बुधवार, 28 अप्रैल 2010


पहाड़ी इलाकों के प्राकृतिक जल स्त्रोंतों को बचाने की कवायद
मनरेगा बचाएगी बाबडिय़ों का वजूद
हमीरपुरके बाद अब प्रदेश के सभी जिलों के प्राकृतिक जल स्त्रोतों के जीर्णोद्वार की

अब पंचायतों को दिया जाएगा अपने प्राकृतिक जल स्त्रोंतों के संरक्षण का जिम्मा

उपेक्षित और सूख चुकी प्रदेश की हजारों बावडिय़ों के वजूद को अब महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम (मनरेगा )बचाएगा। बावडियों को बचाने और उनके संरक्षण मनरेगा के तहत जीर्णोद्वार किया जाएगा। हमीरपुर जिला में पाकृतिक जल स्त्रोतों को मनरेगा के तहत बचाने की इस महात्वाकांक्षी योजना के सफल होने के बाद अब ग्रामीण विकास विभाग बावडिय़ों के संरक्षण को मनरेगा में शामिल करने जा रहा है। मनरेगा के तहत ऐसी बावडियों का जीर्णोद्वार करने के बािद स्थानीय पंचायतों को इनके संरक्षण की जिम्मेवारी सौंपी जाएगी। प्रदेश सरकार की ओर से पेयजल की किल्लत से पार पाने के लिए यह अहम कदम उठाया जा रहा है। ग्रामीण विकास विभाग की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के हजारों जल स्त्रोत या तो उपेक्षा के शिकार हैं अथवा उनका पानी सूख चुका है। ऐसे जल स्त्रोतों के पानी के प्रयोग न होने के कारण सारा दवाब सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग की ओर से स्थापित की गई पेयजल योजनाओं पर पड़ रहा है और गर्मियों में प्रदेश के अधिकतर क्षेत्रों में पेयजल की किल्लत पैदा हो रही है। पेयजल की समस्या से पार पाने के लिए बेशक मनरेगा के तहत काम किया जा रहा है लेकिन जल स्त्रोतों के संरक्षण के लिए विशेष योजना पहली बार बनाई गई है। पेयजल किल्लत का समाना कर रही प्रदेश की आधे से ज्यादा पंचायतों में सरकार के इस कदम को बड़ी उम्मीद के साथ देखा जा रहा है।

हर पंचायत में 6 जल स्त्रोत सूख
सूखेएक रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश की हर पंचायत में औसत 6 जल स्त्रोत या तो उपेक्षा का श्किार होकर सूख चुके हैं अथवा उन जल स्त्रोतों के पानी का पीने के लिए प्रयोग नहीं हो रहा है। रिपोर्ट के अनुसार पिछले दो दशक में प्राकृतिक पेयजल स्त्रोतों की बड़ी बुरी बेकद्री हुई है। घरो में नलके लगने के बाद पेयजल की सामुदायिक योजनाएं जिनमें बावडियां, चश्मे और कुंए शामिल थे, बेकद्री का श्किार होकर रह गए हैं। उपेक्षा का शिकार हुए इन पेयजल स्त्रोतों में कई ऐतिहासिक महत्व की बावडियां और कुएं भी हैं।

कोटस

प्रदेश के प्राकृतिक जल स्त्रोतों को बचाने के लिए उनका मनरेगा के तहत जीर्णोद्वार किया जाएगा। इससे जहां लोगों को रोजगार उपलब्ध होगा, वहीं पेयजल के लिए नलकों के ऊपर दवाब भी कम होगा। जयराम ठाकुर, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री हिमाचल प्रदेश।

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