रविवार, 21 जुलाई 2013

कभी साहब के आदेश तो कभी निर्देश मेरे बच्चो

क्या नसीहत, क्या दूं तुम्हें उपदेश मेरे बच्चो 
खतरे में है अपना देश और प्रदेश मेरे बच्चो 

आपके सामने भारत की सच्ची तस्वीर पेश है 
हरकतें गौरों की,गांधी का है सन्देश मेरे बच्चो 

दलितों के लिए वर्जित अभी मंदिरों के दरवाजे
हर जगह स्वर्णों को खुला है प्रवेश मेरे बच्चो 

कहने को तो आ गया कभी का जनता का राज
पर काबिज कहीं राजा तो कहीं नरेश मेरे बच्चो

जिन ऊंची हवेलियों पर उनको नाज़ था कभी
आज तो बचे हैं फ़्ख्त उनके अवशेष मेरे बच्चो

चपरासी के हिस्से मैं तो हर बार यही खास आया
कभी साहब के आदेश तो कभी निर्देश मेरे बच्चो

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