इस शहर का हर इक पत्थर तो पहचाना हुआ है।
उम्मीदों के शहर में फिर से अपना आना हुआ है।।
इस बार लाया हूं अपने संग न जाने कितने तुजुर्बे।
फिर से अपना दिल धौलाधार पर दीवाना हुआ है।।
तेरे ही खरीदे खिलौने को ललचाएगा।
दिल तो बच्चा है जी मचल जाएगा।।
इनसानों को उजाड़ पर प्रवासी परिदें बसाए हैं।
उसने हमारे हिस्से में कई पौंग बांध बनाए हैं।।
उम्मीदों के शहर में फिर से अपना आना हुआ है।।
इस बार लाया हूं अपने संग न जाने कितने तुजुर्बे।
फिर से अपना दिल धौलाधार पर दीवाना हुआ है।।
तेरे ही खरीदे खिलौने को ललचाएगा।
दिल तो बच्चा है जी मचल जाएगा।।
इनसानों को उजाड़ पर प्रवासी परिदें बसाए हैं।
उसने हमारे हिस्से में कई पौंग बांध बनाए हैं।।
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