मंगलवार, 26 मई 2009

गजल


सनका ने ही होनियाँ गला

बिच रास्तें परकाला पोना।
सफरें जे तरकाला पोना।।

नोटां वाले होना लग्गे ।
हुण आखां पर जाला पोना ।।

धुंध बरसाती पोंदी आई ।
रुत बद्लोनी पाला पोना ।।

पहलें खूब बनाये चेले ।
हुन गुरुआ ने पाला पोना ।।

ठगी ठोरी चलदी रहनी ।
जाहलू तक है गाला पोना ।।

सनका ने ही होनियाँ गला ।
जे मूमे पर ताला पोना ।।











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