अपनों की ही जुबानी तो अपने राज निकले।जो राजदार रहे अपने वही दगाबाज निकले।।
आपने तो हर पल मेरी किस्मत के उजाले देखे।वो कोई ओर थे जिन्होंने मेरे पावों के छाले देखे।।
आज मैं फिर से देर से उठा हूं, मुझे डांट दे।मां मेरे बचपन का दुलार फिर से मुझे बांट दे।।
मैं भी बनावटी हूं और तूं भी बनावटी है।इस महफिल में हर चेहरा दिखावटी है।।
आपने तो हर पल मेरी किस्मत के उजाले देखे।वो कोई ओर थे जिन्होंने मेरे पावों के छाले देखे।।
आज मैं फिर से देर से उठा हूं, मुझे डांट दे।मां मेरे बचपन का दुलार फिर से मुझे बांट दे।।
मैं भी बनावटी हूं और तूं भी बनावटी है।इस महफिल में हर चेहरा दिखावटी है।।
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