गुरुवार, 5 मार्च 2009

जयंत विष्णु नार्लीकर की विज्ञान कहानी

जयंत विष्णु नार्लीकर की विज्ञान कहानी - वामन की वापसी जयंत विष्णु नार्लीकर की विज्ञान कहानी - वामन की वापसीमुक्त मानक और वामन की वापसी' श्रंखला की इस कड़ी में बताया गया है कि मुक्त मानक क्यों उचित साधन हैं? इसे आप रोमन या किसी और भारतीय लिपि में पढ़ सकते हैं। इसके लिये दाहिने तरफ ऊपर के विज़िट को देखें। इसे आप सुन भी सकते है। सुनने के लिये यहां चटका लगायें। यह ऑडियो फाइल ogg फॉरमैट में है। इस फॉरमैट की फाईलों को आप,Windows पर कम से कम Audacity, MPlayer, VLC media player, एवं Winamp में;Mac-OX पर कम से कम Audacity, Mplayer एवं VLC में; औरLinux पर सभी प्रोग्रामो में,सुन सकते हैं। ऑडियो फाइल पर चटका लगायें फिर या तो डाउनलोड कर ऊपर बताये प्रोग्राम में सुने या इन प्रोग्रामों मे से किसी एक को अपने कंप्यूटर में डिफॉल्ट में कर ले। डाउनलोड करने के लिये पेज पर पहुंच कर जहां Download फिर फाईल का नाम लिखा है, वहां चटका लगायें। पंचतत्र की एक कहानी कछुआ और खरगोश के बीच हुई रेस के बारे में है। आधुनिक युग में, इस कहानी में कुछ जोड़ा गया है। मैंने इस कुछ दिन पहले इसी चिट्ठे पर लिखा था। इसके द्वारा मैंने ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर के महत्व को बताने का प्रयत्न किया था। लेकिन मुक्त मानक का महत्व बताने के लिए मैं एक दूसरी कहानी 'वामन की वापसी' (The Return of Vaman) के बारे में चर्चा करना चाहूंगा। यह प्रसिद्व खगोलशास्त्री जयंत विष्णु नार्लीकर (Jayant Vishnu Narlikar) के द्वारा लिखी एक विज्ञान कहानी है।यह कहानी तीन व्यक्तियों के इर्द-गिर्द घूमती है।भौतिक शास्त्री,कम्यूटर वैज्ञानिक, औरपुरातत्ववेता भौतिक शास्त्री, गुरूत्वाकर्षण के बारे में प्रयोग करना चाहता था इसके लिए उसे गहरा गड़ढा खोदना था। यह गड्ढा खोदते समय उन्हें एक प्लेट मिलती है जिसमें कुछ लिखा हुआ है पर वे समझ नहीं पाते हैं कि उसमें क्या लिखा है क्योंकि लोग उसकी लिपि पढ़ने में असमर्थ हैं।नीचे और खोदने पर एक घन मिलता है। घन पर तरह-तरह के चित्र बने हुए हैं। ये चित्र कुछ अजीब से हैं। प्लेट और घन दोनों एक अनजाने पदार्थ के द्वारा बने हुए हैं। जिससे उन्हें यह लगता है कि वास्तव में यह किसी उन्नत सभ्यता के द्वारा वहाँ रखे गये हैं। लोगों के समझ में नहीं आता है कि घन को कैसे खोला जाए। लेकिन घन पर बने चित्रों में एक चित्र में दो हाथी घन को विपरीत दिशा से खींच रहे होते हैं पर उसके बाद भी वे हाथी उसे खोलने में असमर्थ दिखते हैं। यह चित्र देखकर उन्हें १७वीं शताब्दी के जर्मन वैज्ञानिक आटो वान ग्यूरिक के द्वारा किये गये एक प्रयोग का ख्याल आता है। उसने दो ताँबें के ५१ सेमी. व्यास के अर्द्व गोलों, को आपस में जोड़कर उसके अंदर की हवा को बाहर निकाल दी थी। इसके बाद दोनो तरफ आठ-आठ घोड़ों के खींचने पर भी वे अलग नहीं हुए थे। ग्यूरिक, इससे हवा के दबाव का महत्व बताना चाहते थे। इस प्रयोग को याद आते ही उन्हें लगा कि शायद इस घन के अंदर से भी हवा निकाल दी गई हो। वे घन पर एक पतला से छेद करते हैं जिससे हवा अंदर चली जाती है और वह घन तुरन्त खुल जाता है।यह घन एक तरह का टाइम कैपसूल है जिसमें उस उन्नत सभ्यता के बारे में बातें थी। इस सभ्यता के लोग, कोई बीस हजार वर्ष पूर्व पृथ्वी पर रहते थे। कैपसूल के अन्दर यह बताया गया था कि किस तरह से एक खास तरह का आधुनिक कम्पयूटर बनाया जा सकता है। वे उस कम्पयूटर को बनाते हैं और उसका नाम गुरू रखते हैं। यह कम्पयूटर उन्हें एक मीटर ऊचां रोबोट बनाने का तरीका बताता है। यह रोबोट बौना है इसलिए इसका नाम वामन रखा जाता है। वामन कोई साधारण रोबोट नही हैं वह एक अत्यंत आधुनिक किस्म का रोबोट है। इस तरह के रोबोट की कल्पना आइज़ेक एसीमोव (Isaac Asimov) ने बाईसेन्टीनियल मैन (The Bicentennial man) नामक विज्ञान कहानी में की थी। इस कहानी में, उस रोबोट का नाम एंड्रयूज़ था। एसीमोव ने, बाद में इस कहानी को पॉस्ट्रॉनिक मैन (Positronic Man) नामक उपन्यास में बदल दिया। इसी के आधार पर बाईसेन्टीनियल मैन (Bicentennial Man) नामक फिल्म भी बनी है।इस फिल्म का ट्रेलर आप देखें। फिल्म की कहानी, मूल कहानी से बदल दी गयी है और फिल्म में यह एक प्यारी सी प्रेम कहानी है जहां एक रोबॉट प्रेम के कारण मानव (नश्वर) बनता है। यदि आपने इसे नहीं देखा है तो देखें।वामन बुद्विमान रोबोट है और उसमें स्वतन्त्र निर्णय लेने की क्षमता है। वह मुश्किलों को समझता है और उसका ठीक निर्णय भी लेता है। वामन अपने बनाने वालों से इस बात की प्रार्थना करता है कि उसे बताया जाए कि वह कैसे अपनी तरह के और रोबोट बना सकता है ताकि मानव जाति की सेवा की जा सके। यह पता नही चलता था कि उस उन्नत सभ्यता का क्या हुआ इसलिए भौतिक शास्त्री और कम्पयूटर वैज्ञानिक उसे यह विधि नहीं सिखाते हैं। वामन अपने आप को दूसरों से चोरी, इस वायदे पर करवाता है कि वे लोग उसे और वामन बनाने का तरीका सिखा देगें।एक ऎसी जगह जहाँ काम न करना पड़े, आराम ही आराम हो , स्वर्ग हो, जीवन का अंत है।आधुनिक सभ्यता के समाप्त होने का कारण प्लेट पर लिखा था पर चूंकि कोई उसकी लिपि नही पढ़ पा रहा था इसलिए यह पता नही चल पा रहा था। अंत में पुरातत्ववेत्ता लिपि को पढ़ने में सफल हो जाता है जिससे पता चलता है कि जब वामन को अपने जैसा वामन बनाने की विधि मालूम होती है और बहुत से वामन बन जाते हैं तो वे मानव जाति का सारा काम अपने हाथ में लेते हैं । एक दिन वे काम करना बंद कर देते है। तब तक वह उन्नत सभ्यता इतनी अभ्यस्त हो चुकी थी कि वह अपने आप के चला नहीं पायी। सच है,'Utopia, if there is one, is end of life.' एक ऎसी जगह जहाँ काम न करना पड़े, आराम ही आराम हो , स्वर्ग हो, जीवन का अंत है। सभ्यता का अंत पता चलने के बाद, यह बहुत जरूरी हो गया कि वामन को समाप्त किया जाए ताकि वह दूसरे वामन न बना सके। वह सभ्यता वामन को भी समाप्त कर देती है। यह सब कैसे होता है यही है इस कहानी में है।मुक्त मानक और वामन की वापसी भूमिका।। मुक्त मानक क्यों महत्वपूर्ण हैं?।। मुक्त मानक क्या होते हैं?।। मुक्त मानक क्यों उचित साधन हैं।। जयंत विष्णु नार्लीकर की विज्ञान कहानी -वामन की वापसी।। 'वामन की वापसी' विज्ञान कहानी का मुक्त मानक से सम्बंध

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