बुधवार, 20 अप्रैल 2016

थक चुके हैं वर्कर नारे लगाते हुए

सरकारी दफ्तर का कभी सच भी सुनाईये
कमिशन न देता हो ऐसा ठेकेदार बताईये.
ईमान का यह पाठ अजी हमको न पढ़ाईये
लूट का यह माल है, मिल बांट कर खाईये

झंडे लगाते हुए,दरियां बिछाते हुए
थक चुके हैं वर्कर नारे लगाते हुए

इस दौर में बस उन्ही के है जलवे
जो लोग चाटना जानते हैं तलवे

कितनों को खिलाया जाता है,कितनों को पिलाया जाता है
सियासत की विरासत का जब कोई वारिस बनाया जाता है
वो इतना काबिल भी नहीं है, जितना उसको बताया जाता है
क्या नोट बिछाकर ढेरों फिर उसका सिक्का चलाया जाता है

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