशन में विकास राणा का दम
कांगड़ा जिले की एक प्रतिभा ने भी एक बड़े कैनवास पर प्रतिभा की छाप छोड़ी है। हिमाचल की प्रतिभाएं कहीं पर भी अपना हुनर दिखा सकती हैं। उन्होंने यह सिद्व कर दिखाया है कि प्रतिभा केे लिए सुविधाओं की जरुरत नहीं होती। बगैर सुविधा के भी सृजन किया जा सकता है। प्रदेश के युवा फिल्मकार विकास राणा की डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘रोशनी रेज ऑफ होप’ ने मैक 24 एफपीएस इंटरनेशनल एनिमेशन अवॉर्ड के लिए देश भर से चुनी गई पांच सौ फिल्मों को पछाड़ते हुए आखिरी 5 फिल्मों में जगह बनाई है। 14 दिनों के छोटे से अंतराल में गैर व्यवसायी कलाकारों को कास्ट करते हुए बनाई गई यह फिल्म संयुक्त राष्ट्र की ओर से निर्धारित किए गए आठ मिलेनियम डवलपमेंट गोल में से एक एजूकेशन पर आधारित है। फिल्म 9 दिसंबर को मुंबई में इंटरनेशनल एनिमेशन अवॉर्ड समारोह में नामांकित किया गया है। फिल्म की शूटिंग कांगड़ा जिला के नगरोटा सूरियां के लंज और पौंग डैम के पास की गई है। दिल्ली से डिजिटल फोरम ऑफ फिल्म मेकिंग की पढ़ाई कर रहे रहे विकास राणा मूलत: कांगड़ा जिला के लंज क्षेत्र के रहने वाले हैं।
तान्या ने मनवाया फैशन डिजायन में लोहा
मंडी की 24 साल की तान्या नरूला ने फैशन की दुनिया में अपना लोहा मनवा लिया हैं। उसने इस साल विल्स लाईफ स्टाइट डेब्यू पुरस्कार हासिल किया है। वह फिलहाल दिल्ली की पर्ल एकेडमी ऑफ फैशन से पढ़ाई कर रही है। लोअर समखेतर मुहल्ले के व्यवसायी जसबिंदर नरूला और एडवोकेट मां किरण नरूला की बेटी तान्या के सफेद कपड़ों से पर सोने और लेजर कट से तैयार किए गए उनके डिजायनों ने उन्हें फैशन की दुनिया के अहम पुरस्कार विल्स लाईफ स्टाईल डेब्यू ऑफ द इयर पुरस्कार का हकदार बना दिया प्रतियोगिता में तान्या ने देश भर के प्रतिष्ठित फैशन स्कूलों के 300 प्रतिभागियों को पीछे छोड़ पहला स्थान हासिल किया। उसके सभी कॉलेक्शन सफेद कपड़ों से बने थे जिन्हें स्वर्ण और लेजर कट से सजाया गया था। पढऩे में टॉपर रहने वाली मिडल, हाई व सीनियर सेकंडरी में हिमाचल बोर्ड से स्कॉलरशिप भी हासिल की है। 24 साल की उम्र में फैशन की दुनिया में खलबली मचाने वाली तान्या प्रदेश की संस्कृति को भी फैशन का हिस्सा बनाने की हसरत में है।
पूरी हुई सब्जी बेचने वाले शंकर की तपस्या
सैन्य अकादमी देहरादून की पासिंग आउट परेड में जब इस साल मंडी के शंकर कुमार के सीने पर लेफटिनेंट का तमगा टांगा गया तो उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि वह एक सैन्य अधिकारी बन गया है। सन्यारडी मोहल्ले की जमुना देवी पर चार बच्चों के भविष्य की जिम्मेदारी थी और जब सबसे छोटे बेटे ने आर्मी कमीशन पास किया तो जमुना देवी को तपस्या फलीभूत हो गई। यह एक मां के संस्कारों की ही जीत थी कि घर के हालात के चलते बतौर सिपाही सेना में भर्ती होने वाले शंकर ने चार साल की कड़ी मेहनत से सैन्य अफसर का पद हासिल कर लिया। जमुना देवी ने मंडी में रेहड़ी पर फल बेचकर अपने परिवार की परवरिश की है। स्कूली दिनों में शंकर कुमार भी अपनी मां का हाथ बंट वाता रहा है। प्रताप हाई स्कूल में दसवीं करने के बाद शंकर कुमार ने मंडी के विजय हाई स्कूल से जमा दो की परीक्षा पास की। विजय हाई स्कूल में शंकर कुमार की गिनती होनहार स्टूडेंट्स में होती थी। शंकर कुमार ने 2006 में आर्मी कमीशन पास करने के लिए तैयारी शुरू की । पहले तीन प्रयासों में वह कमिशन पास करने में नाकाम रहा, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। चौथे प्रयास में वह कमीशन पास करने में कामयाब रहा।
शिमला की शिप्रा बनी मास्टर शेफ
शिमला की शिप्रा खन्ना ने यह खिताब जीतकर यह जता दिया है कि कुकिंग में पहाड़ी लोगों का कोई सानी नहीं है। दो दिन तक चले फाइनल मुकाबले में शिप्रा ने वेकट.योगर्ट और अमृतसर फिश को इटालियन फ्लेवर में पकाकर यह खिताब अपने नाम किया। इसके साथ ही शिप्रा को एक करोड़ नकद पुरस्कार भी मिलेगा। मास्टर शेफ सीजन.2 पर कब्जा करके शिप्रा खन्ना स्टार आईकन बन गई हैं। स्टार प्लस समूह द्वारा आयोजित मास्टर शेफ प्रतियोगिता जीतने के बाद शिप्रा हजारों उन युवतियों के लिए रोल मॉडल बन गई हैं जो कि घर की चारदीवारी तक सीमित हैं। मास्टर शैफ की दावेदारी ठोंकने वाले देशभर के 19 प्रतिभागियों को पछाड़ कर शिप्रा ने खिताब पर कब्जा जमाया। शिप्रा खन्ना ने एक के बाद एक सभी प्रतिभागियों पर जायके के मामले में जीत हासिल की। डेढ़ माह तक चले मुकाबले में शिप्रा ने एक के बाद एक लजीज डिश तैयार कीं। मास्टर शेफ बनकर शिप्रा खन्ना ने एक करोड़ जीते। साथ ही शिप्रा को इस जीत के बाद लंदन की नि:शुल्क यात्रा का ऑफर मिला है। इसके अलावा अमेरिका में आयोजित होने वाले फूड फेस्टिवल के लिए भी शिप्रा का चयन किया गया है।
उद्योग का नया सितारा बनी रितु
औद्योगिक नगर बद्दी की उद्यमी रितु सिंघल को इस साल भारत का सर्वोच्च महिला उद्यमी अवार्ड मिला है। वह बद्दी स्थित औद्योगिक इकाई विनर निप्पन इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड (रैगलान ग्रुप) की प्रबंध निदेशक हैं। यह कंपनी टेक्सटाइल के क्षेत्र में सिंथेटिक लैदर का निर्माण करती है। मुंबई में एक समारोह में इन्फोसिस टेक्नोलाजिस के चेयरमैन एनआर नारायण मूर्ति ने उन्हें वर्ष 2011 की सर्वश्रेष्ठ महिला उद्यमी का सम्मान प्रदान किया। भारत के लघु, मध्यम व सूक्ष्म उद्योगों में से यह सम्मान दिया जाना था, जिसमें 13 उत्पादन वर्ग की हर श्रेणी में 30 कंपनियां शामिल थीं। कड़ी प्रतियोगिता के बाद ज्यूरी नें 20 सफल उम्मीदवारों को शार्ट लिस्ट किया। अंतिम दौर में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सलाहकार सैम पित्रोदा की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने पांच प्रतिभागियों को शार्ट लिस्ट किया। उसमें हिमाचल से ताल्लुक रखने वाली रितु सिंघल का नाम बरकरार रहा। उनका कड़ा मुकाबला एशिया पैसिफिक, एयरटेल भारती, लक्सर गु्रप, बीपी एग्रो लिमिटेड और फोर्टिस हैल्थ केयर तथा शौपर्स स्टॉप से था। अंत में कड़े सवाल जवाब के बाद रितु सिंघल को वर्ष 2011 के खिताब से नवाजा गया।
आरती ने कबड्डी में दिखाया नया आकाश -
ग्रामीण क्षेत्रों के सबसे लोकप्रिय खेल कबड्डी में प्रदेश की आरती ठाकुर ने कामयाबी अर्जित करनी शुरू कर दी है। आरती ठाकुर इस खेल में एक बेहतरीन खिलाड़ी सामने आई हैं। इस साल धर्मशाला में संपन्न हुई ऑल इंडिया साई इंटर जोन महिला प्रतियोगिता में साई नार्थ चंडीगढ़ (धर्मशाला) को विजयश्री दिलाने में आरती की अहम भूमिका रही है। वह हिमाचल टीम की कप्तान भी है। महज दो वर्ष के ही करियर में अपने खेल से उसने साबित किया है कि वह खेल में प्रदेश और देश का नाम रोशन करने का माद्दा रखती है। कांगड़ा जिले की देहरा तहसील के पाईसा गांव के कश्मीर सिंह की बेटी आरती ने वर्ष 2009 में कबड्डी में कदम रखा था। साई में आने के बाद यह खिलाड़ी 2010 मे ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी और दो सीनियर नेशनल में तीन कांस्य पदक जीत चुकी हैं। हाल ही में जूनियर इंडिया कैंप में उसका चयन हुआ था, जिसमें इंडिया टीमें आरती की जगह सुनिश्चित मानी जा रही थी। ऑल इंडिया साई इंटर जोन महिला कबड्डी प्रतियोगिता में आरती ठाकुर को बेस्ट रेडर का पुरस्कार प्रदान किया गया।
रीता बनी पहाड़ की उडन परी
रीता ने इस बार प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में आयोजित की गई लंबी दूरी की रेस प्रतियोगिताओं में प्रथम रह कीर कामयाबी के नए झंडे गाड़े हैं। रीता ने भारतीय जनता युवा मोर्चा द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ आयेाजित मैराथन को भी जीता। साथ में सुंदरनगर मेले में आयोजित मैराथन में भी विजेता बनी । अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि मेले के दौरान पिछले दो साल से आयोजित हो रही हॉफ मैराथन का खिताब अपने नाम करने वाली हमीरपुर जिला के लदरौर के नजदीकी गांव नालनी की 23 वर्षीय रीता ठाकुर 2014 में कोरिया में होने वाली एशियन गेम्स के लिए 10 हजार मीटर दौड़ में गोल्ड मेडल जीतने का सपना संजोए वह हर रोज कम से कम 15 किलोमीटर दौड़ती है। वह 2007 में आल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी चैंपियन रही है तभी से आल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी में मैडल जीत कर आ रही है। रीता ठाकुर आने वाले दिनों में प्रदेश की सबसे उभरती हुई धावक है। दस हजार मीटर की दौड़ के लिए 25 साल की उम्र सबसे आर्दश उम्र होती है। एशिएन गेम्स में रीता ठाकुर से मैडल की उम्मीदें की जा सकती हैं, बशर्ते इस खिलाड़ी को निखारने में पूरे प्रयास किए जाएं।
धौलाधार की बेटी ने झुकाया मांउट एवरेस्ट
तीन साल पहले तक कांगड़ा के जयंती विहार की राजिका एक आम लडक़ी की तरह अपने सपनों में रंग भरने के लिए वायुसेना में जाने का मन बना ुचकी थी। डीएवी कॉलेज कांगड़ा की स्टूडेंट रही राजिका के सपनों में रंग भरना शुरू हुए थे तीन साल पहले जब वायुसेना में बतौर फ्लाइट लेफ्टिनेंट उसका चुनाव हो गया। यही राजिका की जिंदगी का टर्निंग प्वायंट था। आज राजिका के सिर पर उस जीत का सेहरा है, जो दुनिया के बिरले लोगों को नसीब हुई है। राजिका दुनिया के उन लोगों की कतार में शामिल हो गई है, जिनके कदमों के आगे दुनिया का सबसे बड़ा पहाड़ नतमस्तक हो गया। राजिका ठाकुर पहाड़ की उस बेटी का प्रतिनिधित्व कर रही है, जो कभी डिक्की डोलमा, कभी दीपू शर्मा तो कभी राधा देवी के रूप में पहाड़ के दंभ को अपने हौंसले के बदबूते फतेह करने का दमखम रखती है। कांगड़ा की फ्लाइट लेफ्टिनेंट राजिका शर्मा उन वायुसेना अधिकारियों में शामिल है , जिन्होंने हाल ही में विश्व की सबसे ऊंची चोटी पर तिरंगा फहराया है। वायुसेना के इतिहास में भी यह पहला मौका है जब महिला अधिकारियों ने माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया हो। इस अभियान में शामिल 11 अधिकारी उसी रास्ते से माउंट एवरेस्ट पर गए,जहां से एडमंड हिलेरी व शेरपा तेजिंग गए थे।
सबसे छोटी उम्र में बनी बालीवुड की संगीतकार
पहाड़ की एक बेटी ने अपनी प्रतिभा के बलबूते बालीवुड की सबसे छोटी उम्र की संगीतकार होने का बड़ा मुकाम हासिल किया है। निर्माता केतन मेहता और अनूप जलोटा की दीपा मेहता निर्देशित फिल्म तेरे मेरे फेरे से मंडी की 23 वर्षीय शिवांगी ने फिल्मी दुनिया में अपने संगीत के कैरियर की शुरूआत कर दी है। संगीतकार एसडी कश्यप और लोक गायिका रविकांता कश्यप की बेटी को गीत संगीत की शिक्षा बचपन से ही घुटी के रूप में मिली है और वह अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद पिछले दो सालों से मुबंई में संघर्षरत है। पंजाबी पृष्ठभमि पर शादी के रिश्तों को हास्य के तौर पर पेश करने की दीपा मेहता की इस गंभीर मूवी में शिवांगी कश्यप ने न केवल संगीत दिया है, बल्कि फिल्म के टाइटल सोंग सहित फिल्म के गीतों को भी आवाज दी है। शिवांगी के पिता एसडी कश्यप प्रदेश के नामी संगीतकार हैं। प्रदेश के अधिकतर चर्चित लोकगायक उन्हीं के संगीत—निर्देशन में लोकगीत गा कर चर्चित हुए हैं। एसडी कश्यप लंबे समय तक मुंबई में संगीत निर्देशन करते रहे, लेकिन बालीवुड में रम न पाने के कारण वापस मंडी लौट आए और पनारसा कस्बे में रिकार्डिंग सटूडियों बना कर लोक संगीत के प्रचार—प्रसार में जुटे हुए हैं। मुंबई में रह कर जो काम एसडी कश्यप नहीं कर पाए, उम्मीद की जा रही है कि उस उधूरे सपने को शिवांगी पूरा करेगी।

सरकारी दूध का कारोबार, सवालों के घेरे में सरकार

बिना लाईसेंस के दूध के उत्पाद बना रही मिल्क फैड की चक्कर डेयरी
सरकारी दूध का कारोबार, सवालों के घेरे में सरकार
स्वास्थ्य विभाग की टीम ने की छापेमारी खंगाला डेयरी का रिकार्ड

मंडी के चक्कर में स्थित डेयरी ने दूध से विभिन्न प्रकार के उत्पाद तैयार करने के लिए कोई लाइसेंस ही नहीं लिया हुआ है। नए खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत बिना लाइसेंस ऐसा कारोबार गैर कानूनी है लेकिन मजे की बात यह कि प्रदेश में दूध का कारोबार करने वाला सरकारी उपक्रम बिना लाइसेंस लिए ही करोड़ों का कारोबार कर रहा है। यह खुलासा जिला स्वास्थ्य विभाग की उस टीम ने किया है जिसने मिल्क प्लांंट में छापेमारी कर दूध उत्पादन से संबंधित रिकार्ड मिल्क फैड के अधिकारियों ने तलब किया। मिल्क फैडरेशन के अधिकारी ऐसा कोई लाईसेंस स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को दिखाने में नाकाम रहे। स्वस्थ्य विभाग की टीम ने लाईसेंस प्रस्तुत करने के लिए मिल्क फैडरेशन के अधिकारियों को एक सप्ताहज का समय दिया है, उसके बाद स्वास्थ्य विभाग मिल्क फैडरेशन पर जुर्माने की कार्रवाई के साथ खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्रवाई करेगा, जिसमें छह माह की कैद और पांच लाख रूपए जुर्माने का प्रावधान है। उधर इस प्रकरण के सामने आते ही मंडी बचाओ संघर्ष मोर्चा ने मिल्क फैडरेशन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और मिल्क फैडरेशन के अध्यक्ष मोहन जोशी से इस्तीफे की मांग की है।
दूध -घी के सैंपल भरे
स्वास्थ्य विभाग की टीम ने मिल्क प्लांट चक्कर में छापेमारी कर मिल्क प्लांट का निरीक्षण किया और दूध और घी के सैंपल भरे। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने यही कार्रवाई हाल ही में मिल्क फैडरेशन के जले हुए घी के बारे में शिकायत मिलने पर की। विभाग की टीम ने दूध और घी के सैंपल भर कर लैब में टेस्ट के लिए भेज दिए हैं। जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी एलडी ठाकुर ने बताया कि सैंपल की रिपोर्ट आने पर मिल्क फेड के खिलाफ अगली कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
सीएम से होगी शिकायत
मंडी बचाओ संघर्ष मोर्चा के संयोजक लक्षमेंद्र गुलेरिया का कहना है कि हिमाचल दिवस के अवसर पर 25 जनवरी को मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल मंडी आ रहे हैं। मिल्क फैडरेशन की धांधलियों के बारे में वहां उनसे शिकायत की जाएगी। दूध- घी की पॉलीथीन पैकिंग को लेकर भी मुद्दा उठाया जाएगा। उन्होंने मिल्क फैड के कांगडा, शिमला और मंडी तीनों यूनिटों की सतर्कता जांच करवाने की भी मांग की है।

मिल्क फैडरेशन के अधिकारियों को लाईसेंस दिखाने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया, उसके बाद खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्रवाई होगी।
डॉ. टीसी महंत, जिला स्वास्थ्य अधिकारी मंडी।

स्वास्थ्य विभाग की टीम ने मिल्क प्लांट चक् कर में छापेमारी कर दूध और घी के सैंपल भरे हैं। सैंपल टेस्ट के लिए लैब में भेज दिए गए हैं। रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई होगी।
एलडी ठाकुर, खाद्य सुरक्षा अधिकारी मंडी।

बिना लाईसेंस दूध का कारोबार कर रहे मिल्क फैड के चेयरमैन को नैतिकता के आधार पर त्यागपत्र देना चाहिए। इस सारे मामले की विजिलैंस से जांच करवाई जाए।
लक्षमेंद्र गुलेरिया, संयोजक मंडी बचाओ संघर्ष मोर्चा ।

बेटी है अनमोल, खुल गई पोल

बढ गया प्रदेश के सबसे ज्यादा शिक्षित पांच जिलों में शिशु लिंगानुपात
बेटी है अनमोल, खुल गई पोल
हिमाचल प्रदेश जनगणना रिपोर्ट 2011 का खुलासा, परिवार कल्याण विभाग हुआ गंभीर

बच्चियों के वजूद को बचाने के लिए प्रदेश सरकार की ओर से शुरू किए गए बेटी है अनमोल कार्यक्रम सहित सभी 12 कार्यक्रमों की पोल खुल गई है। शिशु लिंगानुपात कम करने के लिए शुरू किए गए सारे कार्यक्रम धाराशायी हो गए हैं। प्रदेश के सबसे शिक्षित पांच जिलों में शिशु लिंगानुपात पहले के मुकाबले कम होने के बजाये और बढ़ गया है। हिमाचल प्रदेश जनगणना रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। इस खुलासे के बाद प्रदेश के परिवार कल्याण विभाग की चिंताएं बढ़ गई हैं और रविवार को भविष्य के लिए रणनीति बनाने के लिए शिमला मेंविभाग के आला अफसर माथापच्ची करेंगे।
पंजाब के साथ सटे जिलों का रिकार्ड खराब
पड़ोसी राज्य पंजाब से सटे हिमाचल प्रदेश के पांच जिलों में शिशु लिंगानुपात के आंकड़े परिवार कल्याण विभाग के लिए चैकान्ने वाले हैं। ऊना में 0 से 6 वर्ष आयु वर्ग में हजार लडक़ों पर 870 लड़कियां, कांगड़ा में 873, हमीरपुर में 881, बिलासपुर में 893 जबकि सोलन में 899 लड़कियां पाई गई हैं। ये सभी जिले पंजाब से सटे हुए हैं , जहां शिशु लिंगानुपात हजार लडक़ों पर 846 लड़कियों का है। स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों का कहना है कि पंजाब से सटे इन जिलों में प्राइवेट लैब लिंग परिक्षण और गर्भपात के गैर कानूनी धंधे में डटे हैं।
कम पढ़े, ज्यादा समझदार
जनगणना रिपोर्ट 2011 के अनुसार कम शिक्षित जिला में शिशु लिंगानुपात अपेक्षाकृत अधिक शिक्षित जिलों
के मुकाबले ज्यादा अच्छी है। चंबा में 1000 लडक़ों पर 950 ं, कुल्लू में 962, और सिरमौर 931 लड़कियां पैदा हो रही हैं जबकि शिमला में यह दर 922 और मंडी में 913 है।
बेटियों के पक्षधर कबायली
जनगणना रिपोर्ट में प्रदेश के दो कबायली जिले बेटियों के पक्षधर बन कर सामने आए हैं। किन्नौर जिला जहां लिंगानुपात 1000 पुरूषों के मुकाबले 818 है, उस जिला में शिशु लिंगानुपात 1000 लडक़ों के मुकाबले 953 है। लाहौल स्पीति में शिशु लिंगानुपात 1000 लडक़ों के मुकाबले 1013 हो गया है।
लिंगानुपात सुधरा, शिशु लिंगानुपात गड़बड़ाया
लिंगानुपात में प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ तीन जिलों हमीरपुर, कांगड़ा और मंडी में शिशु लिंगानुपात में गड़बड़ा गया है। प्रदेश की आधी आबादी इन्ही तीन जिलों में बसती है। हालांकि मंडी जिला में शिशु लिंगानुपात प्रदेश के औसत शिशु लिंगानुपात से अधिक है लेकिन शिशु लिंगानुपात के राष्ट्रीय औसत 914 लड़कियां प्रति हजार लडक़ों से कम है।

शिशु लिंगानुपात का बढऩा गंभीर मुद्दा है। ऐसे में यह बात और भी गंभीर है जब प्रदेश सरकार की ओर से बेटी है अनमोल सहित लड़कियों के लिए 12 विभिन्न महात्वाकांक्षी योजनाएं चलाई जा रही हैं और लिंग परीक्षण और गर्भपात रोकने के लिए कड़े कानून बनाए हैं।
बलबीर टेगटा, निदेशक जनगणना, हिमाचल प्रदेश।

हालांकि 2001 के मुकाबले 2011 की जनगणना में लिंगानुपात और शिशु लिंगानुपात में सुधार हुआ है लेकिन प्रदेश के शिक्षित राज्यों में बढ़ता लिंगानुपात खतरे का संकेत है। रविवार को आगे के लिए एक्शन प्लान बनाने के लिए बैठक हो रही है।
डॉ.डीएस चंदेल, निदेशक स्वासथ्य एवं परिवार कल्याण हिमाचल प्रदेश ।

हाईवे को चौड़ा करने की तैयारी, मंडी बस स्टैंड पड़ा भारी

निर्माण कार्य 70 फीसदी पूरा,अभी तक नहीं मिली नेशनल हाईवे से मंजूरी
हाईवे को चौड़ा करने की तैयारी, मंडी बस स्टैंड पड़ा भारी
एचआरटीसी प्रबंधन और हिमुडा की कार्यप्रणाली पर उठी अंगुलियां

एक तरह केंद्रीय भूतल एवं उच्च मांर्ग मंत्रालय नेशनल हाईवे 21 को नेरचौक से मलानी तक टू लेन करने की तैयारियों में जुटा है, वहीं दूसरी और मंडी में निर्माणाधीन बस स्टैंड उसकी राह में रोड़ा बन गया है। सरकारी एजेंसी हिमुडा की ओर से निर्मित किए जा रहे इस बस स्टैंड के निर्माण से पहले नेशनल हाईवे अथॉरिटी से मंजूरी लेना ही जरूरी नहीं समझा गया है। इस निर्माण को लेकर कड़ी आपत्तियां दर्ज करते हुए केंद्रीय भूतल एवं उच्च मांर्ग मंत्रालयके विशेष सचिव एवं महानिदेशक ने पीडब्ल्यूडी नेशनल हाईवे के शिमला स्थित मुख्य अभियंता को पत्र लिख आवश्यक कारवाई करने के निर्देश दिए हैं। पीडब्ल्यूडी के एनएच विंग के मुख्य अभियंता ने क्षेत्रीय प्रबंधक मंडी से जवाबतलब किया है, वहीं पीडब्ल्यूडी के एचएच सर्कल शाहपुर के अधीक्षण अभियंता को इस बारे में कार्रवाई कर रिपोर्ट देने को कहा है। ऐसे में जबकि बिना मंजूरी के ही बस अड्डे का 70 फीसदी काम पूरा हो चुका है, इस पत्र के आने के बाद एचआरटीसी और हिुमुडा के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर अंगुलियां उठी हैं, वहीं इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों में हडक़ंप मच गया है। भास्कर के पास मौजूद पत्र में बस अड्डा निर्माण को लेकर कई गंभीर आरोप चस्पा किए गए हैं।
एनएच की आपत्तियां
1.एनएच ने बस अड्डा प्राधिकरण के उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है, जिसके अनुसार नेशनल हाईवे के उस लेंटर डाल कर दो मंजिला कमर्शियल कांम्लेक्स का निर्माण करना था।
2. हाईवे के लिए बस अड्डे के प्रवेश द्वार और निकासी के लिए कोई मंजूरी नहीं ली गई है।
3. नक्शे में दिखाए गए प्रवेश और निकासी द्वार यायतायात सुरक्षा की दृष्टि से ठीक नहीं है, इनके पास कम से कम चार गाडिय़ों के एक साथ निकलने का स्थान होना चाहिए ।
4. बस अड्डे को हाईवे से जोडऩे का काम पीडब्ल्यूडी के एनएच विंग से ही करवाया जाए।
5. नेशनल हाईवे 18 मीटर चौड़ा होना चाहिए, जबकि बस अड्डे के प्रवेश द्वार के सथान दस मीटर जगह छोड़ी गई है।
6. बस अड्डे के ऊपर भवने वाले कमर्शियल भवनों और शॉपस के नक्श उपलब्ध करवाने के आदेश दिए हैं।
7. बस स्टैंड को लेकर तमाम दस्तावेज मसलन लाईंसेस डीड, विभागों के अनापत्ति प्रमराण पत्र, इंस्पेक्शन रिपोर्ट मांगे गए है।
13 करोड़ से 23 बसों की होगी पार्किंग
हिमुडा के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार मंडी बस स्टैंड 10378.86 वर्गमीटर (12.86 बीघा) भूमि पर किया जाएगा। इस पर 13,19,74000 रूपए खर्च किए जाएंगे। यहां 18 बसों की पार्किंग और 50 दुकानों का प्रावधान है और इसके अलावा बस स्टैंड पर 12 कमर्शियल एरिया बनाए जाएंगे। टैक्सी पार्किंग की भी व्यवस्था यहां की गई है। बस स्टैंड की हर मंजिल पर पब्लिक टॉयलेट होगा। बस स्टैंड पर रेस्ट रूम, गेस्ट रूम, क्लॉक रूम, इंक्वायरी, रेवले व बस यातायात के लिए रेजर्वेशन विंडो, प्राइवेट गाडिय़ों के लिए पार्किंग,स्नैक बार एंड रेस्टोरेंट, पोस्ट ऑफिस, बैंक एटीएम, एचआरटीसी स्टाफ रूम आदि सुविधाओं की व्यवस्था की गई है।

पीडब्ल्यूडी के एनएच विंग की टीम जल्द निर्माणाधीन बस अड्डे की साईट का इंस्पेक्शन करने जा रही है। उसके बाद ही इस निर्माण को लेकर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

एससी धीमान, अधिक्षण अभियंता, पीडब्ल्यूडी सर्कल शाहपुर ।
पीडब्ल्यूडी के नेशनल हाईवे विंग की ओर से उठाई गई आपत्तियों के बारे में विभाग के आला अधिकारियों को सूचित कर दिया है।
हरबंश, क्षेत्रीय प्रबंधक एचआरटीसी मंडी ।

बस स्टैंड के निर्माण को लेकर बरती जा रही अनियमितताओं के बारे में मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल से शिकायत की गई थी। बस स्टेंड के निर्माएा को लेकर किए गए विस्फोटकों को लेकर भी विवाद बना हुआ है।
लवण ठाकुर, जिन्होंने बस स्टैंड की अनियमितताओं को लेकर मुख्यमंत्री से शिकायत की है।

मैंने इस मामले को विधानसभा में भी उठाया था और मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया था कि बस स्टैंड के निर्माण में कोई अनियमितता नहीं बरती जाएगी। मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को भीइ इस बारे में आदेश दिए थे।
अनिल शर्मा, कांग्रेस विधायक सदर।
नेशनल हाईवे की ओर से लगाई गई आपत्तियों के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है। इस बारे में अधिक्षण अभियंता की कुछ बताने को अधिकृत हैं।
विपिन कौल,अधिशाषी अभियंता, हिमुडा मंडी।

गुरुवार, 12 जनवरी 2012

तकनीक का ज्ञान, संस्कारों की पहचान

हिमाचल प्रदेश के सभी तकनीकि संस्थानों में बनेंगे हेरीटेज क्लब
तकनीक का ज्ञान, संस्कारों की पहचान
अखिल भारतीय तकनीकि शिक्षा परिषद ने लिखा तकनीकि शिक्षा निदेशक को पत्र

हिमाचल प्रदेश के तकनीकि संस्थानों में अब तकनीक के ज्ञान के साथ स्टूडेंट्स संस्कारों की पहचान भी करेंगे। प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण को लेकर हुई अनूठी पहल के तहत ऐसे सभी संस्थानों में हेरीटेज क्लब गठित किए जाएंगे। देश भर में तकनीकि शिक्षा को संचालित करने वाली अखिल भारतीय तकनीकि शिक्षा परिषद के निर्देश के बाद प्रदेश के तकनीकि शिक्षा निदेशालय ने अपने संस्थानों में सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण का खाका तैयार कर लिया है। इस कवायद के तहत देश में सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण में जुटी संस्था सोसायटी फॉर परमोशन ऑफ इंडियन क्लासिक एंड कल्चर अमंगस्ट यूथ (स्पिक मैके) की सेवाएं ली जाएगी। अखिल भारतीय तकनीकि शिक्षा परिषद के कार्यकारी अधिकारी डा. एसएस मथा के निर्देश के बाद प्रदेश का तकनीकि शिक्षा निदेशालय इस बारे में सभी सरकारी व निजी तकनीकि संस्थानों को निर्देश जारी कर रहा है। उम्मीद की जा रही है कि इस प्रयास से हुनर में दक्ष टेक्रोक्रेट्स को सामजिक जीवन की भी बेहतरीन समझ पैदा होगी।
सांस्कृतिक मूल्यों का होगा संरक्षण
हर संस्थान में हेरीअेज क्लब गठित होगा, जिसमें एक टीचर और कम से कम पांच स्टूडेंट्स शामिल होंगे। क्लब स्प्कि मैके के 7 मोड्यूल में से साल में कम से कम तीन इवेंट्स आयोजित करेगा। क्लब की हर सप्ताह बैठक होगी और देश की धरोहरों को लेकर स्टूडेंट्स अपनी प्रेजेंटेशन देंगे। हेरिटेज क्लब की ओर से चयनित किए गए स्टूडेंट्स को स्पिक मैके की ओर से आयोजित होने वाले जोनल और राष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लेने भेजा जाएगा।
हजारों स्टूडेंट्स ले रहे तकनीकि शिक्षा
हिमाचल प्रदेश में सरकारी और निजी क्षेत्र में 30 बहु तकनीकि संस्थान, 17 इंजिनियरिंग कॉलेज, 13 बी फर्मा कॉलेज, 191 आईटीआई संस्थान हैं। इन संस्थानों में 22,185 स्टूडेंट्स तकनीकि शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त एक इंजीनियरिंग कॉलेज, एक बी फार्मेसी, 9 बहुतकनकि संसथानों और 81 आईटीआई के माध्यम से केंद्र प्रायोजित स्कीम के तहत 14,917 अतिरिक्त युवाओं को तकनीकि शिक्षा प्रदान की जा रही है। ऐसे में प्रदेश में 37102 स्टूडेंट्स तकनीकि शिक्षा हासिल कर रहे हैं।

सांस्कृतिक धरोहरों के प्रोत्साहन के दृष्टिगत तकनीकि संस्थानों के स्टूडेंट्स के अंदर सांस्कृतिक मूल्यों की पहचान के लिए परिषद की ओर से यह पहल की गई है।

डा. एसएस मंथा, कार्यकारी अधिकारी, भारतीय तकनीकि शिक्षा परिषद , दिल्ली।

भारतीय तकनीकि शिक्षा परिषद की ओर से मिले निर्देशानुसार सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण के लिए हर तकनीकि संसथान को ऐसे क्लब बनाने के निर्देश दिए जा रहे हैं।
विजय चंदन, निदेशक तकनीकि शिक्षा, सुंदरनगर ।

बिजली से कमाई, जंगलों की तबाही

जल विद्युत परियोजनाओं के लिए तीन दशक में दस हजार हैक्टेयर वनभूमि पर हस्तक्षेप
बिजली से कमाई, जंगलों की तबाही
वन भूमि की साठ प्रतिशत मंजूरी बिजली परियरेजनाओं और ट्रांसमीटर लाईनों के लिए

बिजली से कमाई के लिए प्रदेश के वनों की तबाही ने निशान साफ देखे जा सकते हैं। पिछले तीन दशक में प्रदेश में जल विद्युत क्षमता के दोहन के लिए जम कर वन भूमि का प्रयोग करने की मंजूरी दी जा रही है। वन विभाग के सूत्रों के अनुसार 1981 से लेकर 2011 तक प्रदेश के 10245.5 हैक्टेयर वन भूमि को गैर वानिकी कामों के लिए बदलने की मंजरी वन संरक्षण अधिनियम के तहत दी जा चुकी है। बिजली परियोजनाओं और उनकी ट्रांसमीटर लाईनों के लिए सबसे ज्यादा वन भूमि का प्रयोग हुआ है। अभी तक बिजली परियोजनाओं के निर्माण के लिए 4028.817 हैक्टेयर वन भूमि की 180 अनुमतियां प्रदान की जा चुकी हैं। ट्रांसमीशन लाईन बिछाने के लिए 2258 हेक्टेयर वनभूमि के प्रयोग की 97 अनुमतियां प्रदान की गई हैं। वन भूमि की अभी तक दी गई कुल मंजूरी में 60 प्रतिशत वन भूमि बिजली परियोजनाओं और ट्रांसमीटर लाईनों के निर्माण के लिए दी गई है।
प्राईवेट से सस्ती फॉरेस्ट लैंड
वन विभाग के सूत्रों के अनुसार प्रदेश में वन विभाग की भूमि निजी भूमि के मुकाबले बेहद सस्ती है। सूत्रों के अनुसार वन भूमि की कीमत प्रति हैक्टेयर 9 लाख है जबकि निजी भूमि की कीमत वन भूमि की कीमत से दस गुणा से ज्यादा है। ऐसे में बिजली परियोजनाओं का निर्माण करने वाली कंपनियां निजी भूमि की जगह वन भूमि की मंजूरी को प्राथमिकता देते हैं।
बीते साल बना रिकार्ड
गैर वानिकी कार्यों के लिए वन संरक्षण अधिनियम के तहत वन भूमि की मंजूरी देने में बीते बर्ष में नया रिकार्ड स्थापित हो गया है। हालांकि प्रदेश में सत्तासीन रही कांग्रेस भाजपा दोनों सरकारों के वक्त में गैर वाणिकी कार्यो के लिए वन भूमि की मंजूरी दी गई लेकिन बीते साल 1334 मामलों में 1116 हैक्टेयर वन भूमि को गैर वाणिकी कार्यो के प्रयोग की मंजूरी प्रदान की गई है। यह पिछले तीस सालों में दी गई वन भूमि की सबसे बड़ी मंज्री है।
किस को कितनी वन भूमि
है। सडक़ निर्माण के लिए 662 अनुमतियां प्रदान की गई हैं जिसमें 1885 हैक्टेयर वनभूमि के प्रयोग की मंजूरी दी गई है। सीमेंट कारखानों सहित माइनिंग के लिए वन भूमि के प्रयोग की 49 अनुमतियां प्रदान की गई है जिनमें 824 हैक्टेयर वन भूमि के प्रयोग की अनुमति दी गई है। पेयजल के लिए वन भूमि के प्रयोग की 61 अनुमतियां दी गई है जिनमें 70 हैक्टेयर वनभूमि के प्रयोग की मंजूरी दीगई है। रेवले के लिए वनभूमि के पयोग के लिए दो अनुमतियों के तहत 12 हेक्टेयर वन भूमि, जबकि अन्य उपयोग के लिए 283 अनुमतियों में 1196 हैक्टेयर वन भूमि के गैर वाणिकी कार्यों में प्रयोग की अनुमति दी गई है।

वनों का और नुक्सान न हो, इसके लिए प्रदेश सरकार की ओर से यह निर्णया लिया गया है कि बिजली परियोजनाओं की ट्रांसमीशन लाईनों को वनों के बजाये घाटियों से निकाला जाएगा ।
आरके गुप्ता, प्रधान मुख्य आरण्यपाल वन विभाग हिमाचल प्रदेश।

डैंटल कॉलेज ने दबाया स्लॉटर हाऊस

सु्रंदरनगर के हिमाचल डैंटल कॉेलेज के अध्यक्ष को डीसी मंडी का नोटिस
डैंटल कॉलेज ने दबाया स्लॉटर हाऊस
पांच साल से 15 लाख दबाए, अब पैसे दो या खाली करो जमीन

सुंदरनगर सिथत हिमाचल डैंटल कॉलेज ने सुंदरनगर में बनने वाले स्लॉटर हाऊस पर कुडली मारी हुई है। डैटल कॉलेज स्लॉटर हाऊस के लिए उस 15 लाख की राशि को देने से मुकर गया है, जो करार के अनुसार कॉलेज प्रबंधन की ओर से नगर परिषद सुंदरनगर को देनी थी। शुक्रवार को इस बारे में नगर परिषद सुंदरनगर के अध्यक्ष महेंद्र ठाकुर की सूचना के आधार पर डीसी मंडी देवेश कुमार ने एसडीएम सुंदरनगर विवेक चंदेल को आदेश दिए हैं कि डैंडल कॉलेज के अध्यक्ष को नोटिस जारी कर राशि वर्तमान कीमत के आधार पर नगर परिषद सुूंदरनगर में जमा करवाने के आदेश दिए हैं। डैंटल कॉलेज के राशि जारी न करने की सूरत में स्लॉटर हाऊस की जो जमीन कॉलेज को दी गई थी उसे वापस लेने की कार्रवाई करने के आदेश एसडीएम सुंदरनगर को दिए गए हैं। बता दें कि सुंदरनगर में नागौण खड्ड के पास नगर परिषद का स्लॉटर हाऊस था। वर्ष 2002 में स्लॉटर हाऊस पर हिमाचल डैटल कॉलेज का निर्माण कर दिया गया। 1 नवंबर 2006 को तत्कालीन डीसी मंडी ने कॉलेज का दौरा किया और तब डैंटल कॉलेज ने इसकी एवज में 14,9800 रूपए नगर परिषद को देने की हामी भरी, लेकिन आज तक यह राशि नहीं चुकाई।
साईट फाइनल, एस्टीमेंट तैयार
डैंडल कॉलेज के पैसे देने की स्वीकृति के बाद नगर परिषद सुंदरनगर की ओर से सुंदरनगर में स्लॉटर हाऊस स्थापित करने के लिए साईट फाइनल की गई और कॉलेज की ओर से दी जाने वाली राशि का एक एस्टीमेट बनाकर कॉलेज प्रिंसीपल को भेजा गया। चांदपुर में स्लॉटर हाऊस के लिए साईट फाईनल है लेकिन डैंटल कॉलेज की ओर से पैसे न देने पर स्लॉटर हाऊस का काम नहीं शुरू हो पाया ।
खुले में कट रहे बकरे
सुंदरनगर में वर्तमान में एक भी स्लॉटर हाऊस न होने के कारण यहां हर दिन दर्जनों बकरे खुले में काटेू जा रहे हैं। डीसी मंडी ने सुंदरनगर नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी महेंद्र ठाकुर को आदेश दिए है कि जब तक स्थाई स्लॉटर हाऊस नहीं बनता, तब तक स्लॉटर हाऊस की अस्थाई व्यवस्था की जाए।

नगर परिषद सुंदरनगर के कार्यकारी अधिकारी की ओर से ध्यान में लाए गए इस मामले में एसडीएम सुंदरनगर को आदेश दिए गए हैं कि हिमाचल डैटल कॉलेज के अध्यक्ष को नोटिस जारी कर पैसे की वसूली की जा जाए। पैसे न मिलने की सूरत में जगह वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की जाए।
देवेश कुमार, डीसी मंडी ।
हिमाचल डैंडल कॉलेज को नगर परिषद सुंदरनगर में पैसा जमा करवाने के लिए नोटिस दिया जा रहा है। पैसे न देने की सूरत में कॉलेज प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई होगी।
विवेक चंदेल, एसडीएम सुंदरनगर ।

तीस साल बाद फिर नजर आएंगे झील में तैरते शिलाखंड



त्रिवेणी स्थल पर स्थित रिवालसर झील को प्रदूषणमुक्त करने की कवायद
तीस साल बाद फिर नजर आएंगे झील में तैरते शिलाखंड
नगर पंचायत रिवासर ने डीसी मंडी को भेजी रिपोर्ट , जल्द शुरू होगा काम

तीस साल पहले त्रिवेणी स्थल रिवालसर में स्थित झील से गायब हुए हरे शिलाखंड जल्द ही फिर से दिखाई देने लगेंगे। झील को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए नगर पंचायत रिवालसर की ओर से यह महात्वाकांक्षी योजना स्वीकृति के लिए डीसी मंडी के पास जमा करवाई गई है। परियोजना सिरे चढ़ती है तो नड़ घास (स्थानीय नाम) को झाील के पानी के ऊपर उगाया जाएगा, ताकि प्राकृतिक तौर पर झील की सफाई होती रहे । स्थानीय लोगों की मदद से नगर पंचायत इस बहाने जहां झील के पुराने रूप को वापस लाने की कोशिश में है, वहीं प्रदूषण की समस्या से भी पार पाने का हल ढूंढ रहा है। गौरलतब है कि 1984 तक जब इस झील का दारोमदार स्थानीय लोगों के पास था,तो झील में कुदरती तौर पर बने शिलाखंडों पर उगी घास झील के पानी को प्राकृतिक तौर पर साफ करते रहते थे। जैसे ही झील के प्रबंधन की जिम्मेवारी नगर पंचायत और जिला प्रशासन के हाथों में आई झील प्रदूषण का शिकार हो गई।
बनेंगे बाथिंग घाट व फीस फडिंग प्वांयट
नगर पंचायत रिवासर ने झील को साफ सुथरा रखने के लिए झील के पानी के निवासी स्थल पर वार्थिंग घाट और फीस फडिंग बनाने का निर्णय लिया है। इस कदम से जहां झील की मछलियों को खाना खाना डालने से झील प्रदूषित नहीं होगी, वहीं झील में स्थान करने से होने वाली गंदगी से भी निजात मिलेगी।
नेशनल प्रोग्राम फॉर कंजरवेशन के लिए तैयारी
प्रदूषित होने के बावजूद रिवालसर झील को केंंद्र सरकार की ओर से चलाए गए नेशनल प्रोग्राम फॉर द कंजरवेशन ऑफर रिवर एंड लेक में शामिल नहीं किया गया है। इस पर कैग रिपोर्ट में भी अंगुली उठाई गई है। डीसी मंडी ने नगर पंचायत के कार्यकारी अधिकारी सिद्व सेन को ओदश दिए है कि इस बारे में जारी जानकारी जुटाकर रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंपी जाए।

झील को प्रदूषणमुक्त करने के लिए नगर पंचायत की ओर से एक योजना बनाकर जिला प्रशासन की स्वीकृति के लिए भेजी गई है। स्वीकृति मिलते ही झील में कृत्रिम तौर पर पानी को साफ करने वाली घास उगाई जाएगी।
सिद्व सेन, कार्यकारी अधिकारी नगर पंचायत रिवालसर

रिवालसर झील को प्रदूषणमुक्त करने के लिए नगर पंचायत रिवालसर को आदेश दिए गए हैं। नगर पंचायत की ओर से जमा प्रस्ताव पर जल्द निर्णया लिया जाएगा।
देवेश कुमार डीसी मंडी ।

पहाड़ पर बच्चे नहीं कुपोषण का शिकार

केरल के साथ कुपोषण को मात देने में हिमाचल प्रदेश की आदर्श स्थिति
पहाड़ पर बच्चे नहीं कुपोषण का शिकार
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जारी की नादी फांउडेशन की सिटीजन स्टडी रिपोर्ट

शिशु मृत्यु दर को कम करने में देश में शीर्ष पर रहने वाले राज्य हिमाचल प्रदेश में बच्चे कुपोषण का शिकार नहीं हैं। कुपोषण को मात देने में हिमाचल प्रदेश ने केरल के साथ आर्दश स्थिति हासिल की है। यह खुलासा नादी फांउडेशन की सिटीजन रिपोर्ट का है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंगलवार को सामाजिक-राजनीतिक शख्सियतों की मौजूदगी में पहली सिटीजन स्टडी रिपोर्ट जारी की। इस अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक हिमाचल और केरल में कुपोषित बच्चों की तादाद देश में सबसे न्यूनतम18 फीसदी है, जबकि कुपोषण के मामले मेें उत्तर प्रदेश सबसे बद्दतर स्थिति में है। देश के में कुपोषण के सबसे प्रभावित सौ जिलों में 41 जिले अकेले उत्तर प्रदेश के हैं। इस रिपोर्ट को तैयार करने में सभी दलों के युवा सांसदों के संसदीय फोरम की अहम भूमिका रही है। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री राजीव बिंदल ने कुपोषण के मामले में प्रदेश की आदर्श स्थिति के लिए प्रदेश की भाजपा सरकार की नीतियों को श्रेय दिया है।
बच्चों की संभाल में हम बेमिसाल
कुपोषण को मात देने के मामले में प्रदेश की आदर्श स्थिति के लिए कई कारकों की अहम भूमिका है। जन्म से लेकर एक साल तक के बच्चे का प्रदेश में सरकार की ओर से निशुल्क उपचार की सुविधा प्रदान की जा रही है। शिशु रोग विशेषज्ञ डा. नागराज का कहना है कि प्रदेश में हैल्थ इंडीकेडर बहुत अच्छे हैं, जबकि शिशु संभाल को लेकर भी परिजन जागरूक हैं।स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं अरैर आंगनबाड़ी काय्रकर्ताओं ने भी अहम रोल अदा किया है। प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय अच्छी होने और शिक्षा का स्तर अच्छा होना भी कुपोषण को मात देने में कारगर सिद्व हुआ है।
मां अनपढ़ तो बच्चा कुपोषित
कुपोषण के मामले में उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार, उड़ीसा, राजस्थान, झारखंड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है। सिटीजंस अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक अनपढ़ मां के बच्चे शिक्षित माताओं के बच्चों से ज्यादा कुपोषित पाए गए। इसी तरह जहां साफ सफाई, पीने के पानी की बेहतर व्यवस्था, राशन की दुकान और सडक़ें हैं वहां के बच्चों में अपेक्षाकृत कुपोषण कम है।
वजन और लंबाई आधार
सिटीजन स्टडी रिपोर्ट में ं बच्चों के वजन और लंबाई को कुपोषण मापने के दो प्रमुख आधार बनाया गया है। रिपोर्ट में बच्चों के कुपोषण के मामले में यूपी के जिन जिलों की सबसे खराब हालत है उनमें बहराइच पहले नंबर पर है। यहां के करीब 50 फीसदी बच्चे मानक से कम वजन के मिले, जबकि करीब 70 फीसदी बच्चों की लंबाई कम पाई गई। कम लंबाई को रिपोर्ट में स्टंटेड कहा गया है।
क्या कहते हैं मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल का कहना है कि कुपोषण को मात देने में सरकार की नीतियां अहम रही हैं। प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करना सरकार की प्राथमिकता में शामिल हैं । गर्भधारण से लेकर प्रसव तक महिला का सारा ट्रैक रिकार्ड हैल्थ डिपार्टमेंट रख रहा है ताकि स्वस्थ्य शिशु पैदा हो। एक साल तक बच्चे का उपचार निशुल्क किया गया है। बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाओं के दम पर ही प्रदेश में जहां शिशु मृत्यु दर को कम करने में अहम भूमिका निभाई है, वहीं कुपोषण को खत्म करने में भी आदर्श स्थिति तक पहुंचे हैं।

स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने को प्रदेश सरकार ने अपनी प्राथमिता में शािमल किया हे। बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाओं के बलबूते हम चाइल्ड केयर को लेकर गंभीर हुए हैं, वहीं प्रदेश में टीकाकरण को लेकर सरकार गंभीर रही है। नतीजे हमारे सामने हैं।
राजीव बिंदल, स्वास्थ्य मंत्री हिमाचल ्रपद्रेश।

सलाखों के पीछे पहुचे चाणक्य सियासत के



सुप्रीम कोर्ट से सजा के साथ सियासत के चाणक्य सुखराम के युग का समापन
सलाखों के पीछे पहुचे चाणक्य सियासत के
कांग्रेसी दिग्गज को कांग्रेस से दूसरी बार दिखाया जा सकता है बाहर का रास्ता

1993 के टेलिकॉम घोटाला घोटाले के आरोपी पूर्व टेलिकॉम मिनिस्टर सुखराम को सुप्रीम कोर्ट से राहत न मिलने और ट्रायल कोर्ट के सामने सरेंडर करने का आदेश के बाद हिमाचल प्रदेश की सियासत के चाणक्य कहे जाने वाले दिग्गज कांग्रेसी नेता सुखराम के युग का समापन हो गया। ट्रायल कोर्ट ने इस मामले में सुखराम को 3 साल कैद की सजा सुनाई थी, जिसे हाई कोर्ट ने भी बरकरार रखा। इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर लगते ही प्रदेश की सियासत के चाणक्य कहे जाने वाले सुखराम का राजनीतिक सितारा ढूब गया। मंडी जनपद के छोटे से गांव कोटली से निकल कर प्रदेश और देश की सियासत में छा जाने वाले सुखराम अपने जीवन की सांझ में विवादों में घिरे रहे।
केस नंबर : 1
3 साल की कैद, सुप्रीम कोर्ट की मुहर
दिल्ली की एक अदालत वर्ष 2002 में सुखराम को उपकरण सप्लाई में हैदराबाद स्थित एडवांस रेडियो कंपनी के प्रबंध निदेशक रामा राव को अपने पद का दुरूपयोग कर फायदा पहुंचाने और सरकार को 1.66 करोड़ का नुक्सान करवाने पर भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत दिल्ली की एक अदालत ने तीन साल की सजा सुनाई थी। 19 दिसबर 2010 को दिल् ली हाईकोर्ट ने इस सजा को बरकरार रखा था। 5 जनवरी 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर मुहर लगा दी।
केस नबर : 2
तीसरी बार बने गुनाहगार
केंद्र की नरसिंहा राव सरकार में दूर संचार मंत्री रहे सुखराम को अपने पद का दुरूपयोग कर एक केवल सप्लाई कंपनी को लाभ पहुंचाने के 15 साल पुराने मामले में दिल्ली की एक अदालत ने 19 नवंबर को भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम व आपराधिक षडय़ंत्र रचने का दोषी करार देते हुए पांच साल कैद की सजा सुनाई। विशेष न्यायधीश आरपी पांडे ने 84 वर्षीय सुखराम के खिलाफ यह फैसला सुनाया।
केस नंबर : 3आय से अधिक संपति , तीन वर्ष की क़ैद
सुखराम को आय से अधिक संपत्ति के मामले में सजा हो चुकी है। आय से अधिक संपत्ति के मामले में दिल्ली की एक अदालत ने बारह साल पुराने मामले में 20 फऱवरी, 2009 को सुखराम को दोषी कऱार दिया था। उन्हें तीन वर्ष की क़ैद के अलावा दो लाख रूपए ज़ुर्माना भी लगाया गया था। सीबीआई की विशेष अदालत से उन्हें ज़मानत मिली है। उन्होंने इस फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती दी है।
1996 में पड़े थे सीबीआई के छापे
सीबीआई ने अगस्त, 1996 को सुखराम के दिल्ली, ग़ाजियाबाद और हिमाचल प्रदेश स्थित घरों पर छापा मारा था. सीबीआई ने तब उनकी संपत्ति का करोड़ों रुपए में आकलन कर उनके खिलाफ मामला दर्ज किया था। वर्ष 1997 में भ्रष्टाचार निरोधक क़ानून के तहत उनके ख़िलाफ़ अदालत में चार्जशीट दायर की गई थी। प्रदेश से कांग्र्रेस के प्रभावशाली नेताओं में गिने जाने वाले 84 वर्षीय सुखराम वर्ष 1991 से लेकर 1996 तक केंद्रीय संचार मंत्री रहे थे।
नगर परिषद से लोकसभा तक
1962 में नगर परिषद मंडी के सचिव पद को छोड़ कर बतौर निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में उतर कर कांग्रेसी दिग्गज एवं स्वतंत्रता सेनानी कृष्णानंद को हराकर राजनीति की शुऊआत करने वाले सुखराम 1983 तक प्रदेश कांग्रेस सरकार में विभिन्न मंत्रालयों की जिम्मेवारी संभालते रहे। 1977 की जनता पार्टी लहर के बीच भी अपने मंडी के किले को बचाने में कामयाब रहे। केंद्र की राजीव गांधी सरकार में रक्षा राज्य मंत्री व स्वतंत्र प्रभार के केंद्रीय खाद्व आपूर्ति मंत्री रहे। केंद्र की नरसिंहा राव सरकार में दूरसंचार मंत्री बने। बतौर केंद्रीय मंत्री रहते भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरने पर 1996 में उन्हें कांग्रेस से निष्कासित किर दिया गया था। सुखराम ने 1997 में हिमाचल विकास कांग्रेस ( हिविंका ) का गठन किया और 1998 में प्रदेश में भाजपा से गठबंधन कर धूमल सरकार में साझीधार रहे। अपने चार विधायकों को मंत्री बनवाया और खुद रोजागार सृजन समिति के अध्यक्ष बने। इतना ही नहीं, वह अपने बेटे अनिल को भी राज्यसभा भेजने में कामयाब रहे। 2004 में सुखराम की हिविंका का फिर से कांग्रेस में विलय हो गया। वर्ष 2004 में उन्हें दोबारा कांग्रेस में एंट्री मिली । प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव में सुखराम ने सकिय राजनीति से खुद को किनारे करते हुए अपनी राजनीतिक विरासत अपने बेटे अनिल को सौंप दी।

डॉलर में नहीं किया क्लेम,अब भरनी पड़ेगी रिकवरी

टाऊन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के चार अधिकारियों को सरकार से नहीं मिली राहत
डॉलर में नहीं किया क्लेम,अब भरनी पड़ेगी रिकवरी
नार्वे के एम माह के दौरे में डीए बिल वसूलने में हल्की सी चूक पड़ी महंगी

वर्ष 2000 में किए गए एक माह के नार्वे दौरे के डीए को क्लेम करने में टाऊन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के चार अफसरों की खुद की चूक से उन्हें रिकवरी भरनी होगी। प्रदेश सरकार की ओर से सेवानिवृति टाऊन प्लानर एमएस मल्होत्रा, सेवानिवृत टाऊन एंड प्लानर एआर सांख्यायन, स्टेट टाऊन प्लानर एएन गौतम और रिसर्च ऑफिसर आरपी मोगटा चारों अििधकारियों को प्रति अधिकारी 12326 रूपए सरकारी खजाने में जमा करवाने के आदेश दिए हैं। टाऊन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के प्रधान सचिव पीसी धीमान ने अपने आदेश में कहा है कि रिकवरी राशि पहले ही 1,15434 रूपए से कम कर 49302 रूपए कर दी गई है और यह रिकवरी चारों अधिकारियों को बराबर भरनी होगी। उधर प्रधान सचिव के फैसले से नाखुश उक्त अधकारियों ने कहा है कि कोर्ट के आदेश के बावजूद सरकार ने उन्हें राहत नहीं मिली, अत: फिर से कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।
यह है सारा माजरा
टाऊन एंड कट्री प्लानिंग विभाग के उक्त अधिकारी सन 2000 में 30 अप्रैल से लेकर 31 मई तक नार्वे के दौरे पर गए थे। नियुमानुसार उन्हें दौरे के लिए सरकार की ओर से एडवांस राशि उपलब्ध करवाई गई थी। जून 2000 में उक्त अफसरों ने अपना डीए बिल सरकार के पास सबमिट करवाया। इस पर एजी ऑफिस से आपति लगने के बाद उक्त अधिकरियों ने दिसंबर में सप्लिमेंटरी बिल जमा करवाया,लेकिन तब तक डीए विल क्लेम का निर्धारित समय पूरा हो चुका था।
अफसरों के स्तर पर गलती
सरकार ने उक्त अधिकारियों पर 115434 रूपए की रिकवरी डाली थी। उक्त अधिकारियों के व्यक्तिगत निवेदन पर सरकार ने 21 मई 2011 के आदेश में घटाकर 49302 रूपए कर दिया। विभाग के प्रधान सचिव ने अपने आदेश ने कहा है कि उक्त अधिकारियों ने अपना टीए बिल नोर्व करंसी में क्लेम किए थे, यह अधिकारियों की ओर से चूक की गई थी। जब तक डोलर में क्लेम के बिल क्लेम किए गए तब तक इसकी उेड लाईन ओवर हो चुकी थी। इसी आधार पर अफसरों के दावे का खारिज किया गया।
कोर्ट में जाएंगे अफसर
सरकार के रिकवरी के इस फैसले के खिलाफ उक्त अधिकारी फिर से कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। उनका कहना है कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी उन्हें प्रदेश सरकार की ओर से राहत नहीं मिली है, इसलिए इस मामले में वह अपील करेंगे। उन्होंने इसे कोर्ट के आदेशों की अवहेलना भी करार दिया है। उधर सरकार की ओर से दलील दी जा रही है कि उक्त रिकवरी केंद्र सरकार के नियमों के आधार पर की जा रही है।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी डीए बिल मामले में प्रदेश सरकार से राहत नहीं मिली है। प्रधान सचिव के आदेशों के खिलाफ कोर्ट में अपील में जाएंगे।
एएन गौतम, टाऊन एंड कंट्री प्लानर ।
अधिकारियों को आदेश दिए गए हैं कि प्रति अधिकारी रिकवरी के तौर पर 12326 रूपए की राशि सरकारी खजाने में जमा करवाएं ।
पीसी धीमान, प्रधान सचिव टाऊन एंड कंट्री प्लानिंग ।