शनिवार, 3 अगस्त 2013

पर मुहल्ले की पक्की खबर तो मेरा हजाम देता है............

बेरोजगार को काम तो बेघर को मकान देता है। 
हकीकत से बेखबार वो सियासी बयान देता है।। 

जर्द चेहरों को पढने का है वो माहिर इतना कि।
झूठ बोलता है तो गारंटी अपनी जुबान देता है।। 

धर्म की आंच पर जो भी सेंकता है सियासी रोटी।
किसी बस्ती में गीता तो किसी में कुरान देता है।। 

कुचल डाल मसल डाल मगर आकाश को छू ले।
यह कैसा ज्ञान देता है और कैसा विज्ञान देता है।।

हर गांव में जरूरी है अब तो इक शराब का ठेका।
दर्दमंदों को भी मस्ती को वो क्या सामान देता है।।

जिसे तू रौब से कहता है मॉडर्न विकास का मॉडल।
दिमाग तो तनाव देता है जिस्म को थकान देता है।।

ठगना हो जो बच्चों को तो चने भी काम आते हैं।
अब हर कोई कहाँ उनको रोज दूध-बादाम देता है।।

साजिश रच किया जिसने इस आवाम को बैहरा।
अब वो शख्स कौम को भला क्या पैगाम देता है।।

बेशक दुनिया भर की सूचना है उसके गूगल में।
पर मुहल्ले की पक्की खबर तो मेरा हजाम देता है।।

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