रविवार, 21 जुलाई 2013

आओ हमारे साथ भी एक चाय का प्याला हो जाये

फिर तो लाखों बेटियों के जीवन में उजाला हो जाये 
तालिबान की दहशत में जब कोई मलाला हो जाये 

जिस भी देश में जब शक्ति का जब सम्मान हुआ 
वहां फिर नारी कभी दुर्गा तो कभी ज्वाला हो जाए 

पैदावार जो थम जाये कभी दुनिया में बारूद की 
जाने कितनी बस्तिओं को नसीब निवाला हो जाये 

उनकी महफ़िलों में तो तुम जाम अक्सर टकराते हो
आओ हमारे साथ भी एक चाय का प्याला हो जाये

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