कसीदे पढ़े गए झूठे ही शान में
हीरे छुपे रहे कोयले की खान में
जिन को घर बनाने का था हुनर
वो लोग रहे किराये के मकान में
हिन्दू के लिए गीता, मुसलमां के लिए कुरान हुआ करता था।
उस जमाने में मजहब से बड़ा इन्सां का ईमान हुआ करता था।।
उस जन्म में जब तू चंचलो तो मैं कुंजू बन दुनिया में आये थे।
तब अपना डेरा रावी किनारे चंबा का चौगान हुआ करता था।।
बसने तांई माणुआं जे जंगलां लाणे डेरे
शहरां घुमणा बांदरां, ग्रां मिरगां पाणे फेरे
ढलियां तां पाईयां कुछ अणसिख हालियां
खुणनी खणाई किंजा खुनियां कादालियाँ
सारा दिन पसीना बहाया होगा।
पेट भर फिर भी न खाया होगा।।
नदियां निचोड़ लेंगे,दरख्त उखाड़ देंगे।
लूट यूं रही तो वो सब कुछ उजाड़ देंगे।।
बांटते रहे नौजवान को ऐसी तालीम तो।
चंद रहबर वतन का नक्शा बिगाड़ देंगे।।
ख्वाब आँखों में सजाए जमाने गुजरे।
राहों में पलकें बिछाए जमाने गुजरे।।
जिस रोज़ से तुम से आंखें चार हुई ।
तब से नजरें झुकाए जमाने गुजरे।।
वैसे तो उन्होंने अपने दुश्मन से जीती हर लड़ाई है।
हर बार दूसरे के कंधे पर रख कर बन्दूक चलाई है।।
हीरे छुपे रहे कोयले की खान में
जिन को घर बनाने का था हुनर
वो लोग रहे किराये के मकान में
हिन्दू के लिए गीता, मुसलमां के लिए कुरान हुआ करता था।
उस जमाने में मजहब से बड़ा इन्सां का ईमान हुआ करता था।।
उस जन्म में जब तू चंचलो तो मैं कुंजू बन दुनिया में आये थे।
तब अपना डेरा रावी किनारे चंबा का चौगान हुआ करता था।।
बसने तांई माणुआं जे जंगलां लाणे डेरे
शहरां घुमणा बांदरां, ग्रां मिरगां पाणे फेरे
ढलियां तां पाईयां कुछ अणसिख हालियां
खुणनी खणाई किंजा खुनियां कादालियाँ
सारा दिन पसीना बहाया होगा।
पेट भर फिर भी न खाया होगा।।
नदियां निचोड़ लेंगे,दरख्त उखाड़ देंगे।
लूट यूं रही तो वो सब कुछ उजाड़ देंगे।।
बांटते रहे नौजवान को ऐसी तालीम तो।
चंद रहबर वतन का नक्शा बिगाड़ देंगे।।
ख्वाब आँखों में सजाए जमाने गुजरे।
राहों में पलकें बिछाए जमाने गुजरे।।
जिस रोज़ से तुम से आंखें चार हुई ।
तब से नजरें झुकाए जमाने गुजरे।।
वैसे तो उन्होंने अपने दुश्मन से जीती हर लड़ाई है।
हर बार दूसरे के कंधे पर रख कर बन्दूक चलाई है।।
कोई टिप्पणी नहीं :
एक टिप्पणी भेजें