शनिवार, 29 जून 2013

कल वो मोमबतियां लेकर शहरों-कस्बों में निकलेंगे

प्रकृति से जब भी खिलवाड़ होगा 
घर चाहे खुदा का हो उजाड़ होगा 
शिकार सुनामी का हरगिज होगा 
कभी समंदर तो कभी पहाड़ होगा

लाशों के बीच में भी कोई बचने की आस में जिन्दा है 
यहाँ तो मौत भी खुद मौत से देखो कितनी शर्मिंदा है

कल वो मोमबतियां लेकर शहरों-कस्बों में निकलेंगे 
हादसे के वक्त जो शातिर लाशों की जेबें तलाशते रहे

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