मंगलवार, 26 जनवरी 2016

औरत की बात छेडिये मर्द अपनी जात पर आ जाते है ।।

कोंई किसी को इस कद्र है चाहता ।
बदले में उससे कुछ नहीं है चाहता।

घर में पैदा बेटा हो, या हो मां का देहांत  
फेसबुक पर ही होती है सबकी भूख शांत।। 

अब नेताओं के गालों के नाम स्याही हो गई।
सियासी मुजरों में नंगी सरेआम स्याही हो गई।।
अब सुर्ख़ियों में रह गए बस राग दरबारों के, 
कलम गिरवी हो गई, बदनाम स्याही हो गई।।


मदद की जगह वे मशविरों की सौगात पर आ जाते है 
हैसियत वाले भी जल्द अपनी औकात पर आ जाते हैं।।
सरकारी कवायद है यह ' मेरी' लाडली का शोर बहुत
औरत की बात छेडिये मर्द अपनी जात पर आ जाते है 
।।

मां की गाली मिसाल जिनकी जुबान की है  
उन्ही के हवाले मशाल महिला उत्थान की है
 

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