रविवार, 21 जुलाई 2013

आप मोम हो पिघल जाओगे, मेरे इश्क मे जब ढल जाओगे

असी हसणा भुल बैठे, तुसी रोणा भुल बैठे 
असी रूसणा भुल बैठे, तुसी मनोणा भुल बैठे 

था वादा मिलणे दा, सावन दे महीने दा 
असी जाणा भुल बैठे, तुसी औंणा भुल बैठे 

जेहडा गीत मुहब्बतां दे लिखणे थे नाम तेरे 
असी लिखणा भुल बैठे, तुसी गौणा भुल बैठे


हम हालात के मारे थे, हल क्या सुनाते 
यही सोच कर हमने तो जुबां नहीं खोली

आप मोम हो पिघल जाओगे 
मेरे इश्क मे जब ढल जाओगे

धोखा तो बेशक दुनिया को दिया होगा 
उसने खुद का सामना केसे किया होगा

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