रविवार, 11 अप्रैल 2010

6 मेगावाट बिजली क्षमता बढ़ाने पर फूंक दिए 100 करोड़

बस्सी पावर हाऊस जोगेंद्रनगर ने फरीदाबाद की फर्म पर दिखाई दरियादिली
6 मेगावाट बिजली क्षमता बढ़ाने पर फूंक दिए 100 करोड़

70 करोड़ में काम हुआ आवार्ड, 100 करोड़ से जयादा का हुआ
पावर हाऊस के रेजिडेंट इंजीनियर की ओर से मिली सूचना में हुआ खुलासा

बस्सी पावर हाऊस में 6 मेगावाट अतिरिक्त हबिजली क्षमता बढ़ाने के लिए बिजली बोर्ड की ओर से दिखाई गइ्र दरियादिली संदेह के घेरे में है। हैरानी इस बात को लेकर है कि प्रदेश में एक मेगावाट जलविद्युत पावर प्रोजेक्ट स्थापित करने की औसतन लागत पांच करोड़ है, वहीं बस्सी पावर हाऊस में यह लागत औसतन 15 करेाड़ प्रति मेगावाट से भी ज्यादा पड़ी है। आरोप हैं कि पावर हाऊस की रेनोवेशन में कंपनी को मिलीभगतइ से लाभ पहुचाया गया है। ऐसे में पावर हाऊस की रेनोवेशन को लेकर जांच की मांग उठने लगी है।जोंगेंद्रनगर स्थित बस्सी पावर हाऊस की उत्पादन क्षमता 60 मेगावाट से बढ़ा कर 66 मेगावाट करने पर प्रदेश बिजली बोर्ड ने पानी 100 करोड़ की राशि फूंक डाली। इतना ही नहीं, उत्पादन क्षमता बढ़ाने के चलने बंद रहे बिजली उत्पादन के चलते अलग से करोड़ों की चपत लगी। पावर हाऊस में उत्पादन क्षमता बढ़ाने के चलते बिजली उत्पादन ठप्प रहने से 143।56 मेगावाट बिजली का नुक्सान हुआ। हालांकि कंपनी निर्धारित समय अवधि में काम पूरा करने में नाकाम रही फिर भी बिजली बोर्ड ने पावर हाऊस की विद्युत क्षमता बढ़ाने का काम करने वाली फ्रीदाबाद की फर्म पर खास दरियादिली दिखाई। जो काम 70 करोड़ में आबंटित हुआ था, बिजली बोर्ड ने उस काम के लिए 100 करोड़ का भुगतान किया । बिजली बोर्ड की ओर से यह तर्क दिया गया कि टेल रेस की मॉडीफिकेशन की एवज में कंपनी को 39 करोड़ का अतिरिक्त भुगतान किया गया। पावर हाऊस के रेजिडेंट इंजीनियर की ओर से सूचना अधिकार कानून 2005 के तहत दी गई जानकारी में बस्सी पावर हाऊस के रेनोवेशन में कंपनी पर मेहरबानी करने का सनसनीखेज खुलासा हुआ है। सूचना जोंगेंद्रनगर निवासी सुमित सूद ने मांगी थी।
कंपनी को 63 लाख का जुर्माना
फरीदाबाद की मैसर्ज एसवीए टेक्नो को काम 21 मार्च 2008 को अवार्ड हुआ था। कंपनी ने 12 अक्तूबर 2007 को काम शुरू हुआ। बोर्ड और कंपनी के बीच हुए करार के अनुसार मशीन नंबर 4 का काम 12 अक्तबूर 2007 और मशीन नंबर 3 का काम 2 सितंबर 2008 को पूरा होना था। कंपनी निर्धारित समय अवधि में काम को पूरा नहीं कर पाई। ऐसे में बोर्ड की ओर से कंपनी को 63। 87 लाख की पेनेल्टी लगाई गई। बोर्ड ने यह राशि कंपनी की करार राशि में से काट ली। कोटस बस्सी पावर हाऊस में 6 मेगावाट अतिरिक्त बजली पैदा करने के लिए फरीदाबाद की कंपनी के साथ 70 करोड़ का करार बोर्ड ने किया था, लेकिन कंपनी को फाइनल पेमेंट 100 करोड़ से भी ज्यादा हुई। कंपनी समय पर काम भी नहीं कर पाई और उसे पेनेल्टी भी लगाई गई। ऐसे में जबकि प्रदेश में नए पावर प्रोजेकट में एक मेगावाट बिजी पैदा करने पर औसतन 5 करोड़ की लागत आती है, कंपनी ने 15 करोड़ प्रति प्रति मेगावाट के हिसाब से राशि खर्च की। मामले की जांच होनी चाहिए। सुमित सूद, सूचना अधिकार कानून के तहत जिसने सूचना मांगी।

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