पिंजर बेशक उनके अब शरीर हो गए
दरिद्र सरकारी नजर में अमीर हो गए
आंकड़ों की कसरत में गरीबी हुई गायब
देख कर शर्मसार कितने फ़कीर हो गए
चम्मचों की तो खूब चांदी हुई चारों तरफ
राजा से मालदार तो उसके वजीर हो गए
न विरोध आया न बगावत ही सीख पाए
व्यवस्था में हम लकीर के फ़कीर हो गए
सच कहने की जिद की रात को सपने में
इसी बात पर हमसे खफा कबीर हो गए
दरिद्र सरकारी नजर में अमीर हो गए
आंकड़ों की कसरत में गरीबी हुई गायब
देख कर शर्मसार कितने फ़कीर हो गए
चम्मचों की तो खूब चांदी हुई चारों तरफ
राजा से मालदार तो उसके वजीर हो गए
न विरोध आया न बगावत ही सीख पाए
व्यवस्था में हम लकीर के फ़कीर हो गए
सच कहने की जिद की रात को सपने में
इसी बात पर हमसे खफा कबीर हो गए
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