कभी कबीर, बुल्लाह कभी,कभी सुकरात करके दुखना।
फुरसत में कभी खुद से इक मुलाकात करके देखना।।
सुहब को शाम बनाने का हुनर भी तुम्हें आ जाएगा ।
गर्मी की दुपहरी में कभी तुम बरसात करके देखना ।।
इस हकीकत को किसी दिन ख्यालात करके देखना।
भावुक हो विनोद जिंदगी को जजबात करके देखना।।
फुरसत में कभी खुद से इक मुलाकात करके देखना।।
सुहब को शाम बनाने का हुनर भी तुम्हें आ जाएगा ।
गर्मी की दुपहरी में कभी तुम बरसात करके देखना ।।
इस हकीकत को किसी दिन ख्यालात करके देखना।
भावुक हो विनोद जिंदगी को जजबात करके देखना।।
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