रविवार, 9 मई 2010

अपनों के प्रहार संग गैरों की मार


अपनों के प्रहार संग गैरों की मार
दिल्ली में मजबूत होते ही हिमाचल में वीरभद्र सिंह की हिमाचल में मजबूत
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व विपक्ष की नेता ने अपने ही नेता के खिलाफ खोला मोर्चा
प्रदेश की भाजपा सरकार की आखों की किरकिरी बने केंद्रीय इस्पात मंत्री
वीरभद्र सिंह फिर आए पुराने विरोधी मेजर मनकोटिया के निशाने पर
दिल्ली में मजबूत होते ही केंद्रीय इस्पात मंत्री वीरभद्र सिंह के खिलाफ हिमाचल में उनके विरोधी उनके खिलाफ मजबूत घेराबंदी करने में जुट गए हैं। उनके खिलाफ जहां अपनों के प्रहार जारी है, वहीं गैरों के शब्दबाण भी उन्हें झेलने पड़ रहे हैं। केंद्रीय इस्पात मंत्री के ताजा हिमाचल दौरे के दौरान जहां उनकी अपनी पार्टी के नेताओं ने उनके खिलाफ हमले दागे हैं, वहीं प्रदेश में सत्तासीन भाजपा सरकार की आंखों की भी किरकिरी बन गए हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ठाकुर कौल सिंह और विधानसभा में विपक्ष की नेता विद्या स्टोक्स ने एक बार फिर से मुंह खोल दिया है। अपनी ही पार्टी के दो दिज्गजों के निशाने पर आए वीरभद्र सिंह के खिलाफ प्रदेश में सत्तासीन भाजपा सरकार के दिज्गज नेताओं ने भी जम कर हमले दागे हैं। इसी बीच पूर्व मंत्री एवं कांगड़ा के दिज्गज राजपूत नेता मेजर विजय सिंह मनकोटिया ने यह कह कर सनसनी फैला दी है कि वीरभद्र सिंह ने प्रदेश में नई पार्टी का गठन करने के लिए बाया बाया संपर्क साधा था। हालांकि केंद्रीय मंत्री एवं उनके समर्थकों की ओर से विरोधियों के हर हमले का माकूल जवाब दिया गया है। कांग्रेंस के अंदर वीरभद्र सिंी समर्थक और विरोधी इस बात को लेकर आमने सामने होते आए हैं कि केंद्र की राजनीति में सक्रीय होने के बावजूद वीरभद्र सिंह प्रदेश की राजनीति का मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं। वीरभद्र सिंह अपनी ही पार्टी के नेताओं के खिलाफ जुबान खोलते आए हैं। प्रदेश की भाजपा सरकार के खिलाफ भी जम कर हमले दागने में वीरभद्र सिंह हमेशा आगे रहे हैं। यही कारण है कि भाजपा की ओर से भी वीरभद्र सिंह के खिलाफ जबरदस्त घेराबंदी की जाती है। दो राय नहीं है कि केंद्र में मंत्री होने के बावजूद वीरभद्र सिंह आज भी हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के सबसे दमदार नेता हैं। प्रदेश से भाजपा सरकार को उखाड़ फैंकने की बात वह बार बार कहते आए हैं। दिल्ली से हिमाचल प्रदेश की राजनीति में दखल रखने की वीरभद्र सिंह कोशिशें ही उनके कांग्रेस व भाजपा दोनों में विरोधियों को उनके खिलाफ एकजुट होने का कारण बनती है।
तकरार नहीं एकाधिकार
केंद्र की सियासत में प्रदेश के दो दिगज वीरभद्र सिंह व आनंद शर्मा मंत्री थे। आनंद शर्मा की हिमाचल प्रदेश से राज्यसभा सदस्यता खत्म होने पर केंद्र की राजनीति में वीरभद्र सिंह इकलौते प्रतिनिधि रह गए हैं। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ओर से बनाई गई कुछ केंद्रीय मंत्रियों की कोर कमेटी में उनको शामिल किया गया है, जिससे केंद्र की राजनीति में वह मजबूत हुए हैं। वीरभद्र सिंह ने पिछले दिनों दिल्ली में प्रतिनियुक्ति पर गए हिमाचल प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकरियों को दिए गए डिनर से भी वह एकाएक चर्चा में आए हैं। यह किसी से छुपा नहीं है कि वीरभद्र सिंह दिल्ली के बजाए प्रदेश की राजनीति को प्राथमिकता देते आए हैं।
कोटस
प्रदेश को केंद्र से मिलने वाली परियोजनाओं में केंद्रीय मंत्री अडंगा लगा रहे हैं। उनके इस रवैये के चलते प्रदेश की कई महात्वाकांक्षी परियोजनाओं के काम लटक रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री वीरभद्र सिंह को लेकर मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल का बयान ।
कोटस
हम बतौर विपक्षी दल विधानसभा में बंदूकें नहीं तान सकते। वीरभद्र सिंह जैसे पार्टी के कद्दावर नेता को इस तरह की बयानबाजी नहीं करनी चाहिए ।
ठाकुर कोल सिंह, अध्यक्ष प्रदेश कांग्रेस, वीरभद्र सिंह के बयान के बाद पत्रकार वार्ता में बोले।
कोटस
वीरभद्र सिंह कांग्रेस के एक वर्रिष्ठ नेता है। उनको अपनी ही पार्टी के नेताओं के ख्रिलाफ ऐसे शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। कांग्रेस प्रदेश में विपक्ष की भूमिका बेहतरीन ढंग से निभा रही है।
विद्या स्टोक्स, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष, वीरभद्र सिंह के बयान के बाद बोली।
कोटस
अपनी ही पाटी्र के नेताओं से घिरे वीरभद्र सिंह ने क्षेत्रीय दल के गठन के लिए किसी के माध्यम से मुझे शामिल करने का प्रस्ताव भेजा था। वह विधानसभा चुनाव में कईयों को टिकट दिलाने के नाम पर अपने पीछे चला रहे हैं।
मेजर विजय सिंह मनकोटिया, पूर्व मंत्री पत्रकार वार्ता में बोले।
कोटस
मुख्यामंत्री प्रेम कुमार धूमल केंद्र की परियोजनाओं को अपना बता कर बाहबाही लूटते आ रहे हैं। मनकेाटिया जैसे लोग धूमल के हाथों की कठपुतली बन कर उनके हाथों में खेल रहे हैं।
वीरभद्र सिंह, केंद्रीय इस्पात मंत्री ।







































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