---चमक का चरित्र ----
वह सितारा जो सदा/
रात को चंाद से मांग
उधार की रोशनी से/
टिमटिमाया आया है/
वह दीपक जो अक्सर/
तेल के सिर पर/
बती के दम पर /
जगमगाया है।
आज साजिश रच/
किसी और के हिस्से का/
सूरज लूटने आया है।
वह सितारा जो सदा/
रात को चंाद से मांग
उधार की रोशनी से/
टिमटिमाया आया है/
वह दीपक जो अक्सर/
तेल के सिर पर/
बती के दम पर /
जगमगाया है।
आज साजिश रच/
किसी और के हिस्से का/
सूरज लूटने आया है।
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